कांग्रेस की जन आक्रोश रैली पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यह एक परिवार की हार का मातम है. कांग्रेस की नकारात्मक और मुद्दों से भटकाने की राजनीति से देश थक चुका है. यह परिवार आक्रोश रैली है.
केंद्रीय एजेंसी ‘एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली’ द्वारा पानी की गुणवत्ता को लेकर तैयार रिपोर्ट के मुताबिक देश में 70,736 बस्तियां दूषित जल से प्रभावित हैं. इस पानी की उपलब्धता के दायरे में 47.41 करोड़ आबादी आ गई है.
अमेरिकी सरकार द्वारा गठित एक आयोग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि देश में जारी भगवाकरण अभियान के शिकार मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और दलित हिंदू हैं.
मदीहा हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सांस्कृतिक विरासत के बीच रंगमंच के साझे दूत की तरह काम करती रहीं. रहती वे लाहौर में थीं लेकिन जब मौका मिलता अमृतसर आ जाया करती थीं. देह उनकी लाहौर में थी लेकिन दिल अमृतसर में बसता.
जन गण मन की बात की 234वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और सुप्रीम कोर्ट में केएम जोसेफ को जज नियुक्त करने संबंधी कॉलेजियम के प्रस्ताव को केंद्र द्वारा पुनर्विचार के लिए लौटाए जाने पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 233वीं कड़ी में विनोद दुआ आधार को फोन से लिंक न करने के सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण और फांसी की सज़ा पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 232वीं कड़ी में विनोद दुआ नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में आसाराम को मिली उम्रक़ैद की सज़ा पर चर्चा कर रहे हैं.
नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वाले सांसदों/विधायकों की संख्या के लिहाज से भाजपा शासित उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के मामलों में भी वृद्धि हुई है.
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि ‘कास्टिंग काउच’ एक ऐसी कड़वी सच्चाई है जो सिर्फ़ फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं.
जन गण मन की बात की 231वीं कड़ी में विनोद दुआ देश में बेरोज़गारी और सांप्रदायिकता पर चर्चा कर रहे हैं.
अमिताभ कांत ने कहा कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के हाल बेहाल हैं. यही वे क्षेत्र हैं जिनमें भारत पिछड़ रहा है. पांचवीं कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा के जोड़-घटाव नहीं कर पाता है. शिशु मृत्यु दर बहुत ज़्यादा है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा के दौरान दलित युवती के घर में आग लगा दी गई थी. परिजनों के अनुसार, इसमें शामिल लोग बयान वापस लेने के लिए उस पर दबाव डाल रहे थे, इस कारण उसने आत्महत्या कर ली.
विकास के दावों के बीच भारत के अनुभव और ज़मीनी सच्चाई बता रही है कि समाज और सरकारें बच्चों का संरक्षण सुनिश्चित कर पाने में तो नाकाम हैं ही आगे भी इनके नाकाम रहने की आशंका है.
वामपंथी दल आज़ादी के बाद विकसित अपनी वह छवि नहीं बचा पाए हैं, जिसमें उन्हें सत्ता का सबसे प्रतिबद्ध वैचारिक प्रतिपक्ष माना जाता था. वे परिस्थितियों के नाम पर कभी इस तो कभी उस बड़ी पार्टी की पालकी के कहार की भूमिका में दिखने लगे.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या उस नतीजे के बारे में सोचा गया जो पीड़िता को भुगतना पड़ सकता है? बलात्कार और हत्या की सजा एक जैसी हो जाने पर कितने अपराधी पीड़ितों को ज़िंदा छोड़ेंगे?