इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फ़र्रुख़ाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिव-इन में रह रहे एक युवक-युवती को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जो अपने पारिवारिक सदस्यों की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं.
उत्तर प्रदेश बरेली ज़िले का मामला. राज्य में धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए क़ानून के तहत यह पहला गिरफ़्तारी है. इस क़ानून में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है.
इससे पहले बीते 11 नवंबर के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में कहा था कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीने का अधिकार जीवन एवं व्यक्तिगत आज़ादी के मौलिक अधिकार का महत्वपूर्ण हिस्सा है. कोर्ट ने कहा कि इसमें धर्म आड़े नहीं आना सकता है.
असम सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दावा किया कि यह क़ानून ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश में प्रस्तावित और उत्तर प्रदेश में पास क़ानून के समान ही होगा. शर्मा ने कहा कि इस क़ानून में सभी धर्म शामिल होंगे और यह पारदर्शिता लाकर हमारी बहनों को सशक्त बनाएगा.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले का मामला. उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए क़ानून में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है.
कर्नाटक में 'मोरल पुलिस' का काम करने से लेकर उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में दंगे भड़काने तक, 'लव जिहाद' का राग छेड़कर हिंदू दक्षिणपंथियों ने अपने कई उद्देश्य पूरे किए हैं.
अदालतों और केसों के पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, बेंगलुरु में पिछले पांच साल में आईपीसी की धारा 366 के तहत दर्ज 41 केस फिलहाल लंबित पड़े हैं. इनमें वयस्कों को भगाने और शादी करने के मामले हैं. 35 मामले हिंदू युगलों से जुड़े हैं, जबकि छह मामले अंतरधार्मिक हैं. धारा 366 अपहरण कर जबरन शादी करने से संबंधित धारा है.
त्रिपुरा के गोमती ज़िले के उदयपुर में हिंदू जागरण मंच के सदस्यों ने प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-8 को जाम कर दिया था. संगठन का कहना है कि पुलिस और प्रशासन जबरन धर्म परिवर्तन के ख़तरे को रोकने में विफल रहे हैं और अब केवल क़ानून ही आवश्यक सुरक्षा उपाय प्रदान कर सकता है.
एक तरफ़ भारतीय संविधान वयस्क नागरिकों को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है, धर्म चुनने की स्वतंत्रता देता है, दूसरी तरफ़ भाजपा शासित सरकारें संविधान की मूल भावना के विपरीत क़ानून बना रही हैं.
इस अध्यादेश में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है. मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा भाजपा शासित राज्य है, जहां इस संबंध में क़ानून बनाया गया है.
वीडियो: इतनी सारी सामाजिक-आर्थिक मुश्किलों के बीच मीडिया में किसी संकीर्ण धारा की राजनीतिक प्रयोगशाला में गढ़े हुए ‘लव जिहाद’ जैसे शब्द राष्ट्रीय-समाचार और ब्रेकिंग न्यूज़ क्यों बनते हैं? हाल में ‘एयर स्ट्राइक’ की एक फ़र्ज़ी ख़बर काफ़ी देर तक न्यूज़ चैनलों पर क्यों और कैसे चलती रही? इन मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.
भाजपा लव जिहाद के राग को क्यों नहीं छोड़ रही? वह हिंदुओं में भय बैठा रही है कि ‘हमारी’ स्त्रियों का इस्तेमाल करके ‘विधर्मी’ अपनी संख्या बढ़ाने का षड्यंत्र कर रहे हैं. ‘विधर्मियों’ की संख्या वृद्धि समस्या है. संख्या ही बल है और वही श्रेष्ठता का आधार है. इसलिए ऐसे हर विवाह या संबंध का विरोध किया जाना है, क्योंकि इससे ‘विधर्मी’ की संख्या बढ़ जाती है.
वीडियो: कथित लव जिहाद को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश’ को मंज़ूरी दे दी है. इसके तहत शादी के लिए छल-कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर अधिकतम 10 साल की कारावास और जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंज़ूरी दी गई. मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का क़ानून लाया गया है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवा धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों से शादी से कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है और लड़कियों से उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी है. इसकी जांच के लिए कानपुर रेंज के आईजी ने एसआईटी का गठन किया था.