एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग की वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद बताया कि आरटीआई आवेदनों को इस क़ानून की धाराओं आठ, नौ, 11 और 24 के तहत प्राप्त छूट से ही ख़ारिज किया जाना मान्य है, लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारी विभागों ने आवेदनों को ख़ारिज करने के लिए ‘अन्य’ श्रेणी का इस्तेमाल किया.
भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में बैंकों में क़रीब 72 करोड़ रुपये की कुल धोखाधड़ी हुई, जिसमें 55.4 प्रतिशत मामले सार्वजनिक बैंकों से जुड़े थे.