नागरिकता कानूनः उत्तर प्रदेश पुलिस ने माना, उसकी गोली से हुई एक प्रदर्शनकारी की मौत

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में देशभर में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से 18 लोग उत्तर प्रदेश के थे.

Patna: Police personnel fire tear gas shells at protesters during a rally against NRC and amended Citizenship Act that turned violent, at Phulwarisharif, in Patna,Saturday,Dec 21,2019.( PTI Photo)(PTI12_21_2019_000242B)

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में देशभर में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से 18 लोग उत्तर प्रदेश के थे.

Patna: Police personnel fire tear gas shells at protesters during a rally against NRC and amended Citizenship Act that turned violent, at Phulwarisharif, in Patna,Saturday,Dec 21,2019.( PTI Photo)(PTI12_21_2019_000242B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए मोहम्मद सुलेमान के मामले में बिजनौर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उसकी मौत पुलिस द्वारा आत्मरक्षा में चलाई गई गोली से हुई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 20 साल के सुलेमान की मौत कॉन्सटेबल मोहित कुमार द्वारा आत्मरक्षा में चलाई गई गोली से हुई थी.

बिजनौर के पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने कहा, ‘सुलेमान के शरीर से एक कारतूस मिला है. बैलिस्टिक रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि यह गोली कॉन्सटेबल मोहित कुमार की पिस्तौल से चलाई गई थी. मोहित कुमार के पेट से जो गोली मिली है, उसे किसी देसी कट्टे से चलाया गया था.’

सुलेमान ग्रेजुएशन अंतिम वर्ष के छात्र थे और नोएडा में अपने मामा अनवर उस्मान के यहां रहकर यूपीएससी की तैयारी करते थे. बुखार होने के कारण वे अपने घर नहटौर आए हुए थे.

मोहित कुमार बिजनौर पुलिस की स्पेशन ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) से जुड़े हुए हैं. बीते शुक्रवार को सुरक्षा कारणों से उन्हें नहटौर इलाके में तैनात किया गया था.

फिलहाल बिजनौर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि उनकी हालत गंभीर थी.

बीते शुक्रवार को हुई हिंसा में कम से कम 26 लोग घायल हुए हैं जिसमें 20 पुलिसवाले हैं. जहां सुलेमान और 21 वर्षीय एक अन्य व्यक्ति अनस की मौत हो गई.

वहीं मोहित कुमार के साथ तीन अन्य पुलिसवाले गोलियों से घायल हो गए, जिसमें नहटौर पुलिस स्टेशन के एसएचओ राजेश सिंह सोलंकी भी शामिल थे.

शुक्रवार की घटना के मामले में नहटौर पुलिस स्टेशन ने 35 नामजद के साथ कई अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की है.

बिजनौर पुलिस की आंतरिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, ‘प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने एक सब इंस्पेक्टर आशीष की सरकारी पिस्तौल छीन ली थी. इसको देखते ही कांस्टेबल मोहित कुमार सहित कुछ पुलिसवाले भीड़ के पीछे दौड़े.’

बिजनौर के पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने कहा, ‘जब मोहित सुलेमान के पास पहुंचे तब उसने अपने देसी कट्टे से उन पर गोली चला दी. एक गोली मोहित के पेट में लगी. इसके जवाब में मोहित ने भी अपने सरकारी पिस्तौल से गोली चलाई जो सुलेमान के पेट में लगी.’

हालांकि, पुलिस को सुलेमान के पास कोई हथियार नहीं मिला और न ही वह पुलिस आशीष की सरकारी पिस्तौल ढूंढ पाई.

सूचना की पुष्टि के लिए पुलिस ने मौके पर मौजूद अन्य पुलिसवालों और स्थानीय लोगों का बयान दर्ज किया.

त्यागी ने कहा कि प्राथमिक जांच से पता चला है कि मोहित ने आत्मरक्षा में सुलेमान को गोली मारी थी. इस मामले पर जांच अभी भी जारी है.

हालांकि सुलेमान के परिवार का कहना है कि वे नमाज पढ़ने के बाद मस्जिद से वापस आ रहे थे और इसी दौरान पुलिस ने उन्हें उठा लिया. वे उन्हें मदरसा के पास वाली सड़क पर ले गए और गोली मार दी.

परिवा का कहना है कि जब वे मौके पर पहुंचे तब उन्हें शव को नहीं लेने दिया गया. पुलिस सीधे पोस्टमार्टम के लिए बिजनौर ले गई. उन्होंने कहा, जब परिवार बिजनौर पहुंचा तब उन्हें वापस भेज दिया गया और अगली सुबह 11 बजे बुलाया गया.

सुलेमान के बड़े भाई शोएब मलिक ने कहा कि उन्होंने सोमवार को एसपी संजीव त्यागी और महानिरीक्षक मुरादाबाद रेंज के रमित शर्मा को शिकायत दर्ज कराई कि उनके भाई की हत्या की प्राथमिकी दर्ज की जाए. पुलिस ने कहा कि उन्हें अभी शिकायत नहीं मिली है.

त्यागी ने कहा, ‘अगर सुलेमान का परिवार शिकायत दर्ज करता है तो हम कानूनी तौर पर इस मामले की जांच करंगे.’

इस हिंसा में 20 साल के अनस की मौत पर उसके परिवार ने कहा कि वह अपने सात महीने के बेटे के लिए दूध लाने घर से निकला था कि तभी कुछ ही मीटर की दूरी से पुलिस ने उस पर गोली चला दी.

वह स्थानीय समारोहों में कॉफी और जूस बनाने का काम करता था.

अरशद हुसैन के भाई रिसालत हुसैन के मुताबिक, उनके भतीजे अनस को दोपहर लगभग 3.30 बजे घर के सामने गोली मारी गई.

उन्होंने कहा, ‘जिस गली में अनस को गोली मारी गई, वहां कोई प्रदर्शन भी नहीं हुआ था.’

उन्होंने कहा कि परिवार उनसे जबरन यह लिखवाना चाहती थी कि अनस प्रदर्शनों में शामिल था.

हालांकि, पुलिस अधीक्षक (देहात) विश्वजीत श्रीवास्तव ने मंगलवार को बताया कि एक अन्य उपद्रवी अनस की मौत भीड़ द्वारा चलायी गई गोली लगने से हुई है, उसका पुलिस से कोई लेना-देना नहीं है.

मालूम हो कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है.

पुलिस के मुताबिक, प्रदेश में जिन स्थानों पर भीड़ और पुलिस के बीच हिंसक वारदात हुईं वहां खोजबीन में प्रतिबंधित बोर के 700 से ज्यादा खोखे बरामद हुए हैं. इससे स्पष्ट है कि गोलियां प्रदर्शनकारियों ने चलायी थीं.

पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने बताया कि 20 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद भीड़ सड़कों पर उतर आयी थी. इनमें छोटे बच्चे आगे थे. थोड़ी ही देर में भीड़ उग्र हो गयी और पथराव तथा आगजनी करने लगी.

उन्होंने कहा कि जिले में अब स्थिति सामान्य है. कुल 32 मामले दर्ज कर 215 आरोपी जेल भेजे गये हैं. हिंसा के तीन प्रमुख षडयंत्रकारियों पर पच्चीस-पच्चीस हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है.

मालूम हो कि नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में देशभर में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से 18 लोग उत्तर प्रदेश के थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)