मुंबई के वर्ली इलाके में हुई घटना में मृतक के परिवारवालों ने आरोप लगाया है कि आठ अस्पतालों बेड की कमी बताकर भर्ती करने से इनकार कर दिया था. नवी मुंबई में हुई घटना में दो अस्पतालों द्वारा मना करने के बाद एक वकील का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.
मुंबई: कोरोना वायरस की वजह से देश में जारी लॉकडाउन के बीच विभिन्न अस्पतालों द्वारा भर्ती किए जाने से इनकार के बाद महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में दो लोगों की मौत का मामला सामने आया.
एक घटना नवी मुंबई जबकि दूसरी घटना वर्ली इलाके में घटित हुई.
वर्ली इलाके में हुई घटना में एक 49 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. परिवारवालों ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक उन्होंने आठ अस्पतालों में उन्हें भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन सभी अस्पतालों ने इनकार कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मृतक सुदर्शन रसल के बाद छोटे भाई आदिवान रसल ने बताया, ‘मेरे भाई को अगर समय पर वेंटिलेटर मिल गया होता तो उन्हें बचाया जा सकता था. तबरीबन आठ घंटे तक हम एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक हम भटकते रहे. हर अस्पताल से हमने मिन्नतें की कि उन्हें भर्ती कर ले, लेकिन सारे प्रयास बेकार हो गए और हमने उन्हें खो दिया.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक वर्ली मुंबई के कोरोना वायरस हॉटस्पॉट में से एक है. यहां बीते शुक्रवार तक 388 पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं, जो कि मुंबई में किसी भी वार्ड से ज़्यादा है.
सुदर्शन पेशे से टैक्सी ड्राइवर थे और वर्ली के महिंद्रा टावर से प्रभादेवी रेलवे स्टेशन के बीच टैक्सी चलाते थे.
सुदर्शन को कफ और सांस लेने की समस्या था. उन्हें डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की भी शिकायत थी. शुक्रवार 17 अप्रैल की रात सांस लेने में तकलीफ के बाद परिवार उन्हें कस्तूरबा अस्पताल लेकर गया था.
आदिवान ने आरोप लगाया है कि यहां डॉक्टरों ने बिना कोई जांच किए ही कह दिया वे कोरोना वायरस पॉजिटिव नहीं हैं.
परिवार का कहना है कि उस दिन रात में वे नायर अस्पताल, सेंट जॉर्ज, केईएम, ईएनटी अस्पताल, ग्लोबल, हिंदुजा और नानावटी अस्पताल ले गए और सुबह सुदर्शन की मौत हो गई. परिवार ने आरोप लगाया कि बीएमसी और निजी अस्पतालों ने बेड की कमी होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, ये लोग वर्ली के बवन चाल में रहते हैं, जिसे पिछले हफ्ते ही संक्रमित क्षेत्र घोषित किया गया है क्योंकि उनके घर से एक किलोमीटर दूर कोरोना वायरस का एक मामला सामने आया था. वर्ली इलाके के कई इलाके संक्रमित हैं.
मालूम हो कि पूरे देश में महाराष्ट्र कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह से प्रभावित राज्य हैं. यहां इस महामारी के संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. यहां सोमवार तक 4,203 मामले सामने आ चुके हैं और अब तक 223 लोगों की मौत हो चुकी है.
दो अस्पतालों द्वारा इनकार के बाद वकील की मौत
दो अस्पतालों द्वारा नवी मुंबई एक महिला के पेशे से वकील पति को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया. महिला के पति को दिल का दौरा पड़ा था.
एंबुलेंस में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ने के बाद 56 वर्षीय वकील जयदीप सावंत को अंतत: एक चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सावंत की पत्नी दीपाली ने यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में उनके पति ने परेशान पड़ोसियों को जरूरी सामान पहुंचाने की पहल की थी, लेकिन उन्हें समय से मदद न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई.
नवी मुंबई के वाशी इलाके के सेक्टर-17 के निवासी सावंत को 14 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ा था. दिन का खाना खाने के बाद वह बेहोश हो गए थे.
उनकी पत्नी ने कहा, ‘उनकी नब्ज चल रही थी. वह उस वक्त तक जिंदा थे. मैंने तुरंत एंबुलेंस बुलाई और उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया.’
दीपाली ने कहा, ‘लेकिन अस्पताल के सुरक्षा गार्ड ने गेट तक नहीं खोला. उन्होंने कहा कि वे बस कोविड-19 मरीजों को भर्ती करते हैं और किसी अन्य आपात मामले को नहीं.’
वे फिर सेक्टर 10 के निगम अस्पताल गए लेकिन उन्हें भीतर नहीं जाने दिया गया. इसके बाद वे नेरूल के डीवाई पाटिल अस्पताल गए.
सावंत की पत्नी ने कहा, ‘जब तक हम वहां पहुंचे, 30 मिनट बर्बाद हो चुके थे और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)