नरेंद्र मोदी के आरोपों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि रफाल विमानों की आपूर्ति में देरी के लिए सिर्फ आप जिम्मेदार हैं. आपकी वजह से विंग कमांडर अभिनंदन जैसे बहादुर पायलटों को पुराने विमान उड़ाकर अपना जीवन जोखिम में डालना पड़ रहा है.
पाकिस्तान के सांप्रदायिक एजेंडे के लिए नरेंद्र मोदी की एक और जीत से अच्छा कुछ नहीं हो सकता है. उनकी नीतियों ने पाकिस्तानियों को यह यक़ीन दिलाने का काम किया है कि भारत में मुस्लिम कभी भी सुरक्षित नहीं रह सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक कार्यक्रम में कहा कि नरेंद्र मोदी ने मुझे गुजरात से सांसद बनाया, राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तावित किया. जब मुझे मानव संसाधन मंत्री के तौर पर सेवा करने का मौका मिला, तो नेतृत्व के अलावा किसी को मुझ पर भरोसा नहीं था.
विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि जिस दिन राम मंदिर बन गया उस दिन भाजपा और आरएसएस ख़त्म हो जाएंगे.
विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने बीते गुरुवार को राज्यसभा में 15 जून, 2014 से 3 दिसंबर, 2018 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं का ब्योरा दिया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समुदाय से एकजुट होकर मानव कल्याण के लिए काम करने की अपील की.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा, लोकतंत्र खतरे में है. भाजपा ने साधा निशाना, अमर्त्य सेन जैसे बुद्धिजीवियों ने समाज को हमेशा गुमराह किया.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल का आगाज़ भी भारत के कई हिस्सों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा से हुआ था.
वीडियो: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से अमित सिंह की बातचीत.
अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो सत्ता की सीमाओं और ज़िम्मेदारियों को समझते थे.
स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जब दीन-दुनिया से बेख़बर रहने लगे, तो क्या संघ परिवार के उन नेताओं में से ज़्यादातर ने, जो आज उनके लिए मोटे-मोटे आंसू बहा रहे हैं, कभी उनका हालचाल जानने की ज़हमत भी उठायी?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ.
नरेंद्र मोदी से इतर वे अपने ख़िलाफ़ लिखने वाले या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा निर्मित उनके विश्व बोध से इत्तेफ़ाक़ न रखने वाले पत्रकारों के प्रति भी विनम्रता और कोमलता के साथ पेश आते थे.
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय समाज के उस मर्म को बखूबी समझते रहे कि अति की सोच भारत जैसे लोकतांत्रिक-सेक्युलर देश में संभव नहीं है. इसलिए पीएम की कुर्सी पर बैठे भी तो उन विवादास्पद मुद्दों को दरकिनार कर जिस पर देश में सहमति नहीं है.
वीडियो: गुजरात दंगों के बाद पहली बार राज्य के दौरे पर गए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जब एक पत्रकार ने पूछा कि मुख्यमंत्री के लिए क्या संदेश है तब उन्होंने कहा, ‘राजधर्म का पालन करें.’