महाराष्ट्र: भाजपा ने सीएए विरोधी रुख को लेकर स्थानीय निकाय के दो नेताओं को किया निलंबित

बीते 28 फरवरी को महाराष्ट्र के परभनी जिले में भाजपा शासित सेलू नगर परिषद ने संशोधित नागरिकता कानून के क्रियान्वयन और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था.

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मुंबई में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते प्रदर्शनकारी. (फोटो: रॉयटर्स)

बीते 28 फरवरी को महाराष्ट्र के परभनी जिले में भाजपा शासित सेलू नगर परिषद ने संशोधित नागरिकता कानून के क्रियान्वयन और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था.

मुंबई में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते प्रदर्शनकारी. (फोटो: रॉयटर्स)
मुंबई में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते प्रदर्शनकारी. (फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: महाराष्ट्र भाजपा ने नगर परिषद के चेयरपर्सन और एक अन्य स्थानीय निकाय के उपप्रमुख को निलंबित कर दिया है जिन्होंने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हाल ही में प्रस्ताव पारित किए थे. नगर परिषद में भाजपा सत्तारूढ़ है.

भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने बुधवार को अपने टि्वटर हैंडल पर निलंबन पत्र पोस्ट किए. हालांकि, उसमें निलंबन अवधि के बारे में नहीं बताया गया है.

पत्रों के अनुसार, परभनी स्थित सेलू नगर परिषद के चेयरपर्सन विनोद बोराडे और पालम नगर परिषद के उपप्रमुख बालासाहेब रोकड़े को पार्टी ने निलंबित कर दिया है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने पत्रों में कहा कि दोनों पार्टी नेताओं ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ मतदान करके अनुशासनहीनता दिखाई है, इसलिए उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया है.

बता दें कि, बीते 28 फरवरी को महाराष्ट्र के परभनी जिले में भाजपा शासित सेलू नगर परिषद ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के क्रियान्वयन और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था.

परिषद के अध्यक्ष विनोद बोराडे ने सोमवार को बताया कि नगर परिषद में 27 पार्षद हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रस्ताव 28 फरवरी को बिना किसी विरोध के बहुमत से पारित किया गया.’ उन्होंने कहा कि स्थानीय जन प्रतिनिधि ऐसे कदम के पक्ष में थे.

बोराडे ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव के पारित होने के दो दिन पहले एक बैठक बुलाई थी जिसकी मांग एनसीपी, कांग्रेस के सदस्यों और मुस्लिम समुदाय के सात पार्षदों ने की थी.

सीएए पिछले साल दिसंबर में संसद में पारित हुआ था. इसमें 31 दिसम्बर, 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आकर भारत में बसे गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

इस नए नागरिकता कानून के खिलाफ तब से ही देश के कई हिस्सों में विरोध जारी है जबकि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा स्पष्ट कर चुकी है कि इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)