बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल तीन याचिकाओं में कहा गया कि पड़ताल में सामने आया है कि कई गैर-कोविड-19 मरीजों को भर्ती करने या उनका इलाज करने से इनकार किया जा रहा है क्योंकि चिकित्साकर्मियों को अपने क्लिनिकों या अस्पतालों में कोरोना वायरस फैलने का डर है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा तैयार की गई 'मरीजों के अधिकारों पर चार्टर' के मुताबिक मरीज़ को ये अधिकार है कि डॉक्टर द्वारा लिखी दवा को वो अपने पसंद की फार्मेसी से ख़रीदे.