सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पिछले मंगलवार को सीडीएस का पद बनाए जाने को मंजूरी दी थी जो तीनों सेनाओं से जुड़े सभी मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेगा. सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
नई दिल्ली: सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को सोमवार को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया. सीडीएस का काम सेना, नौसेना और वायुसेना के कामकाज में बेहतर तालमेल लाना होगा.
सरकारी आदेश के मुताबिक सीडीएस के पद पर जनरल रावत की नियुक्ति 31 दिसंबर से प्रभावी होगी.
जनरल रावत ने 31 दिसंबर 2016 को सेना प्रमुख का पद संभाला था. वह मंगलवार को सेवानिवृत्त हो रहे थे. सेना प्रमुख बनने से पहले उन्होंने पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा, चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा और पूर्वोत्तर में विभिन्न संचालनात्मक जिम्मेदारियां संभाल चुके थे.
सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पिछले मंगलवार को सीडीएस का पद बनाए जाने को मंजूरी दी थी जो तीनों सेनाओं से जुड़े सभी मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेगा.
सीडीएस का एक काम संयुक्त/थिएटर कमांड की स्थापना सहित संचालन में संयुक्तता लाने के द्वारा संसाधनों के अधिक उपयोग के लिए सैन्य कमांड के पुनर्गठन की सुविधा प्रदान करना होगा.
अधिकारियों ने कहा कि ऑपरेशन, लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट, ट्रेनिंग, सपोर्ट सर्विसेज, कम्यूनिकेशंस, रिपेयरिंग और तीन साल के भीतर तीनों सेवाओं के रखरखाव में संयुक्तता लाना सीडीएस का एक और बड़ा काम होगा.
1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के सृजन का सुझाव दिया था.
चीफ आफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख होंगे जिसका सृजन रक्षा मंत्रालय करेगा और वह इसके सचिव के रूप में काम करेंगे.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि भारत में तीनों सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस होगा.
अधिकारियों ने बताया कि सीडीएस अन्य सेना प्रमुखों के समान ही होंगे हालांकि प्रोटोकाल की सूची में सीडीएस, सेना प्रमुखों से ऊपर होंगे.
हाल ही में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत नये नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले लोगों की सार्वजनिक आलोचना करके गुरुवार को विवादों में घिर गए थे.
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था, ‘नेता वे नहीं हैं जो गलत दिशाओं में लोगों का नेतृत्व करते हैं, जैसा कि हम बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय और कॉलेज छात्रों को देख रहे हैं, जिस तरह वे शहरों और कस्बों में आगजनी और हिंसा करने में भीड़ की अगुवाई कर रहे हैं. यह नेतृत्व नहीं है.’
सेना प्रमुख ने कहा था कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं, नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को अनुचित दिशा में ले जाएं. नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं.
बिपिन रावत द्वारा दिए गए बयान की कांग्रेस समेत विपक्ष के विभिन्न नेताओं ने निंदा की है.
कांग्रेस नेता चौधरी ने ट्वीट कर कहा था, ‘सीएए को लेकर सेना प्रमुख ने टिप्पणी बहुत आपत्तिजनक, अनैतिक और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की है. ऐसा लगा कि वह एक ऐसे भाजपा नेता हैं जिसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के रूप में पदोन्नति या पुरस्कार मिल रहा है.’
बता दें कि जनरल रावत ने सेना प्रमुख के तौर पर अपने तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान राजनीतिक रूप से तटस्थ नहीं रहने के आरोपों का सामना किया.
सैन्य कानून की धारा 21 के तहत सैन्यकर्मियों के किसी भी राजनीतिक या अन्य मकसद से किसी के भी द्वारा आयोजित किसी भी प्रदर्शन या बैठक में हिस्सा लेने पर पाबंदी है. इसमें राजनीतिक विषय पर प्रेस से संवाद करने या राजनीतिक विषय से जुड़ी किताबों के प्रकाशन कराने पर भी मनाही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)