रोमिला थापर समेत 12 प्रोफेसर एमेरिटस से बायोडाटा देने को कहा गया है: जेएनयू प्रशासन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि उसने यह पत्र किसी की सेवा को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च वैधानिक निकाय कार्यकारी परिषद द्वारा समीक्षा करने की जानकारी देने के लिए लिखा है और ऐसा अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे एमआईटी और प्रिसंटन विश्वविद्यालय में भी होता है.

गर्व है कि वीसी ने रोमिला थापर को बुलाकर कोरे कागज पर नाम लिख के दिखाने को नहीं कहा

किसी यूनिवर्सिटी के बर्बाद होने का जितना सामाजिक और राजनीतिक समर्थन भारत में मिलता है, उतना कहीं नहीं मिलेगा. हम बगैर गुरुओं के भारत को विश्व गुरु बना रहे हैं. रोमिला थापर को भारत को विश्व गुरु बनाने के प्रोजेक्ट में सहयोग करना चाहिए. बस इतनी गुज़ारिश है कि सीवी में अंग्रेज़ी थोड़ी हल्की लिखें वरना उन पर संस्कृत की उपेक्षा का इल्ज़ाम लग सकता है.

जेएनयू ने ‘मूल्यांकन’ के लिए प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर से सीवी मांगा

प्रशासन ने कहा कि रोमिला थापर का सीवी यानी कि उनका शैक्षिक एवं कार्य अनुभव देखने के बाद यह फैसला किया जाएगा कि वह बतौर प्रोफेसर पढ़ाना जारी रखेंगी या नहीं. फिलहाल थापर जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस हैं.

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को असहमति जताने से गिरफ़्तार किया जा रहा है: प्रशांत भूषण

भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में बीते 28 अगस्त को माओवादियों से संबंध होने के आरोप में पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया गया था.

भीमा-कोरेगांव: सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई वाली रोमिला थापर की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज

इतिहासकार रोमिला ठाकुर ने पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को रिहा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाख़िल की थी.

सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ रोमिला थापर और चार अन्य पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था. न्यायालय दोपहर पौने चार बजे सुनवाई करेगा. वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दोपहर सवा दो बजे दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.

जेएनयू को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है: रोमिला थापर

जेएनयू की स्थापना के वक्त इससे जुड़ने वाले शिक्षाविदों में थापर भी थीं. उन्होंने कहा कि बहस की स्वतंत्रता न देना और केवल आधिकारिक विचारों को महत्व देना, इस बात की ओर इशारा है कि जो सत्ता में हैं कहीं न कहीं खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

जेएनयू के पूर्व प्रोफेसरों ने कहा, अतीत में कोई भी कुलपति लगातार नियमों के विरुद्ध नहीं गया

जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार पर परिपाटी तोड़ने और संकाय सदस्यों की आपत्ति को तवज्जो न देने का आरोप.