लॉकडाउन में श्रमिकों की समस्याओं का सरकार शीघ्र समाधान करे: मेधा पाटकर

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे के निकट विरोध प्रदर्शन किया.

देशव्यापी लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के लिए सहायता की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के बड़वानी में धरने पर बैठीं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर. (फोटो: सोशल मीडिया)

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे के निकट विरोध प्रदर्शन किया.

देशव्यापी लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के लिए सहायता की मांग को लेकर  मध्य प्रदेश के बड़वानी में धरने पर बैठीं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर. (फोटो: सोशल मीडिया)
देशव्यापी लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के लिए सहायता की मांग को लेकर मध्य प्रदेश के बड़वानी में धरने पर बैठीं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर. (फोटो: सोशल मीडिया)

बड़वानी (मध्य प्रदेश): कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे के निकट विरोध प्रदर्शन किया.

पाटकर ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि प्रतिबंध बिना किसी योजना के लगाए गए तथा राज्य और केंद्र की बीच कोई समन्वय नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘श्रमिक बिना वेतन लिए अपने घर से निकल गए हैं. उन्हें जीवित रहने के लिए खाद्यान्न मुफ्त नहीं तो मामूली कीमत पर दिया जाना चाहिए.’

पाटकर ने कहा कि श्रमिक राष्ट्रीय राजमार्ग पर असहाय रूप से चल रहे हैं. वे अपने श्रम से उत्पादित सामान से लदे ट्रकों पर भी सवार नहीं हो सकते हैं. जैसी व्यवस्था विद्यार्थियों के लिए की गयी वैसी श्रमिकों के लिए भी होनी चाहिए. लेकिन इस देश में ऐसी सरल समझ का भी अभाव है.

एनडीटीवी के अनुसार, पाटकर ने कहा, ‘देश के श्रमिक हर क्षेत्र में अपना योगदान देते हैं वो चाहे जीडीपी में हो, उत्पादन में हो या वितरण में हो. लेकिन उनका कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है. मजदूर मालिकों से बगैर वेतन लिए घर के लिए निकल पड़े हैं. न राशन मिला न राहत, हर किसी को मुफ्त में न सही कुछ पैसे में राशन दिया जाए. लेकिन एक व्यक्ति का 5 किलो अनाज में महीना नहीं बीत सकता. ऐसी स्थिति में लॉकडाउन बगैर नोटिस दिए अचानक लागू किया, आज हजारों मजदूर नेशनल हाईवे पर पैदल चल पड़े हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हर राज्य अपनी सीमा पर मेडिकल टेस्ट करता है लेकिन वो आगे का राज्य मान्य नहीं करता है और न ही कोई सर्टिफिकेट या पास जारी करता है. मजदूर जो भाड़े पर वाहन ला रहे हैं उससे नहीं जा सकते. उसका कोई मतलब नहीं. लेकिन हर एक मिनट पर जो वाहन हाईवे से गुजर रहे जिनमें औद्योगिक उत्पादित या खेती उत्पादित वस्तुएं जा रही हैं, जिसे मालिक नहीं मजदूर की मेहनत लगती है. लेकिन उस ट्रक पर मजदूर बैठाने का काम पुलिस नहीं कर रही. इस पूरी व्यवस्था में अव्यवस्था कारण है. मजदूर की अवमानना और उनके प्रति असेवदंनता है.’

पाटकर ने मांग की कि श्रमिकों को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं अपात स्थिति कोष (पीएम-केयर्स फंड) से सहायता दी जानी चाहिए.

उन्होंने सामाजिक संगठनों से इस मामले में अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने की भी अपील की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)