बीते दिनों नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पुनर्वास आयुक्त ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकारा कि विस्थापितों और प्रभावितों के आकलन में ‘टोपो शीट’ पर पेंसिल से निशान लगाने की पद्धति का इस्तेमाल किया गया. बोलचाल में नजरिया सर्वे कही जाने वाली इस तरकीब में अंदाज़े से डूबने वाली हर चीज और जीती-जागती इंसानी बसाहटों को चिह्नित कर विस्थापित घोषित कर दिया गया था.
सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि गुजरात के लिए बेहद महत्वपूर्ण बांध का जलस्तर 105.50 मीटर के बहुत नाजुक स्तर पर पहुंच गया है.
गुजरात की भाजपा सरकार ने 15 फरवरी से राज्य के चार ज़िलों- सुरेंद्रनगर, बोताड, भावनगर और अहमदाबाद में नर्मदा के पानी पर रोक लगाई. इससे पहले यह समयसीमा 15 मार्च थी.