ग्राउंड रिपोर्ट: झारखंड में पिछले साल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की व्यवस्था लागू की है, लेकिन ग्रामीणों के लिए इसका लाभ ले पाना अब भी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है.
झारखंड में कथित तौर पर भुखमरी से हो रही मौतों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के कार्यान्वयन की गंभीर त्रुटियों के चलते लोगों के जीने के अधिकार के हनन को उजागर किया है.
कई बार पत्र-पत्रिकाओं के लेख आपको बता सकते हैं कि हमारे सपनों का झारखंड सपने से भी आगे जा चुका है पर इस सपने की सच्चाई देखनी हो तो गांव की पगडंडी पर आइये.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार से अलग राज्य बनने के बाद लगा था कि झारखंड आर्थिक समृ़द्धि की नई परिभाषाएं गढ़ेगा लेकिन 17 साल बाद भी राज्य से कथित भूख से मरने जैसी ख़बरें ही सुर्खियां बन रही हैं.
झारखंड में आधार लिंक न होने के चलते राशन नहीं मिलने से अक्टूबर महीने में कथित तौर पर भूख से तीन मौतें हो चुकी हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: सरकारी दावों के इतर झारखंड में ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि आधार और नेटवर्क जैसी तकनीकी दिक्कतों और प्रशासन की लापरवाही के चलते बड़ी संख्या में गरीब-मज़दूर भूख से जूझने को विवश हैं.
देवघर ज़िले में 62 वर्षीय रूपलाल मरांडी की सोमवार को मौत हो गई. घर में दो दिन से नहीं जला था चूल्हा.
झरिया के रिक्शा चालक बैद्यनाथ तीन साल से राशन कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहे थे. घर में पिछले कई दिनों से नहीं जला था चूल्हा.
सिमडेगा ज़िले में भुखमरी से बेटी की मौत का दावा करने वाली कोयली देवी पर महिलाओं ने गांव का नाम बदनाम करने का आरोप लगाया है.
कई बरस से लोग भूख से मर रहे हैं, लेकिन सत्ता हमेशा इस बात से इंकार करती है कि इस देश में किसी की मौत भूख के चलते भी होती है.
झारखंड के सिमडेगा ज़िले में रहने वाली कोयली देवी का कहना है कि उनकी बेटी भूख की वजह से मर गई. पिछले आठ महीने से उन्हें सरकारी राशन इसलिए नहीं मिल रहा था क्योंकि वह राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाई थीं.
राजस्थान के एक गांव में प्रशासन ने फरमान जारी किया है कि जो भी अपने घर में शौचालय होने का प्रमाण नहीं दे पाएगा, उसे राशन भी नहीं दिया जाएगा.
नरेगा संघर्ष मोर्चा ने मनरेगा कार्यकर्ता संजय साहनी की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लगातार संघर्ष के कारण समाज परिवर्तन शक्ति संगठन के लोगों पर निशाना साधा जा रहा है.
जन गण मन की बात की 72वीं कड़ी में विनोद दुआ राजस्थान में ग़रीबों को चिह्नित करने के अभियान और देश में रोज़गार की कमी पर चर्चा कर रहे हैं.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ियों को ठीक करने में नाकाम रही राजस्थान सरकार अब ज़रूरतमंदों को अपमानित करने का काम कर रही है.