भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार राजनीतिक कार्यकर्ता और कवि वरवरा राव अगस्त, 2018 से जेल में बंद हैं. मामले की एक अन्य आरोपी सुधा भारद्वाज की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है.
मुंबई: मुंबई के तलोजा जेल में बंद 81 वर्षीय राजनीतिक कार्यकर्ता, लेखक और कवि पी. वरवरा राव को बेहोश होने के बाद 28 मई की शाम को जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया.
जेजे अस्पताल के अनुसार, राव की हालत स्थिर है और दवाइयों का असर हो रहा है. राव बवासीर, हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं जबकि अल्सर और रक्तचाप की दवा ले रहे हैं.
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने द वायर को बताया, ‘अस्पताल लाए के बाद उनकी हालत स्थिर हो गई थी. उनके सीने का एक्स-रे किया गया और वह सामान्य था. उनके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार है.’
28 मई को जेल से अस्पताल ले जाने के एक दिन बाद हैदराबाद में रहने वाले उनके परिवार को इसकी जानकारी दी गई.
परिवार के एक सदस्य ने द वायर को बताया कि स्थानीय चिक्कडपल्ली पुलिस स्टेशन के एक पुलिसकर्मी ने राव के स्वास्थ्य के बारे में महाराष्ट्र पुलिस से जानकारी मिलने की बात बतायी. उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्होंने कहा कि उनके पास कोई और जानकारी नहीं है.
महाराष्ट्र के एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में अगस्त, 2018 में गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही राव अन्य आरोपियों के साथ जेल में बंद हैं. कोरोना वायरस महामारी का मामला सामने से पहले इस साल की शुरुआत में उन्हें पुणे के यरवदा जेल से मुंबई के बाहरी इलाके में स्थित तजोला केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया था.
जेल प्रशासन का कहना है कि वह कैदियों को वायरस से बचाने के लिए पूरी सावधानी बरत रहा है लेकिन इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र की जेलों से लगभग 170 कैदी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. वहीं, तलोजा जेल में 9 मई को एक विचाराधीन कैदी की मौत हो गई थी. इसके साथ ही एक-एक मौतें यरवदा केंद्रीय कारागार और धुले जिला जेल में हुईं.
कोरोना वायरस महामारी सामने के बाद से महाराष्ट्र में 17,000 से अधिक कैदियों को रिहा किया जा चुका है. जेलों में भीड़ कम करने के लिए गठित एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने जमानत या पैरोल पर रिहा किए जाने वाले कैदियों की एक लंबी सूची जारी की है.
हालांकि, इस दौरान गैरकानूनी गतिविधियां (निवारक) अधिनियम (यूएपीए), महाराष्ट्र संगठित अपराध अधिनियम नियंत्रण (मकोका), आतंकवादी और विध्वंसकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) व अन्य के तहत गिरफ्तार या आरोपी बनाए लोगों को नहीं रिहा किया जा रहा है.
राव के वकीलों ने उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की है. उनकी तीनों बेटियों पी. सहजा, पी. अनाला और पी. पावना ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उन्हें जमानत पर रिहा करने के लिए पत्र भी लिखा है.
उनकी अंतरिम चिकित्सा जमानत पर विशेष अदालत 2 जून को सुनवाई कर सकती है.
इससे पहले अप्रैल में मुंबई की एक अदालत में अस्थायी जमानत याचिका दाखिल कर एल्गार परिषद मामले के दो अभियुक्तों वरवरा राव और शोमा सेन ने कहा था कि उनकी उम्र को देखते हुए और कई बीमारियों से पीड़ित होने के कारण उन्हें कोरोना वायरस का खतरा है. हालांकि, अदालत ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता क्योंकि उन पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं.
81 वर्षीय वरवरा राव तेलुगू भाषा के कवि और लेखक होने के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. उन्हें तेलुगू साहित्य के सर्वश्रेष्ठ वामपंथी आलोचकों में एक माना जाता है. वह वर्ष 1957 से कविताएं लिख रहे हैं.
वरवरा राव विपलव रचयिताला संगम (रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन) के संस्थापकों में से एक हैं. इस संगठन को ‘विरासम’ के नाम से जाना जाता है.
आपातकाल के दौरान कई तरह के आरोपों के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें आरोपमुक्त कर कर दिया था.
एनआईए से पहले एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस ने राव को 28 अगस्त, 2018 को अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नान गोंजाल्वेस और गौतम नवलखा के साथ गिरफ्तार किया था.
पुलिस के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गार परिषद में दिए गए भाषणों के चलते अगले दिन पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी.
मामले में नया मोड़ तब आया जब पुलिस ने दावा किया कि कई अन्य कार्यकर्ताओं और वकीलों के साथ राव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में शामिल थे. जांच में कई गलतियां सामने आने के बाद मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया. कई कार्यकर्ताओं द्वारा स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों के बावजूद एनआईए सभी की जमानत का लगातार विरोध कर रही है.
कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज
महाराष्ट्र की एक विशेष अदालत ने माओवादियों के साथ एल्गार परिषद के कथित संपर्क के मामले में आरोपी कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की अंतरिम जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी.
कार्यकर्ता ने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर मेडिकल आधार पर जमानत मांगी थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भारद्वाज की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें कोई जानलेवा बीमारी नहीं है.
विशेष सरकारी वकील प्रकाश शेट्टी ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार उनकी हालत स्थिर है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)