एच-1बी वीज़ा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की अनुमति देता है. अमेरिका में होने वाले चुनाव के मद्देनज़र अमेरिकी कामगारों के लिए नौकरियां सुरक्षित रखने के मक़सद से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यह क़दम उठाया गया है. गूगल के सीआईओ सुंदर पिचाई ने इस फैसले पर निराशा जताई है.
वॉशिंगटन/नई दिल्लीः अमेरिका जाने का सपना देखने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों को बड़ा झटका देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने सबसे लोकप्रिय एच-1बी वीजा के साथ ही अन्य विदेश कार्य वीजा जारी करने पर इस साल के अंत तक रोक लगा दी है.
यह रोक चुनाव के इस महत्वपूर्ण वर्ष में अमेरिकी कामगारों के लिए नौकरियां सुरक्षित रखने के मकसद से लगाई गई है. राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा सोमवार को जारी आधिकारिक घोषणा के मताबिक नए प्रतिबंध 24 जून से प्रभावी होंगे.
ट्रंप ने कहा कि यह कदम लाखों अमेरिकियों की मदद के लिए जरूरी है जिन्होंने मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से नौकरियां गंवा दी हैं.
नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले आधिकारिक घोषणा जारी कर ट्रंप ने विभिन्न संगठनों, सांसदों और मानवाधिकार निकायों द्वारा आदेश के खिलाफ बढ़ते विरोध को नजरअंदाज किया है.
इस आदेश का तमाम भारतीय आईटी पेशेवरों और कई अमेरिकी एवं भारतीय कंपनियों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिन्हें अमेरिकी सरकार ने एक अक्टूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2021 के लिए एच-1बी वीजा जारी कर दिए थे.
इन सभी को मुद्रांकन के लिए अमेरिकी कूटनीतिक मिशनों का रुख करने से पहले अब कम से कम मौजूदा वर्ष खत्म होने तक इंतजार करना पड़ेगा. यह घोषणा बड़ी संख्या में उन भारतीय आईटी पेशेवरों को भी प्रभावित करेगी जो अपने एच-1बी वीजा के नवीनीकरण की प्रतीक्षा में थे.
एच-1बी वीजा गैर आव्रजक वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, खासकर विशेषज्ञता वाले उन पेशों में जिसमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है. प्रौद्योगिकी कपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर रहती हैं.
अप्रैल में ट्रंप ने अमेरिका में कानूनी रूप से पलायन करने का सोच रहे अमेरिका के बाहर के लोगों को निशाना बनाते हुए कुछ अपवादों के साथ आव्रजन संबंधी एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे. वह आदेश जिसकी अवधि समाप्त होने वाली थी उसे 2020 के अंत तक बढ़ाया जाएगा और इसमें कुछ अतिथि कार्मिक वीजा भी शामिल किए जाएंगे.
नए शामिल किए गए वीजा में अंतर-कंपनी स्थानांतरण के लिए एल-1 वीजा, विशेष पेशों में कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा के साथ ही पति-पत्नी के लिए एच-4 वीजा, अस्थायी गैर कृषि कर्मचारियों के लिए एच-2बी और आगंतुकों के आदान-प्रदान के लिए जे-1 वीजा हैं.
ट्रंप द्वारा जारी आधिकारिक घोषणा में कहा गया है, ‘हमारे देश की इमिग्रेशन प्रणाली में हमें विदेशी कर्मचारियों से अमेरिकी श्रम बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सचेत रहना चाहिए, विशेष रूप से अत्यधिक घरेलू बेरोजगारी के मौजूदा माहौल को देखते हुए.’
इस घोषणा में ट्रंप ने कहा कि इस साल फरवरी से लेकर मई तक अमेरिका में कुल बेरोजगारी दर लगभग चार गुना हो गई जो श्रम सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई बेहद खराब बेरोजगारी दरों में से एक है.
इस आदेश में ट्रंप के पूर्व शासकीय आदेश की अवधि भी साल के अंत तक बढ़ाई गई है जिसमें कानूनी रूप से स्थायी निवास के लिए नए ग्रीन कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध लगाया गया था.
हालिया घोषणा में उन विदेशी नागरिकों को छूट दी गई है जो खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के लिए जरूरी सेवा या अस्थायी श्रम मुहैया कराने के लिए अमेरिका में प्रवेश करना चाहते हैं.
तीन नवंबर को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में ह्वाइट हाउस के लिए फिर से निर्वाचित होने की उम्मीद लगाए ट्रंप ने कहा कि यह कदम लाखों अमेरिकियों की मदद के लिए जरूरी है, जिन्होंने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से नौकरियां गंवा दी हैं.
ह्वाइट हाउस का कहना है कि यह घोषणा ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट रिकवरी’ के प्रयास का हिस्सा है क्योंकि ट्रंप नौकरियों में अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देना चाहते हैं और देश को जल्द से जल्द कोरोना वायरस के प्रभाव से उबारना चाहते हैं.
मालूम हो कि एच-1बी वीजा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को कुछ खास व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है. भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच इसकी काफी अधिक मांग है.
अमेरिका में हर साल 85,000 एच-1 बी जारी करने की सीमा है. पिछले साल इस वीजा के लिए 2,25,000 आवेदन प्राप्त हुए थे.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा है कि इन वीजा प्रतिबंधों से अमेरिका में 5.25 लाख पद खाली हो सकते हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान संवाददाताओं को बताया, ‘इससे 2020 के अंत तक अमेरिकी नागरिकों के लिए 5.25 लाख नौकरियां उपलब्ध हो सकेंगी.’
अधिकारी ने कहा, ‘बहुत ही महत्वपूर्ण संख्या है, कोरोना वायरस की वजह से हमारी अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान के बाद से जितनी जल्दी हो सके राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिकी नागरिकों के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.’
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और नास्कॉम ने निराशा जताई
एच-1बी वीजा पर अस्थाई रोक के ट्रंप के आदेश से सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और सॉफ्टवेयर उद्योग के संगठन नास्कॉम ने निराशा जताई है.
पिचाई ने एच-1बी वीजा तथा अन्य विदेश कार्य वीजा पर अस्थाई रोक संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर निराशा व्यक्त की और कहा कि वह आव्रजकों के साथ हैं और सभी के लिए अवसर पैदा करने के लिए काम करेंगे.
Immigration has contributed immensely to America’s economic success, making it a global leader in tech, and also Google the company it is today. Disappointed by today’s proclamation – we’ll continue to stand with immigrants and work to expand opportunity for all.
— Sundar Pichai (@sundarpichai) June 22, 2020
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘प्रवासियों ने अमेरिका को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने में मदद की है और देश को तकनीक के क्षेत्र में अव्वल बनाया है. प्रवासी कर्मचारियों की वजह से ही गूगल आज इस मुकाम पर है. मैं सरकार की घोषणा से निराश हूं. हम प्रवासियों के साथ खड़े रहेंगे और उन्हें हर तरह के मौके दिलाने के लिए काम करते रहेंगे.’
एक अलग बयान में ‘लीडरशिप कॉन्फ्रेंस ऑन सिविल एंड ह्यूमन राइट्स’ की अध्यक्ष एवं सीईओ वनीता गुप्ता ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम की निंदा की है.
उन्होंने कहा कि नवीनतम यात्रा प्रतिबंध डोनाल्ड ट्रंप और स्टीफन मिलर द्वारा शुरू किए गए नस्लीय और विदेशी विरोधी भावना का एक नया संस्करण है.
ट्रंप प्रशासन में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए प्रमुख राजनयिक रहीं एलिस जी वेल्स ने भी इस कदम का विरोध किया है.
उन्होंने कहा, ‘एच1-बी वीजा कार्यक्रम के जरिये सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट को आकर्षित करने की क्षमता ने अमेरिका को अधिक सफल और लचीला बनाया है. विदेशी प्रतिभाओं को बांधने की कला जानना अमेरिका की ताकत है कमजोरी नहीं.’
सॉफ्टवेयर उद्योग के संगठन नास्कॉम ने मंगलवार को अमेरिका द्वारा कार्य वीजा को निलंबित किए जाने की घोषणा को गलत दिशा में उठाया गया कदम बताया. संगठन ने कहा कि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिये नुकसानदेह साबित होगा.
नास्कॉम का कहना है कि अमेरिका के इस कदम से संभवत: और ज्यादा काम विदेशों में होने लगेगा, क्योंकि वहां स्थानीय स्तर पर इस तरह का कौशल उपलब्ध नहीं है.
नास्कॉम ने एक वक्तव्य में कहा है, ‘अमेरिका की कुछ गैर-आव्रजकों के प्रवेश पर रोक लगाने तथा अन्य के लिए नई शर्तें थोपने की घोषणा अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसान दायक है और यह गलत दिशा में उठाया गया कदम है.’
बयान के अनुसार, ‘इस नई घोषणा से नई चुनौतियां खड़ी होंगी और कंपनियों पर विदेशों से अधिक काम करवाने का दबाव बढ़ेगा क्योंकि वहां स्थानीय स्तर पर इस तरह का कौशल उपलब्ध नहीं है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)