दिल्ली दंगों के संबंध में गिरफ़्तार गुलफ़िशा फातिमा बीते सौ दिन से ज़्यादा समय से तिहाड़ जेल में हैं. नागरिक समाज के सदस्यों, शिक्षाविदों, लेखकों समेत 450 से अधिक लोगों ने उन्हें छोड़ने की मांग करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस महामारी का फायदा उठाकर प्रदर्शनकारियों को ग़ैर-क़ानूनी ढंग से गिरफ़्तार कर रही है.
बीते 29 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगे के एक आरोपी को ज़मानत देते हुए पुलिस की इस दलील को ख़ारिज कर दी थी कि ज़मानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा. हाईकोर्ट ने कहा था कि अदालत का काम क़ानून के मुताबिक न्याय देना है, न कि समाज को संदेश देना.
कैसे एक व्यक्ति, जिसे दंगों के मामले में अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया, को ज़मानत मिल सकती है, लेकिन जिनके पास ऐसा कुछ बरामद नहीं हुआ, वे अब भी सलाखों के पीछे हैं?
इस साल फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा मामले में जामिया मिलिया इस्लामिया के 24 वर्षीय छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को बुधवार को गिरफ्तार किया गया और सात दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
वीडियो: उत्तर पूर्वी दिल्ली में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस ने उमर ख़ालिद समेत जामिया के छात्रों पर यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया है. इस मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से चर्चा कर रही है द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
छात्रों पर देशद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, धार्मिक आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी फैलाने और दंगे करने का भी मामला दर्ज किया गया है.
सफूरा ज़रगर जामिया मिलिया इस्लामिया में एमफिल की छात्रा हैं और जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य हैं. दिल्ली पुलिस के अनुसार वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन का हिस्सा थीं, जहां बीती फरवरी में सड़क बंद कर देने के बाद दंगे शुरू हुए थे.