गिरीश कर्नाड के नाटकों में बेहद सुंदर संतुलन देखने को मिलता है, जहां वह भारत के तथाकथित स्वर्णिम अतीत या पौराणिक मिथक को कच्चे माल की तरह उपयोग तो करते हैं, पर उसके मूल में कोई समसामयिक समस्या या वर्तमान समाज के विरोधाभास ही निहित रहते हैं.
वीडियो: युवा कथाकार अणुशक्ति सिंह का पहला उपन्यास ‘शर्मिष्ठा' बीते दिनों आया है. इस उपन्यास के मद्देनज़र उनसे मिथकीय और पौराणिक चरित्रों में स्त्री की मौजूदगी, सिंगल मांओं के संघर्ष, स्त्री-पुरुष के कथित वैध और अवैध प्रेम समेत विभिन्न विषयों पर फ़ैयाज़ अहमद वजीह की बातचीत.
गिरीश कर्नाड आज़ादी के बाद आई पहली पीढ़ी के उन कलाकारों में से थे, जिन्होंने भारतीय रंगमंच के लिए सबसे गंभीर और चिरस्थायी नाटकीय लेखन की नींव रखी.
गिरीश कर्नाड हमारे बीच से उतनी ही शांतिपूर्ण गरिमा और ईमानदारी के साथ विदा हो गए, जिस तरह से उन्होंने अपना जीवन जिया.