राज्यसभा नामांकन के प्रस्ताव को स्वीकार करने की पुष्टि करते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वे शपथ लेने के बाद इस मामले पर विस्तार से बात करेंगे.
नई दिल्ली: एक अप्रत्याशित कदम के तहत सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किए जाने के बाद देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई मंगलवार को कहा कि वे नामांकन के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे और संसद में उनकी उपस्थिति विधायिका के सामने न्यायपालिका के नजरिए को पेश करने की होगी.
मंगलवार को गुवाहाटी में पत्रकारों से बात करते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘मैं संभवतया कल दिल्ली जाऊंगा. मुझे पहले शपथ लेने दीजिए और फिर इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बारे में मीडिया से विस्तार से बात करूंगा.’
Former Chief Justice of India, Ranjan Gogoi: I'll go to Delhi probably tomorrow. Let me first take the oath then I will speak in detail to the media that why I accepted this and why I am going to Rajya Sabha. (file pic)
He has been nominated to Rajya Sabha by President Kovind. pic.twitter.com/aqRxtDtykl
— ANI (@ANI) March 17, 2020
प्रतिदिन टाइम्स के अनुसार, गोगोई ने कहा, ‘मैंने इसे स्वीकार किया क्योंकि मेरा दृढ़ता के साथ मानना है कि राष्ट्र निर्माण के लिए किसी न किसी बिंदु पर विधायिका और न्यायपालिका को एक साथ काम करना चाहिए.’
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उन्हें राज्यसभा भेजने का फैसला लिए जाने की आलोचना पर भी प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने कहा, ‘भगवान मुझे संसद में एक स्वतंत्र आवाज़ बनने की शक्ति दें. मुझे काफी कुछ कहना है लेकिन पहले मुझे संसद में शपथ ग्रहण कर लेने दीजिए और फिर मैं अपनी बात रखूंगा.’
गौरतलब है कि पूर्व सीजेआई गोगोई पिछले साल नवंबर में रिटायर हुए थे. जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश का पदभार संभाल था. वह पूर्वोत्तर से न्यायपालिका के इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली पहली हस्ती थे.
बता दें कि रिटायर होने से कुछ दिनों पहले रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाया था. अयोध्या मामले के अलावा गोगोई ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), रफाल विमान सौदा, सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को हटाए जाने, सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों में सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व कर चुके हैं.
पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप भी लग चुके हैं. हालांकि जांच समिति उन्हें इस मामले में क्लीनचिट दे चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था.
जस्टिस गोगोई तब सुर्ख़ियों में आए थे जब निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली को लेकर 12 जनवरी 2018 को जस्टिस जे. चेलमेश्वर के नेतृत्व में चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इन न्यायाधीशों में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यायाधीशों ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश पर कई आरोप लगाए थे.
भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में संभवत: यह ऐसी पहली घटना थी.