संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बेहद प्रारंभिक पूर्वानुमान है और 10 मार्च तक उपलब्ध आंकड़ों और सूचनाओं पर आधारित है.
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. साथ ही रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया भर में गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ‘एशिया और प्रशांत का आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण (ईएससीएपी) 2020: संवहनीय अर्थव्यवस्थाओं की ओर’ में कहा गया है कि क्षेत्र में कोविड-19 का दूरगामी आर्थिक और सामाजिक परिणाम हुआ है और सीमा पार व्यापार, पर्यटन तथा वित्तीय संबंध सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की वृद्धि दर घटकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रह सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बेहद प्रारंभिक पूर्वानुमान हैं और 10 मार्च तक उपलब्ध आंकड़ों और सूचनाओं पर आधारित हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि कोविड-19 महामारी अभी भी तेजी से बढ़ रही है, इसलिए एशिया और प्रशांत की अर्थव्यवस्थाओं पर इसका नकारात्मक असर बहुत अधिक होने की आशंका है.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमानों में पहले की तुलना में काफी कमी आई है और बेरोजगारी बढ़ने से भी उपभोक्ता भावनाएं प्रभावित हुई हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को निर्यात के साथ ही कृषि गतिविधियों संबंधी चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है.
इसके अलावा वैश्विक बैंकिंग समूह गोल्डमैन सैश ने यह अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास दर 1.6 फीसदी पर आ सकती है.
गोल्डमैन ने इससे पहले 22 मार्च के अनुमान में कहा था कि 2020-21 में भरत की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रह सकती है. अब उसने इसे घटाकर 1.6 प्रतिशत कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार इस बार हालात 1970 तथा 1980 के दशक के और 2009 के झटकों से भी गहरे हो सकते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)