जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील की थी, उसी दिन झारखंड में एक व्यक्ति को गोमांस ले जाने के संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.
जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील कर रहे थे, उसी दिन झारखंड में एक व्यक्ति को गोमांस ले जाने के संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर मार दिया था. इस मामले में एक भाजपा नेता समेत कुछ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
उधर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि यूपीए के शासन काल में भीड़ द्वारा पीटकर मारने की घटनाएं ज़्यादा होती थीं, लेकिन तब ये सवाल कभी नहीं उठा. उन्होंने कहा, ‘2011 से 2013 के दौरान भीड़ द्वारा हत्या करने की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई, जब केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार थी.’
झारखंड के रामगढ़ जिले में एक मांस कारोबारी की कथित तौर पर पीट पीट कर जान लेने की घटना के सिलसिले में एक स्थानीय भाजपा नेता सहित दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और एक अन्य व्यक्ति ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है.
पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल ने शनिवार को बताया कि स्थानीय भाजपा नेता नित्यानंद महतो और संतोष सिंह को मामले के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया है. एक अन्य आरोपी छोटू राम ने रामगढ़ अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.
एक व्यक्ति को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. हजारीबाग जिले के मनुआ गांव के निवासी 40 वर्षीय मांस कारोबारी को बृहस्पतिवार को भीड़ ने इस संदेह के चलते पीट पीट कर मार डाला था कि वह अपनी वैन में बीफ ले कर जा रहा था.
भीड़ ने गाड़ी को भी फूंक दिया था. यह घटना रामगढ़ शहर के बाज़ार टांड इलाके में हुई. ज़िला प्रशासन ने गत शुक्रवार को तनाव के मद्देनज़र अतिरिक्त सुरक्षा बल को तैनात किया और आपराधिक दंड संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू की गई.
बहरहाल, रामगढ़ में स्थिति सामान्य हो गई है. अब भी ज़िले के 33 संवदेनशील स्थानों पर सुरक्षा बल मौजूद हैं. रामगढ़ की घटना से कुछ दिन पहले गिरीडीह ज़िले में भीड़ ने गोवध करने के संदेह में एक व्यक्ति पर हमला किया और उसे घायल कर दिया था.
हाल के महीनों में झारखंड में भीड़ द्वारा पीट पीटकर मारने के कई घटनाएं हुई हैं. राज्य के कुछ ज़िलों में बच्चा चोरी गैंग के सक्रिय होने की अफ़वाह के चलते एक दर्जन से ज़्यादा लोगों को पीटकर मार दिया गया. कई घटनाओं में लोगों को पीटकर मारे जाने का कारण गाय या गोमांस रही.
हाल ही में जहां तहां कथित भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार देने की बढ़ती घटनाओं के विरोध में 28 जून को देश भर के कई शहरों में प्रदर्शन हुए थे. इसके अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान दिया कि गाय के नाम किसी भी इंसान को क़ानून हाथ में लेने का हक़ नहीं है.
प्रधानमंत्री ने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर लोगों की हत्या स्वीकार नहीं है. दूसरों के ख़िलाफ़ हिंसा करना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों के विरुद्ध है. उन्होंने कहा था, ‘कोई निर्दोष है कि गुनाहगार है, वो क़ानून काम करेगा, इंसान को क़ानून हाथ में लेने का हक़ नहीं है. मैं देशवासियों से आग्रह करूंगा कि हिंसा समस्याओं का समाधान नहीं है. अगर आपको कोई शिकायत हो तो उसके लिए क़ानून है.’
जब प्रधानमंत्री ने यह बयान दिया, उसी दिन झारखंड में एक और व्यक्ति की गोमांस ले जाने के शक में भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई. इसी घटना के सिलसिले में स्थानीय भाजपा नेता को गिरफ़्तार किया गया है.
आंकड़े यह भी बताते हैं कि हाल के वर्षों में सांप्रदायिकता बढ़ी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार साल 2014 सांप्रदायिक हिंसा की 561 घटनाएं हुईं जिनमें करीब 90 लोग मारे गए. साल 2015 में सांप्रदायिक हिंसा की 751 घटनाएं हुईं, जिनमें 97 लोग मारे गए. साल 2016 के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय के मई तक के आंकड़ों के अनुसार 278 घटनाओं में 38 लोग मारे गए थे.