रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच लगभग एक महीने से चले आ रहे गतिरोध के संदर्भ में कहा कि चीन के सैनिक वहां तक आ गए हैं जिसको वे अपना क्षेत्र होने का दावा करते हैं, जबकि भारत का मानना है कि यह उसका क्षेत्र है. भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच छह जून को बैठक निर्धारित है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच लगभग एक महीने से चले आ रहे गतिरोध के संदर्भ में कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिक ‘अच्छी खासी संख्या में’ आ गए हैं और भारत ने भी स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं.
सिंह ने कहा कि भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच छह जून को बैठक निर्धारित है. इसके साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगा.
पूर्वी लद्दाख में संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति के बारे में पूछे जाने पर समाचार चैनल सीएनएन-न्यूज 18 से बातचीत में रक्षा मंत्री ने कहा, ‘चीन के सैनिक वहां तक आ गए हैं जिसको वे अपना क्षेत्र होने का दावा करते हैं, जबकि भारत का मानना है कि यह उसका क्षेत्र है. उसको लेकर एक मतभेद हुआ है. और अच्छी-खासी संख्या में चीन के लोग भी आ गए हैं. लेकिन भारत को भी अपनी तरफ से जो कुछ करना चाहिए भारत ने किया है.’
रक्षा मंत्री की टिप्पणियों को विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की अच्छी-खासी मौजूदगी की पहली आधिकारिक पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है. इन क्षेत्रों के बारे में भारत का कहना है कि ये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ हैं.
खबरों के अनुसार, एलएसी पर भारत की तरफ गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी सैनिक अच्छी-खासी संख्या में डेरा डाले हुए हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन को इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना चाहिए जिससे कि इसका जल्द समाधान हो सके.
एलएसी पर पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग एक महीने से गतिरोध चला आ रहा है. दोनों देश विवाद के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बात कर रहे हैं.
सिंह ने कहा, ‘डोकलाम विवाद का समाधान कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के माध्यम से हुआ था. हमने इस तरह की स्थितियों का विगत में भी इसी तरह का समाधान पाया है. मौजूदा मुद्दे के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है.’
भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति के बारे में सिंह ने कहा, ‘भारत किसी देश के गौरव को नुकसान नहीं पहुंचाता और साथ ही वह अपने गौरव को नुकसान पहुंचाने के किसी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करता.’
पैंगोंग त्सो के आसपास फिंगर इलाके में एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण के अलावा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी रोड के बीच भारत के सड़क निर्माण पर चीन के कड़े विरोध के बाद गतिरोध शुरू हुआ.
चीन भी फिंगर इलाके में एक सड़क बना रहा है जो भारत को स्वीकार्य नहीं है.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाक में सैनिक वाहन और तोप उन क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए भेजे हैं, जहां चीनी सैनिक डेरा डाले हुए हैं
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी जब पांच मई की शाम चीन और भारत के करीब 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई जो अगले दिन भी जारी रही.
हालांकि इसके बाद भी गतिरोध जारी रहा.
इसी तरह की घटना उत्तरी सिक्किम में नाकू ला दर्रे के पास नौ मई को भी हुई जिसमें भारत और चीन के लगभग 150 सैनिक आपस में भिड़ गए.
दोनों देशों के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था.
बता दें कि भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है. वहीं, भारत इसे अपना अभिन्न अंग करार देता है.
दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा विवाद के अंतिम समाधान तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखना जरूरी है.
वहीं, बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें भारत-चीन सीमा पर स्थिति भी शामिल थी.
दोनों नेताओं के बीच ऐसे समय में बातचीत हुई है जब ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने मोदी से बात की है जो चीन के साथ सीमा मुद्दे को लेकर ‘अच्छे मूड’ में नहीं थे.
सरकार के सूत्रों ने यहां दोनों नेताओं के बीच ‘हाल में बातचीत’ होने से इंकार किया था.
ट्रंप ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी की थी. हालांकि, भारत ने उनकी पेशकश को खारिज करते हुए कहा था कि दोनों देश कूटनीतिक तौर पर विवाद को सुलझाने में लगे हैं.