गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि राज्य प्रशासन की ये जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके नागरिक भूखे न रहें. गुजरात के सूरत शहर में घर भेजे जाने की मांग को लेकर मजदूर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: दिहाड़ी मजदूरों, प्रवासी मजदूरों और लॉकडाउन में फंसे लोगों की पीड़ा बयां करती खबरों पर गुजरात हाईकोर्ट ने बीते सोमवार को स्वत: संज्ञान लिया.
लाइव लॉ के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बड़ी संख्या में लोग भूखे हैं और प्रवासी मजदूर सबसे ज्यादा पीड़ित हैं.
जस्टिस जेबी पर्दीवाला और इलेश जे. वोरा की पीठ ने कहा, ‘लोग बिना भोजन या आश्रय के हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि ये सब पूर्ण लॉकडाउन के चलते हुआ है. जो भी छोटी-मोटी मदद गरीब लोगों को एनजीओ, वॉलेंटियरों या किसी धर्मार्थ संस्थाओं से मिलती थी वो भी पूरी तरह से रुक गई हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘रिपोर्ट से पता चलता है कि एलिसब्रिज (अहमदाबाद) के करीब फुटपाथ पर रह रहें 200 से ज्यादा लोगों को पिछले चार दिनों से भोजन का एक निवाला भी नहीं मिला है. रिपोर्ट के मुताबिक पहले कुछ वॉलेंटियर मदद के लिए आ जाते थे लेकिन पूर्ण लॉकडाउन के चलते ये सब भी बंद हो गया है.’
कोर्ट ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि राज्य प्रशासन की ये जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके नागरिक भूखे न रहें.
कोर्ट ने आगे कहा, ‘ऐसा लगता है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर जा रही है. हालांकि राज्य सरकार स्थिति को संभालने का काम कर रही है फिर भी हमें लगता है कहीं तो कुछ गलत है. ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के बीच तालमेल अच्छा नहीं है. इस समय सबसे ज्यादा मानवतावादी प्रवृति के साथ काम करने की जरूरत है.’
हाईकोर्ट पीठ ने निर्देश दिया कि अहमदाबाद और इससे आसपास के इलाकों समेत गुजरात राज्य के अन्य भागों में फूड पैकेट्स बांटने के सभी जरूरी इंतजाम किए जाएं.
कोर्ट ने अपने गृह राज्य जाने की कोशिश कर रहे प्रवासियों की दयनीय स्थिति पर भी संज्ञान लिया.
कोर्ट ने राज्य प्रशासन की सराहना की कि वे लोगों को उनके घर भेजने के लिए ट्रेन, बस इत्यादि का इंतजाम कर रहे हैं, लेकिन ये भी कहा कि लोग ट्रेन या बस तक पहुंच पाए उससे पहले उन्हें कई घंटों करीब 45 डिग्री की धूप में यात्रा कर स्टॉप तक पहुंचना पड़ता है.
कोर्ट ने निर्देश दिया, ‘राज्य अथॉरिटी को कुछ बेहतर प्लान तैयार करना चाहिए ताकि पूरी प्रक्रिया आसान हो सके और प्रवासी मजदूरों को ट्रेन या बस पकड़ने से पहले कई घंटों का इंतजार या परेशानी न झेलनी पड़े.’
इसके अलावा कोर्ट ने राज्य के डीजीपी के उस बयान पर भी संज्ञान लिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि पैदल यात्रा करके घर जा रहे लोगों को रोका जाए और उन्हें शेल्टर होम में रखा जाए.
इसे लेकर कोर्ट ने नोटिस जारी कर सरकार से पूछा है कि पूरे राज्य में इस समय कहां-कहां पर शेल्टर होम चालू हैं.
पीठ ने कहा, ‘हर दिन सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपने बच्चों के साथ चलते हुए राज्य के विभिन्न हिस्सों खासकर हाईवे पर देखे जाते हैं. उनकी स्थिति बिल्कुल दयनीय है. अभी तक वे सबसे ज्यादा अमानवीय और भयावह स्थिति में रह रहे हैं.’
न्यायालय ने आगे कहा, ‘जैसा कि हमने पहले कहा कि यद्यपि राज्य सरकार जरूरी कदम उठा रही है फिर भी हमें लगता है कुछ और चीजें जल्द से जल्द करने की जरूरत है ताकि लोगों की पीड़ा को कम किया जा सके.’
गुजरात हाईकोर्ट ने लोगों से अपील की है कि वे निराश न हों. उन्होंने कहा, ‘हर चीज का एक शुरुआत होती और एक अंत होता है. कोविड-19 अजर अमर नहीं है. हम सभी को मिलकर इससे लड़ना होगा. जिनके पास संसाधन है वे कमजोर, वृद्ध, जरूरतमंद और गरीबों के साथ खड़े हों. सर्वशक्तिमान में विश्वास करें.’
मालूम हो कि घर भेजे जाने की मांग को लेकर प्रवासी मजदूर लगातार विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन कर रहे हैं. गुजरात में सूरत शहर में ऐसे कई प्रदर्शन हो चुके हैं.
बीती नौ मई को अपने गृह राज्य भेजे जाने की मांग कर रहे सैकड़ों गुस्साए प्रवासी मजदूरों की सूरत जिले के मोरा गांव में प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प हो गई थी.
बीते चार मई को भी सूरत के बाहरी इलाके में तकरीबन 1000 मजदूरों ने घर भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई थी और उन्होंने पथराव भी किया था.
बीते 28 अप्रैल को सूरत में फंसे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के दौरान प्रवासी कामगारों ने डॉयमंड बोर्स नाम की कंपनी के दफ्तर पर पथराव भी किया था.
बीते 14 अप्रैल को लॉकडाउन की समयसीमा तीन मई तक बढ़ाए जाने की घोषणा के बीच प्रवासी मजदूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर सूरत शहर के वराछा क्षेत्र में सड़क पर बैठ गए थे.
इससे पहले बीते 10 अप्रैल को लॉकडाउन के बीच सूरत शहर में वेतन और घर वापस लौटने की मांग को लेकर सैकड़ों मजदूर पर सड़क पर उतर आए थे. इन मजदूरों ने शहर के लक्साना इलाके में ठेलों और टायरों में आग लगा कर हंगामा किया था. इस घटना के संबंध में पुलिस ने 80 लोगों को गिरफ्तार किया था.