बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सीएए और एनआरसी पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है. उन्होंने कहा कि भारत से पलटकर कोई प्रवासी नहीं आ रहे लेकिन भारत के अंदर लोग कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.
दुबईः बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और देशव्यापी प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है. हालांकि, इसी के साथ यह भी कहा है कि इस कानून की कोई आवश्यक नहीं थी.
शेख हसीना ने ‘गल्फ न्यूज’ को दिए एक साक्षात्कार में नागरिकता कानून के संदर्भ में कहा, ‘हम नहीं समझ पा रहे हैं कि क्यों (भारत सरकार ने) ऐसा किया. यह जरूरी नहीं था.’
उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश की 16.1 करोड़ आबादी में 10.7 फीसदी हिंदू और 0.6 फीसद बौद्ध हैं और धार्मिक उत्पीड़न की वजह से कोई भी भारत नहीं गया है.’
हालांकि हसीना ने यह भी कहा कि भारत से लोगों के बांग्लादेश पलायन करने की कोई जानकारी नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘नहीं, भारत से पलटकर कोई प्रवासी नहीं आ रहे लेकिन भारत के अंदर लोग कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. हालांकि यह एक आंतरिक मामला है. बांग्लादेश ने हमेशा यह कहा है कि नागरिकता कानून और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं.’
शेख हसीना ने कहा, ‘भारत सरकार ने भी अपनी तरफ से बार-बार दोहराया है कि एनआरसी भारत की एक अंदरूनी कवायद है और प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से अक्टूबर 2019 के मेरे नई दिल्ली के दौरे के दौरान मुझे इसे लेकर आश्वस्त किया था.’
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत के रिश्ते मौजूदा दौर में सर्वश्रेष्ठ हैं और व्यापक क्षेत्रों में सहयोग हो रहा है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नए नागरिकता कानून की वजह से बांग्लादेश ने भारत के साथ कई उच्चस्तरीय बैठकें रद्द कर दी, जिसमें विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन, गृहमंत्री असदुज्जमान खान की बैठकें भी शामिल थीं.
पिछले सप्ताह बांग्लादेश ने विदेशी मामलों के अपने राज्यमंत्री शहरयार आलम के दौरे को भी रद्द कर दिया था. उन्हें दिल्ली में हुए दो दिवसीय रायसीना डायलॉग को संबोधित करना था.
शेख हसीना ने म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों से उनके देश पर पड़ने वाले बोझ के बारे में कहा कि म्यांमार से लाकों की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश आ र हे हैं, जिससे देश की सुरक्षा और स्थिरता प्रभावित हो रही है.
बांग्लादेश के विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि नागरिकता कानून से पलायन की रोहिंग्या जैसी स्थिति पैदा हो सकती है और बड़े पैमाने पर लोग भारत से बांग्लादेश का रुख कर सकते हैं.
उनका यह बयान बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन के उस बयान के बाद आया है कि नागरिकता कानून और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं, लेकिन इस बात पर चिंता जाहिर की थी कि वहां किसी भी तरह की अनिश्चितता का पड़ोस पर असर होगा.
मालूम हो कि नागरिकता कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
10 जनवरी से नागरिकता संशोधन कानून देशभर में लागू हो गया है. इस विवादित कानून के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)