दशहरा के मौके पर रावण के पुतले जलाने पर पाबंदी की मांग वाली जनहित याचिका को उच्चतम न्यायालय ने किया खारिज.

(फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली: देश में दशहरा के मौके पर रावण के पुतले दहन करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका को सोमवार खारिज करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक गतिविधियों की स्वतंत्रता देता है.
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता की अर्ज़ी को खारिज करते हुए उनसे कहा, क्या आपने संविधान का अनुच्छेद 25 पढ़ा है, वह यह कहता है कि सभी को अपने धर्म की रीतियों का अनुसरण करने का अधिकार है.
राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा, हर व्यक्ति को अपनी आस्था का अधिकार है. ऐसी कोई बात जो लोगों की आस्था बढ़ाए वह गलत नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा कि अदालत का काम अच्छा और बुरा नहीं बल्कि यह तय करना है कि क्या कानूनी है और क्या ग़ैरकानूनी. मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने याचिकाकर्ता से आगे कहा, ‘आप वह करें जो करने से आपकी श्रद्धा बढ़ती है और दूसरों को भी वही करने दें.’
हरियाणा के पत्रकार आनंद प्रकाश शर्मा ने जनहित याचिका में मांग की थी कि दशहरा पर रावण दहन की परंपरा बंद होनी चाहिए. उनका कहना था कि इस प्रथा के समर्थन में कोई ऐसा आधार नहीं है जिसका वाल्मीकि रामायण या तुलसीदास की रामायण में उल्लेख मिलता हो.
उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रथा न केवल हिंदुओं के कुछ वर्गों की भावनाओं को आहत करती है बल्कि पर्यावरण के लिए भी ख़तरनाक है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
Categories: भारत