गुजरात के जामनगर के गुरु गोबिंद सिंह सरकारी अस्पताल का मामला है. महिला कर्मचारियों ने बताया कि उनके सुपरवाइज़रों ने यौन संबंध बनाने के उनके प्रस्तावों को ठुकराने वाली अटेंडेंट्स को लगभग तीन महीने का वेतन दिए बिना निकाल दिया. राज्य सरकार इन आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है.
दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ने नर्सिंग के कर्मचारियों के लिए सिर्फ़ हिंदी या अंग्रेज़ी में बात करने वाला आदेश जारी किया था और विवाद के बाद इसे वापस ले लिया गया था. नर्सिंग अधीक्षक ने कहा कि दरअसल मरीज़ यह मान लेते हैं कि उन्हें कुछ गंभीर बीमारी है और इसलिए उनकी हालत छिपाने के लिए दूसरी भाषा में बात की गई है.
दिल्ली के सरकारी अस्पताल गोविंद बल्लभ पंत इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ने शनिवार को जारी एक सर्कुलर में नर्सिंग स्टाफ से सिर्फ हिंदी और अंग्रेज़ी में ही संवाद करने का आदेश दिया गया था. ऐसा न करने पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही गई थी.
मामला मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय का है. प्रशासन ने एक महिला नर्स को निलंबित कर दिया. इसके अलावा अस्पताल में साफ-सफाई और सुरक्षा की ठेकेदार कंपनी के दो कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है.
तमिलनाडु के चेंगलपट्टू स्थित सरकारी अस्पताल में जिन 13 मरीजों की मौत हुई उनकी उम्र 40 से 85 वर्ष के बीच थी. रातभर में हुईं इन मौतों से इलाके के लोगों में दहशत है और मृतकों के परिजनों में आक्रोश है, जिन्होंने मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी को बताया है. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इससे इनकार किया है.
महाराष्ट्र के मंत्री बच्चू कडू ने सोमवार को कुछ शिकायतें मिलने के बाद अकोला के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का औचक दौरा किया था. उन्होंने कोविड-19 के मरीज़ों समेत विभिन्न रोगियों को उपलब्ध कराए जा रहे भोजन की जांच की और यह पता चलने पर नाराज़ हो गए कि इसकी गुणवत्ता कथित तौर पर ख़राब थी.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चार अगस्त 2020 के आदेश में परिवर्तन करते हुए यह बात कही हैं. उस आदेश में शीर्ष न्यायालय ने कोरोना वायरस के जोख़िम को देखते हुए बुज़ुर्ग लोगों को भर्ती एवं इलाज में प्राथमिकता देने का निर्देश केवल सरकारी अस्पतालों को दिया था.
मामला नागपुर का है. 53 वर्षीय व्यक्ति 29 अगस्त को कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे. नागपुर नगर निगम के आयुक्त ने कहा कि वह यह देखेंगे कि एंबुलेंस मिलने में देरी क्यों हुई, लेकिन उन्हें इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है.
मामला रीवा के संजय गांधी अस्पताल का है. 22 वर्षीय युवक को तीन अगस्त को भर्ती कराया गया था. परिजनों का आरोप है कि बाद में उन्हें कोविड वार्ड में भर्ती किया गया. प्रबंधन ने उनकी जांच रिपोर्ट भी नहीं दी गई है और उनकी मौत के बाद भी कोई सूचना नहीं दी गई.
मामला बेंगलुरु का है, जहां अस्पतालों द्वारा भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार किए जाने के बाद महिला ने ऑटो रिक्शा में बच्चे को जन्म दिया. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन अस्पतालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है.
मामला कलबुर्गी ज़िले के गुलबर्गा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ का है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का कहना है कि अस्पताल का दरवाज़ा खुला रह गया था, मरीज़ों द्वारा कूड़े में फेंकी गई खाने-पीने की चीज़ें खोजते हुए सुअर अस्पताल में घुस आए थे. हालांकि वे कोविड वार्ड में नहीं घुसे थे.
मामला शामली ज़िले के सरकारी अस्पताल का है, जहां रविवार को एक टैक्सी चालक को सांस लेने में परेशानी होने पर आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था. परिजनों का आरोप है कि ठीक प्रकार से इलाज न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई.
भारत में महाराष्ट्र कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है. अब तक कोविड-19 की जांच कराने पर 4,500 रुपये लगते थे.
दिल्ली में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां एम्बुलेंस में रोगी को गंभीर हालत में लेकर परिजन कई घंटों और किलोमीटर तक विभिन्न अस्पतालों में भटकते रहे. ऐसे में एम्बुलेंस में उपलब्ध महज़ एक ऑक्सीजन सिलेंडर मरीज़ की मदद के लिए नाकाफ़ी साबित हो रहा है.
मामला जलगांव के सरकारी अस्पताल का है, जहां कोविड संक्रमित एक 82 वर्षीय महिला को एक जून को भर्ती कराया गया था और वे दो जून से लापता हो गई थीं. अन्य मरीज़ों के शौचालय में बदबू की शिकायत करने के बाद वहां महिला का शव पाया गया. घटना के बाद अस्पताल के डीन सहित पांच अधिकारियों को निलंबित करते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं.