क्या कोरोना वायरस का टीका विकसित करने में आईसीएमआर जल्दबाज़ी दिखा रहा है?

आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि कोरोना वायरस का टीका तेजी से बनाने का उद्देश्य अनावश्यक लालफीताशाही कम करना है. हालांकि आईसीएमआर द्वारा 15 अगस्त तक वैक्सीन बनाने के दावों पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं. यहां तक कि टीका विकसित कर रही कंपनी भी अक्टूबर से पहले इसका ट्रायल पूरा करने से इनकार कर रही है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि कोरोना वायरस का टीका तेजी से बनाने का उद्देश्य अनावश्यक लालफीताशाही कम करना है. हालांकि आईसीएमआर द्वारा 15 अगस्त तक वैक्सीन बनाने के दावों पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं. यहां तक कि टीका विकसित कर रही कंपनी भी अक्टूबर से पहले इसका ट्रायल पूरा करने से इनकार कर रही है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा 15 अगस्त तक कोविड-19 का टीका लाने की योजना की खबरों के बाद विशेषज्ञों ने दवा बनाने की प्रक्रिया में हड़बड़ी से बचने की सलाह दी है, जिस पर आईसीएमआर ने बीते शनिवार को कहा कि वह महामारी के लिए तेजी से टीका बनाने के वैश्विक रूप से स्वीकार्य सभी नियमों के अनुरूप काम कर रहा है.

आईसीएमआर ने कहा कि उसके महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव का क्लीनिकल परीक्षण स्थलों के प्रमुख अन्वेषकों को लिखे पत्र का आशय किसी भी आवश्यक प्रक्रिया को छोड़े बिना अनावश्यक लालफीताशाही को कम करना तथा प्रतिभागियों की भागीदारी बढ़ाना है.

बीते दो जुलाई को भार्गव ने चयनित चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों के प्रमुख शोधकर्ताओं को भारत बायोटेक के साथ साझेदारी में विकसित किए जा रहे टीका ‘कोवैक्सीन’ के लिए मनुष्य के ऊपर परीक्षण की मंजूरी जल्द से जल्द देने को कहा है.

आईसीएमआर ने कहा है कि दुनियाभर में इस तरह के विकसित किए जा रहे अन्य टीकों पर भी काम तेज कर दिया गया है.

संस्था की ओर से कहा गया है कि भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने क्लीनिकल परीक्षणों से पूर्व के अध्ययनों से उपलब्ध आंकड़ों की गहन पड़ताल पर आधारित ‘कोवैक्सीन’ के मानव परीक्षण के चरण 1 और 2 के लिए मंजूरी दी है.

आईसीएमआर ने कहा कि नए स्वदेश निर्मित जांच किट को त्वरित मंजूरी देने या कोविड-19 की प्रभावशाली दवाओं को भारतीय बाजार में उतारने में लालफीताशाही को रोड़ा नहीं बनने देने के लिए स्वदेशी टीका बनाने की प्रक्रिया को भी, फाइलें धीरे-धीरे बढ़ने के चलन से अलग रखा गया है.

इस शीर्ष अनुसंधान परिषद ने एक बयान में कहा है, ‘इन चरणों को जल्द से जल्द पूरा करने का मकसद है कि बिना देरी के जनसंख्या आधारित परीक्षण किए जा सकें.’

बयान में कहा गया कि व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य हित में आईसीएमआर के लिए एक प्रभावशाली स्वदेशी टीके के नैदानिक परीक्षण को तेज गति प्रदान करना महत्वपूर्ण है.

संस्था के मुताबिक, ‘आईसीएमआर की प्रक्रिया पूरी तरह महामारी के लिए टीका बनाने की प्रक्रिया को तेज करने के वैश्विक रूप से स्वीकार्य नियमों के अनुरूप है, जिसमें मनुष्य और पशुओं पर परीक्षण समानांतर रूप से चल सकता है.’

हालांकि आईसीएमआर द्वारा इतनी जल्दी वैक्सीन बनाने के दावों पर कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं. कोवैक्सीन का विकास करने वाली भारत बायोटेक खुद अक्टूबर से पहले वैक्सीन का ट्रायल पूरा करने से इनकार कर रही है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कंपनी का कहना है कि पहले और दूसरे चरण का ट्रायल अक्टूबर तक ही हो पाएगा.

आईसीएमआर द्वारा वैक्सीन के लिए समयसीमा निर्धारित किए जाने पर डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने भी आश्चर्य जताया है. पत्र के लहजे और जल्दबाजी के संकेत से कुछ वैज्ञानिक चिंतित हैं.

उन्होंने पत्र में निर्धारित समयसीमा पर सवाल उठाया है और टीके की विकास प्रक्रिया को छोटा न करने की सलाह दी.


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एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘वैक्सीन की प्रभावशीलता और सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखते हुए यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण और कठिन काम होगा. इसके अलावा अगर हमें मनमुताबिक परिणाम मिलते हैं तो दूसरी चुनौती वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की प्रक्रिया है.’

वायरस मामलों के जानकार और भारत में स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए फंड देने वाली संस्था वेलकम ट्रस्ट-डीबीटी अलायंस के मुख्य कार्यकारी शहीद जमाल ने 15 अगस्त की समयसीमा को बेतुका कहा है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे डर है कि इसके लिए वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय हम पर हंस रहा होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए था. भारत विज्ञान के क्षेत्र में एक गंभीर देश है. अगर हम इस तरह का व्यवहार करेंगे तो कौन हम पर भरोसा करेगा?’

जमाल ने आगे कहा, ‘अगर हम वास्तव में कल एक अच्छा वैक्सीन लेकर आएं तो भी हम पर विश्वास करने वाला कौन करेगा? पत्र में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उससे मैं स्तब्ध हूं. यह कोई पत्र नहीं है, यह एक धमकी की तरह है.’

विषाणु वैज्ञानिक उपासना राय ने कहा कोरोनो वायरस के खिलाफ वैक्सीन लॉन्च की प्रक्रिया को गति देना या जल्द लॉन्च करने का वादा करना प्रशंसा के योग्य है, लेकिन यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या ‘हम बहुत ज्यादा जल्दबाजी कर रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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