समाज में विचारों की, अाचारों की अौर समझ की नई खिड़कियां खोलते रहने की जरूरत पड़ती है. जो समाज ऐसा करना बंद कर देता है, जो अतीत के गुणगान में लग जाता है, वह अंतत: अपनी ही चोटी में उलझ कर, उसे काट डालता है. हम उसी दौर से गुजर रहे हैं.
चोटी काटने की अफ़वाह में एक बुज़ुर्ग दलित महिला की चुड़ैल बताकर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. चार राज्यों में अब तक ऐसी घटनाओं के 75 से भी ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं.