चीन में 44 फीसदी लोगों को लक्षण नहीं दिखने वाले लोगों से हुआ कोरोना संक्रमण: शोध

चीन के गुवांग्झू अस्पताल में कोरोना के 94 मरीजों पर किए इस शोध के कहा गया है कि कोरोना को कम करने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बेहद ज़रूरी है. जब लक्षण दिखने से पहले ही 30 फीसदी से ज्यादा संक्रमण फैल जाता है, ऐसे में कम संख्या में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कम लोगों के आइसोलेशन से ज़्यादा फायदा नहीं होता.

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(फोटोः पीटीआई)

चीन के गुवांग्झू अस्पताल में कोरोना के 94 मरीजों पर किए इस शोध के कहा गया है कि कोरोना को कम करने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बेहद ज़रूरी है. जब लक्षण दिखने से पहले ही 30 फीसदी से ज्यादा संक्रमण फैल जाता है, ऐसे में कम संख्या में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कम लोगों के आइसोलेशन से ज़्यादा फायदा नहीं होता.

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बीजिंगः एक पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चला है कि चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में से 44 फीसदी को ऐसे लोगों से संक्रमण हुआ है, जिनमें इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह शोध ‘नेचर मेडिसिन’ पत्रिका में 15 अप्रैल को प्रकाशित हुआ था. देश के गुवांग्झू अस्पताल में भर्ती कोरोना के 94 मरीजों पर यह शोध किया गया था.

इस शोध में कहा गया, ‘हमें यह पता चला है कि लक्षणों की शुरुआत में ही गले में वायरस का संक्रमण चरम पर होता है. हमारा अनुमान है कि ऐसे 44 फीसदी सेकेंडरी मामलों में संक्रमण इसी दौरान होता है. अगर कोरोना वायरस के लक्षण किसी मरीज में दिखने के बाद नियंत्रण उपाय किए जाएं तो इस बीमारी को काफी हद तक फैलने से रोका जा सकता है.’

सिंगापुर (48 फीसदी) और तियानजिन (62 फीसदी) में कोरोना के लक्षण दिखने से पहले ही वायरस फैलने का अनुमान लगाया गया था. लक्षणों की शुरुआत में आइसोलेशन के बहुत मामले थे इसलिए संक्रमण के फैलन के मामले बहुत सीमित हो गए थे.

भारत में टेस्टिंग प्रक्रिया उन मामलों पर केंद्रित हैं, जहां लक्षण दिखाई दे रहे हैं. मौजूदा समय में भारत में उन लोगों की टेस्टिंग की जा रही है, जो बीते 14 दिनों में किसी विदेश यात्रा से लौटे हैं, जांच प्रयोगशालाओं से कंफर्म मामले, कोरोना के लक्षण दिख रहे स्वास्थयकर्मी, सीवियर एक्यूट रिस्पाइरेटरी इलनेस के मरीज, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तय किए हुए हॉटस्पॉट क्षेत्रों में फ्लू के लक्षण दिखाई देने वाले लोग, इन सभी के टेस्ट कराए जा रहे हैं.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने 15 फरवरी से दो अप्रैल के बीच एसएआरआई के 5,911 मरीज़ों का टेस्ट किया था, जिसमं 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 52 जिलों में कोरोना के 104 मामले पॉजिटिव पाए गए थे.

हालांकि भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बिना लक्षणों वाले लोगों से वायरस के संक्रमण का प्रतिशत बेहद सीमित है जिसके लिए टेस्टिंग रणनीति बदलने की जरूरत नहीं है.

पत्रिका के इस शोध में कहा गया, ‘कोरोना को कम करने के लिए बेहद जरूरी है कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए. जब लक्षण दिखने से पहले ही 30 फीसदी से ज्यादा संक्रमण फैल जाता है, तो ऐसे में कम संख्या में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और कम लोगों के आइसोलेसन से बड़ा फायदा नहीं होने वाला. इसक लाभ उसी स्थिति में होगा, जब संक्रमित व्यक्ति की 90 फीसदी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए.’

इसमें कहा गया, ‘अगर संक्रमण के लक्षण दिखने से दो से तीन दिन पहले ही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए तो इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. चीन और हॉंगकांग ने बीते फरवरी से ऐसा ही किया है इस वजह से वहां कोरोना के मामले घटे हैं.’

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