योगी सरकार ने एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के नाम और पते के साथ लखनऊ में होर्डिंग्स लगवाए

लखनऊ में कई स्थानों पर लगाए गए इन होर्डिंग्स में प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना भरने को कहा गया है.

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लखनऊ में कई स्थानों पर लगाए गए इन होर्डिंग्स में प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना भरने को कहा गया है.

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कार्यकर्ता सदफ़ जफ़र (फोटो साभारः फेसबुक)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के दौरान कथित रूप से हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले आरोपियों की फोटो और उनके पते सहित कई होर्डिंग लखनऊ के कई जगहों पर लगवा दिए हैं.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस होर्डिंग में इन लोगों से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में जुर्माना भरने को कहा गया है. इन होर्डिंग्स में कहा गया है कि अगर ये लोग जुर्माना नहीं देते हैं तो इनकी सपंत्ति जब्त कर ली जाएगी.

हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि जब इन लोगों को पहले ही व्यक्तिगत स्तर पर नोटिस दिया जा चुका है तो ऐसे में राज्य सरकार ने इस तरह होर्डिंग्स क्यों लगवाएं हैं.

जिन लोगों की होर्डिंग्स में तस्वीरें हैं, उनमें कार्यकर्ता और नेता सदफ जाफर, वकील मोहम्मद शोएब, थियेटर से जुड़े कलाकार दीपक कबीर, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी जैसे लोग शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम पर सदफ जाफर कहती हैं, ‘हमारे नाम, फोटो और घर का पता इस तरह सार्वजनिक कर सरकार हमारी जिंदगी और हमारी सुरक्षा को खतरे में डाल रही है. मैं अपने वकीलों से सलाह ले रही हूं और हम जल्दी ही इस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे.’

वहीं थिएटर कलाकार दीपक कबीर ने कहा, ‘आप (सरकार) हमारे घर का पता जानते हो. हमारे पास नोटिस है, तो यह करने की क्या जरूरत थी? क्या यह डर पैदा करने के लिए है? अगर है तो फिर कैसे किसी भी सरकार को सुशासन कहा जा सकता है.’

ये सभी लोग जमानत पर बाहर हैं और इनका कहना है कि वे सरकार की ओर से संपत्ति जब्त करने के फरमान के खिलाफ अदालत का रुख करेंगे.

इन लोगों को जमानत देते हुए अदालत ने कहा था कि इनमें से कई के खिलाफ लगाए गए आरोप को साबित करने के लिए पुलिस सबूत नहीं दे पाई है. सूत्रों का कहना है कि लखनऊ में इस तरह के होर्डिंग्स लगाने का आदेश सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से आया है.

दिसंबर महीने में हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक विवादित बयान देते हुए प्रदर्शनकारियों से बदला लेने की बात कही थी.

उन्होंने कहा था, ‘हम इस पर सख्ती से निपटेंगे. मैं खुद इसकी निगरानी कर रहा हूं. जो भी हिंसा में शामिल हैं उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी और कई चेहरों को वीडियोग्राफी और सीसीटीवी में पहचान लिया गया है. हम उनकी संपत्ति जब्त करेंगे और ऐसे लोगों से बदला लेंगे.’

इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई हिंसा के संबंध में विभिन्न शहरों की पुलिस और जिला प्रशासन ने लोगों को नोटिस भी भेजे थे.

सबसे अधिक 200 नोटिस मुरादाबाद में दिए गए. लखनऊ में 100, बिजनौर में 43, गोरखपुर में 33 और फिरोजाबाद में 29 लोगों को नोटिस दिए गए थे.