घटना हज़ारीबाग ज़िले में हुई, जहां रामगढ़ के पतरातू के रहने वाले 25 साल के जाबिर अंसारी को चोरी के इल्ज़ाम में उग्र भीड़ ने बेरहमी से पीटा. पीड़ित के परिजनों ने उनकी मुस्लिम पहचान के चलते पीटे जाने का आरोप लगाया है.
रांची: झारखंड के हज़ारीबाग़ जिले में शनिवार को चोरी की अफवाह पर उग्र भीड़ ने 25 वर्षीय जाबिर अंसारी उर्फ राजू की बेरहमी से पिटाई कर दी. इस मामले में अब तक कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पीड़ित जाबिर रामगढ़ जिले के पतरातू प्रखंड के जयनगर के रहने वाले हैं और वाल पुट्टी का काम करते हैं.
घटना 18 अप्रैल की रात की है, जिसका वीडियो जाबिर के मोहल्ले के एक व्यक्ति ने वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया था.
इस वीडियो में एक शख्स नज़र आता है, जिसके शरीर के ऊपरी हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं है. वह ज़मीन पर अपने सिर पकड़े पड़ा है और भीड़ ने उसे घेरा हुआ है. लोग उसे लाठी और डंडे से पीट रहे हैं.
जाबिर उनसे छोड़ देने और बचाव की गुहार लगाते नज़र आ रहे हैं. वहीं भीड़ में शामिल लोग उसे जान से मार देने की भी धमकी दे रहे हैं.
19 अप्रैल को ट्विटर पर इस घटना का वीडियो के सामने आने पर रामगढ़ पुलिस ने 20 अप्रैल को जवाब दिया था, ‘हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि घटना कहां हुई और मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी क्योंकि हमें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है.’
We are trying to find out where the incident happened and will take necessary action accordingly as we have not received any call regarding this.
— Ramgarh Police (@RamgarhPolice) April 19, 2020
घटना के बारे में जाबिर के भाई साबिर अंसारी बताते हैं, ‘भाभी गर्भवती थी इसलिए भैया उनको छोड़ने अपने ससुराल गए हुए थे. यह हादसा ससुराल से वापस लौटने के दौरान हुआ.’
जाबिर अंसारी की शादी पांच महीने पहले गिद्दी थानाक्षेत्र के हैदरनगर, पछाड़ी गांव में हुई है, जहां से वे उस रात लौट रहे थे.
साबिर ने बताया, ‘भैया रास्ते में पेशाब करने के लिए टेहराटांड़ में रुके थें. उसी बीच वहां कुछ लोग आ गए और उनसे नाम पूछा. भैया ने अपना नाम राजू बताया. इससे वह लोग भैया की पहचान नहीं कर पाएं.
वे आगे बताते हैं, ‘फिर उन्होंने असली नाम पूछा तब भैया ने अपना नाम जाबिर अंसारी बताया और इसके वह लोग उन्हें मुसलमान बताकर मारने पीटने लगे.’
जब उनसे पूछा गया कि वीडियो में भीड़ में से कुछ लोग जाबिर को बच्चा चोर बता रहे थे. इस पर साबिर ने कहा, ‘कोई तो वजह चाहिए न मारने के लिए इसलिए वो सब कहा जा रहा है.’
पीड़ित जाबिर के घरवालों को घटना की खबर सुबह 19 अप्रैल को हुई, जब जाबिर के परिजनों को फोन से मालूम हुआ कि उनके बेटे को पुलिस वाले थाने ले गए हैं और उन्हें आधार कार्ड लेकर थाने में बुलाया गया है.
साबिर ने बताया कि वो अपने पिता अलीजान अंसारी के साथ रविवार सुबह गिद्दी थाना पहुंचे. उन्हें लगा था कि जाबिर ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया है इसलिए उसे पुलिस ने पकड़ रखा है.
जाबिर के पिता अलीजान बताते हैं, ‘थाने पहुंचने के बाद देखा कि हमारा लड़का बेंच पर बैठा था. हमें लगा पुलिस ने उसे तालाबंदी का उल्लंघन करने की वजह से पकड़ लिया है इसलिए हम उल्टा पुलिस से माफी मांगते हुए उसे छोड़ने की गुहार लगाने लगे.
उन्होंने बताया, ‘थाने में हमसे एक कागज़ पर अंगूठा लगाने को कहा गया. हम लोग अनपढ़ है. हमें नहीं पता था कि उस कागज़ में क्या लिखा था. कहा गया अंगूठा लगाने तो लगा दिया.’
