ये नौ मौतें उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली अलग-अलग ट्रेनों में हुईं. रेलवे की ओर से कहा गया है कि अधिकतर मौतों के मामले में मृतक पहले से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे थे.
नई दिल्ली: भीषण गर्मी, भूख और प्यास से प्रवासी मजदूरों की परेशानी और बढ़ने के बीच सोमवार से बुधवार तक 48 घंटों के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में नौ यात्रियों की मौत हुई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
श्रमिकों को उनके गृह राज्य में भेजने के लिए एक मई से आरंभ गैर वातानुकूलित ट्रेनों में कुछ मौत पहले भी हुई थीं. रेलवे ने बुधवार को कहा कि अधिकतर मौतों के मामले में मृतक पहले से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे थे.
सोमवार से उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली अलग-अलग ट्रेनों में नौ लोगों की मौत हुई, लेकिन दोनों राज्यों में रेलवे और नागरिक प्रशासन ने बुधवार को इसकी जानकारी दी.
राजद नेता तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव ने एक बच्चे की घटना का वीडियो ट्वीट किया. दिल को झकझोर देने वाली इस घटना में अपनी मां की मौत से बेखबर बच्चा उनके पास जाने की कोशिश कर रहा था.
महिला की पहचान 35 वर्षीय अरवीना खातून के तौर पर हुई. वीडियो में दिखा है कि महिला का शव प्लेटफॉर्म पर पड़ा हुआ था और इस दौरान ट्रेनों के आने-जाने की भी घोषणा हो रही थी.
बहरहाल, मुजफ्फरपुर में राजकीय रेलवे पुलिस के पुलिस उपाधीक्षक रमाकांत उपाध्याय ने कहा कि यह घटना 25 मई को हुई थी जब प्रवासी महिला श्रमिक विशेष ट्रेन से अहमदाबाद से मुजफ्फरपुर आयी थी.
उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि मधुबनी जाने वाली ट्रेन में महिला की मौत हुई. महिला के साथ उसकी बहन और अन्य रिश्तेदार भी थे.
परिजनों के अनुसार, खाना और पानी न मिलने के चलते ट्रेन में महिला की स्थिति खराब हो गई. सोमवार दोपहर करीब 12 बजे ट्रेन में उन्होंने दम तोड़ दिया. अरवीना के बहनोई मोहम्मद वजीर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें कोई बीमारी नहीं थी, लेकिन वह एनीमिक थी.
उन्होंने कहा, ‘हम जब छपरा पहुंचने वाले थे वह बेहोश हो गईं. हमने उसके चेहरे पर पानी छिड़का, लेकिन छपरा पार करते ही उनकी मौत हो गई. हम मुजफ्फरपुर में उतर गए. वहां कोई स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं था, मैंने उनके शव को प्लेटफॉर्म पर रखा.’
ट्रेन में भोजन या पानी की कमी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कुछ भी नहीं था, अचानक उनकी मौत हो गई.
हालांकि रेलवे ने कहा है कि महिला पहले से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना कर रही थी और हाल में उनकी सर्जरी भी हुई थी.
मुजफ्फरपुर से ही एक प्रवासी मजदूर के साढ़े चार वर्षीय बेटे की मौत की भी सूचना मिली है. मुजफ्फरपुर में रेलवे स्टेशन पर बच्चे की मौत हो गई जबकि उसका पिता अपने बच्चे के लिए दूध की तलाश में भटक रहा था .
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उनके पिता का कहना है कि बच्चे की मौत गर्मी के कारण हुई है. पुलिस उपाधीक्षक, रेलवे, रमाकांत उपाध्याय ने दावा किया कि बच्चा कुछ समय से बीमार था और ट्रेन के मुजफ्फपुर स्टेशन पहुंचने से पहले उसकी मौत हो गई थी.
बिहार के दानापुर में 70 वर्षीय वशिष्ठ महतो का शव मुंबई-दरभंगा ट्रेन से उतारा गया. उन्हें दिल की बीमारी थी. महतो मुंबई में इलाज के बाद अपने परिवार के साथ लौट रहे थे. मैहर और सतना के बीच उनकी मौत हो गई.
अधिकारियों ने बताया कि वशिष्ठ महतो का पार्थिव शरीर मुंबई-दरभंगा विशेष श्रमिक ट्रेन से बाहर निकाला गया था. वह एक हृदय रोगी थे और मुंबई में इलाज के बाद परिवार के साथ लौट रहे थे.
बुधवार सुबह वाराणसी रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में दो प्रवासी श्रमिक मृत पाए गए.
उत्तर-पूर्वी रेलवे के प्रवक्ता अशोक कुमार ने बताया कि ट्रेन मुंबई में लोकमान्य तिलक टर्मिनस से वाराणसी में मंडुआडीह स्टेशन पहुंची थी.
उनमें से एक की पहचान उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी दशरथ प्रजापति (30) के तौर पर हुई. वह शारीरिक रूप से अक्षम थे और मुंबई में किडनी संबंधी परेशानी का उन्होंने इलाज कराया था. दूसरे व्यक्ति की पहचान आजमगढ़ निवासी 55 वर्षीय राम रतन गौड़ के रूप में की गई है. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि प्रजापति भी किडनी की बीमारी से ग्रस्त थे.
पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ ने बताया कि सूरत-हाजीपुर ट्रेन में 58 वर्षीय श्रमिक उत्तर प्रदेश के बलिया में मृत पाए गए. उसकी पहचान भूषण सिंह के रूप में की गई है.
कानपुर में झांसी-गोरखपुर ट्रेन में दो प्रवासी श्रमिक मृत मिले. एक की पहचान राम अवध चौहान (45) के तौर पर हुई. दूसरे श्रमिक की पहचान नहीं हो पाई.
मध्य प्रदेश में वापी-दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन ट्रेन में बहराइच के निवासी शेख सलीम का शव मिला था.
रिपोर्ट के अनुसार रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘श्रमिक विशेष ट्रेनों में कुछ मौतें हुई हैं. इनमें से ज्यादातर मामलों में यह पता चला है कि मरने वालों में बूढ़े, बीमार लोग और पुरानी बीमारी के मरीज हैं जो बड़े शहरों में जाकर इलाज करवाते हैं.’
दूसरी ओर इन ट्रेनों में यात्रा कर रहे श्रमिकों ने इन गाड़ियों में खाना और पानी के अभाव का आरोप लगाया था. इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया कि ये ट्रेने समय पर नहीं चल रही थी.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बलिया के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय यादव ने बताया कि दसवां व्यक्ति नेपाल के जनकपुर निवासी 28 वर्षीय शोभन कुमार 26 मई की शाम को मडगांव दरभंगा ट्रेन से उत्तर प्रदेश के बलिया पहुंचे थे. बीमार होने के बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 27 मई को उनकी मौत हो गई.
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की एक अन्य यात्री कटिहार के उरेश खातून की मौत कथित रूप से सूरत-पूर्णिया ट्रेन में सोते समय हुई. रेलवे ने खातून की मृत्यु के लिए हाल ही में हुई दिल की सर्जरी को जिम्मेदार ठहराया जिसकी उनके बेटे ने पुष्टि की है.
उरेश खातून की मौत पर मध्य-पूर्व रेलवे ने अपने बयान में कहा कि 22 मार्च को पेसमेकर लगाने के लिए उनका दिल का ऑपरेशन हुआ था और 24 मई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)