ज़ूम ऐप पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

ज़ूम ऐप पर प्रतिबंध के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में दलील दी गई है कि इसका उपयोग करने वाले व्यक्तियों की निजता को ख़तरा है और यह साइबर सुरक्षा को भी प्रभावित करता है.

(फोटो: रॉयटर्स)

ज़ूम ऐप पर प्रतिबंध के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में दलील दी गई है कि इसका उपयोग करने वाले व्यक्तियों की निजता को ख़तरा है और यह साइबर सुरक्षा को भी प्रभावित करता है.

सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है, जिसमें याचिकाकर्ता ने ज़ूम ऐप पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि निजता और सुरक्षा के मद्देनजर अमेरिका आधारित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप ज़ूम पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को इस संबंध में चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है.

याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि ज़ूम ऐप बंद किया जाए, क्योंकि इसका इस्तेमाल आधिकारिक और व्यक्तिगत कामों के लिए हो रहा है, लेकिन असलियत ये है कि ये निजता और सुरक्षा के लिए खतरा है.

लाइव लॉ के मुताबिक, याचिका में दलील दी गई है कि ज़ूम सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन का उपयोग करने वाले व्यक्तियों की निजता को खतरा है और यह साइबर सुरक्षा को भी प्रभावित करता है.

साथ ही ये भी कहा गया कि ज़ूम वीडियो कम्युनिकेशंस के सीईओ ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है और सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के मामले में इस ऐप दोषपूर्ण माना है.

ऑउटलुक के मुताबिक याचिकाकर्ता की तरफ से दलील रखते हुए वकील वजीह शफीक ने कहा कि इस ऐप के निरंतर उपयोग से राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर लग सकती है और भारत में साइबर खतरे बढ़ सकते हैं. इससे साइबर क्राइम की संख्या में भी इजाफा हो सकता है.

आगे दलील में कहा गया कि लोगों को जरूरत के हिसाब से सेवा मुहैया कराने की बजाय ज़ूम ऐप ने अपने करोड़ों उपयोगकर्ताओं की निजता का दुरुपयोग किया है और निजी जानकारी को हासिल कर यूजर्स का शोषण किया है. ऐप ने भ्रामक विज्ञापन के जरिए इसका लाभ उठाया है.

कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते तमाम लोगों की कार्यप्रणाली में जबरदस्त बदलाव आया है. स्कूल से लेकर कारोबार हर जगह ऑनलाइन यानी वर्क फ्रॉम होम हो रहा है. ज़ूम वर्क फ्रॉम होम करने वालों के लिए एक उपयोगी ऐप है, जो इसकी मदद से अपने टीम के अन्य सदस्यों से जुड़ सकते हैं.

मालूम हो कि बीते अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने कहा था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए ज़ूम ऐप का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एजवाइज़री जारी कर कहा था कि यह ऐप सुरक्षित प्लेटफॉर्म नहीं है, इसलिए सुरक्षित तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

सरकार ने आधिकारिक उद्देश्यों के लिए सरकारी अधिकारियों को इस ऐप का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था. साथ ही गृह मंत्रालय ने दिशानिर्देश में कहा था कि ज़ूम ऐप व्यक्तिगत स्तर पर भी इस्तेमाल के लिए सुरक्षित नहीं है.

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ‘कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम ऑफ इंडिया’ (CERT-in) ने इस ऐप को लेकर चेतावनी जारी की थी. एजेंसी ने लोगों को इस ऐप की कमजोरियों के प्रति आगाह किया था, जिसके बाद सरकार ने यह एजवाइज़री जारी की थी.

बता दें कि दुनिया के कई देश ज़ूम ऐप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. बीते दो अप्रैल को अमेरिकी खुफिया जांच एजेंसी ने इस ऐप के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी जारी की थी और लोगों से इसके इस्तेमाल को लेकर सतर्कता बरतते हुए कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर ने भी बीते 10 दिसंबर को वर्क फ्रॉम होम कर रहे शिक्षकों को इस ऐप का इस्तेमाल न करने निर्देश दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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