इसके बाद वे गिद्दी थाने से पीड़ित को लेकर घर आ गए थे. जाबिर के पिता जिस कागज़ के बारे में बात कर रहे थे, वह एक जिम्मानामा था.
जिसमें लिखा गया था, ‘मैं अलीजान अंसारी पतरातू थाना अंतर्गत जयनगर का रहने वाला हूं . 18 तारीख़ को जाबिर अंसारी बिना बोले घर से निकल गए थे. मुझे दिनांक 18-04-20 पता चला कि मेरा बेटा गिद्दी थाना में है. जिसको मैं 19 तारीख को हमारे संबंधी मुनव्वर अंसारी, गिद्दी पंचायत के मुखिया हीरालाल की उपस्थिति में हम अपने लड़के जाबिर अंसारी को सही सलामत अपने साथ घर ले जा रहा हूं और मैं अपने लड़के को ले जाकर रांची कांके में समुचित इलाज करूंगा.’
अलीजान आगे बताते हैं, ‘जब हम घर पहुंचे तब मोहल्ले (जयनगर) के एक व्यक्ति ने पढ़कर बताया कि इस जिम्मानामा में क्या लिखा है.’
उनका कहना है कि पुलिस ने जाबिर के मानसिक संतुलन को खराब बताया जबकि ऐसा नहीं है.
उन्होंने आगे बताया कि घर पहुंचने के बाद जब जाबिर ने अपना शर्ट उतारा, तो उनके शरीर की चोटों को देखकर उनकी मां बेहोश हो गईं.
अलीजान आगे बताते हैं, ‘घर आने के बाद हमने जाबिर पर भीड़ के हमले का वीडियो देखा. वीडियो में पुलिस मेरे बेटे को बिना किसी कपड़ों के पकड़कर ले जा रही है. पुलिस को कम से कम एक तौलिया तो देना चाहिए था उसे! हम शर्मसार हैं.’
घटना के दो दिन बाद स्थानीय पतरातू थाने की टीम 20 अप्रैल को रात करीब दो बजे के करीब जाबिर के घर पहुंची. उसके बाद जाबिर को ब्लॉक मोड़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया.
उनकी हालात को बिगड़ता देख वहां से उन्हें रांची के राजेन्द्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) रेफर कर दिया गया.
साबिर बताते हैं, ‘भैया को सिर में काफी ज्यादा चोटें आई है. मगर डॉक्टर ने टेस्ट के तुरंत बाद बताया कि सब ठीक है आप इसे घर ले जाइये.’
वे आगे कहते हैं, ‘शायद चोट की वजह से वे उल्टी-सीधी हरकतें कर रहे हैं, ऐसे में हम उन्हें घर कैसे ले जाएं?’
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बताया गया है कि इस मामले में गिद्दी थाने में आईपीसी की धारा 307, 147,148, 149, 323, 341, 295 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
हालांकि एफआईआर की प्रति मांगने पर बाद में कॉल करने को कहा गया. बुधवार दोपहर 12 बजे तक इस संबंध में पुलिस द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है.
एसपी मयूर पटेल से इस घटना के बारे में द वायर को बताया, ‘जैसे ही प्रशासन को घटना की जानकारी मिली हमारी टीम घटनास्थल पर पहुंच गई और पीड़ित को रेस्क्यू किया. इस मामले में 13 लोगों को नामजद किया गया है, जिसमें से 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. मामले की जांच के लिए एक टीम का गठन किया है और जांच जारी है.’
नामज़द में से चार लोगों अर्जुन रवानी, नकुल रवानी, अभिमन्यु कुमार, अशोक महली, संजय गंझू व शंकर महली को गिद्दी पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वहीं पांच अन्य आरोपी फ़रार हैं.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक नामजद आरोपी मुकेश गंझू की रविवार को सड़क दुर्घटना में जान चली गई.
प्रभात खबर के मुताबिक अधिकारियों को इस मामले की जानकारी न देने पर गिद्दी थाना प्रभारी सह बड़कागांव इंस्पेक्टर धीरेंद्र मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है.
बताया गया है कि उन्होंने घटना की जानकारी हज़ारीबाग़ एसपी, डीएसपी या अन्य किसी वरीय अधिकारी को नहीं दी थी और न तो इस मामले में एफआईआर दर्ज की गयी थी.
इसे लेकर एडीजी (अभियान) एसएल मीणा के निर्देश पर हज़ारीबाग़ के डीआईजी पंकज कांबोज ने धीरेंद्र मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. हज़ारीबाग़ एसपी मयूर पटेल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी दिया है.
ऐसे समय में जब पूरे भारत में लॉकडाउन जारी है, उस दौरान भीड़ का जमा होना और किसी को पकड़कर बेरहमी से पीटना क्या प्रशासनिक चूक नहीं है?
एसपी मयूर पटेल कहते हैं, ‘हम गश्त तो कर ही रहे हैं लेकिन कोई घटना अचानक से घट जाए तो क्या कर सकते हैं? हर जगह तो पुलिस नहीं हो सकती न.’
उनका यह भी कहना है, ‘वायरल हुए वीडियो की मदद से हम आरोपियों की पहचान में लगे हुए हैं. किसी को भी कानून अपने हाथ में लेना का अधिकार नहीं है.’
लोगों के इस तरह इकट्ठे होकर किसी अनजान व्यक्ति को मारने की वजह क्या हो सकती है, एसपी पटेल बताते हैं, ‘टेहराटांड़ गांव में कुछ दिन पहले बैटरी चोरी हुई थी. इसके बाद से गांव में लोग चौकन्ने हो गए. घटनास्थल के नज़दीक एक स्कूल है. उसी स्कूल के गॉर्ड ने जाबिर को वहां देखा और लोगों को इकठ्ठा किया.’
हालांकि एक वीडियो में भीड़ में किसी व्यक्ति को जाबिर को बच्चा चोर बताते हुए सुना जा सकता है. इस घटना से जुड़े कई सारे वीडियो और तस्वीरें सामने आए हैं.
एक तस्वीर में जाबिर बिना शर्ट के खड़े दिख रहे हैं और उनके पीछे पुलिस की गाड़ी खड़ी है. तब तक पीड़ित के शरीर के किसी हिस्से से खून या चोट के निशान नज़र नहीं आते हैं. वहीं एक अन्य वीडियो में पीड़ित बुरी तरह से घायल नज़र आ रहा है, माथे पर चोट लगी है, छाती पर खून लगा हुआ है, यह कैसे हुआ?
इस बारे में एसपी पटेल कहते हैं, ‘पुलिस जब उसे पकड़कर अपनी गाड़ी में ले जा रही थी तब वह चलती गाड़ी से कूद गया जिसकी वजह से उसे चोट लगी.’
पुलिस द्वारा जाबिर को नग्न स्थिति में ले जाने पर सवाल करने पर उन्होंने कहा, ‘जब कोई भीड़ से घिरा होता है तो पहले हम उसे बचाने की कोशिश करते हैं. बाद में हमने उसे कपड़े भी पहनाए और इलाज भी करवाया.’
लेकिन सामने आए सभी वीडियो और तस्वीरों को देखें तो एसपी पटेल की बात सही नजर नहीं आती है.
एक वीडियो में पुलिस की गाड़ी के सामने जाबिर पैंट पहने खड़े दिखते हैं और कोई चोट के निशान भी नज़र नहीं आ रहे, लेकिन एक दूसरे वीडियो में पुलिस जाबिर को बिना कपड़ों के पकड़कर ले जा रही है.
एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पीड़ित के जांघ पर खून लगा है और शरीर पर कई चोटें भी हैं.
घटना के संबंध में पीड़ित जाबिर अंसारी से भी बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके पिता ने बताया कि जाबिर के चेहरे पर चोट आई है जिसके कारण उन्हें बोलने में तकलीफ हो रही है.
जाबिर के परिजनों का कहना है, ‘हमें पैसा या कुछ और नहीं चाहिए, हमें इंसाफ चाहिए. हमारे बेटे को मारने वालों को कानून के तहत सज़ा होनी चाहिए वरना हम सब भी अपनी जान दे देंगे.’
झारखंड में भीड़ द्वारा हमले का यह पहला मामला नहीं है. बीते कुछ वर्षों में राज्य में विभिन्न अफवाहों के आधार पर भीड़ की हिंसा के कई मामले सामने आए हैं.
साल जून 2017 में रामगढ़ जिले में गोमांस ले जाने के आरोप में मोहम्मद अलीमुद्दीन अंसारी की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.
इसके बाद जुलाई 2018 में इस हत्या के दोषी ठहराए गए 8 अभियुक्तों को जमानत मिली थी, इसके बाद इनके जेल से निकलने पर भाजपा नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने इनका फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया था.
राज्य में लिंचिंग की सामने आई आखिरी घटना जून 2019 में हुई थी, जब सरायकेला खरसावां में तबरेज़ अंसारी की चोरी के आरोप में भीड़ ने बेरहमी से पिटाई की थी, जिसके कुछ रोज़ बाद अंसारी की मौत हो गई थी.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)