राजीव गांधी फाउंडेशन सहित नेहरू-गांधी परिवार से संबंधित तीन न्यासों को मिले चंदे की होगी जांच

राजीव गांधी फाउंडेशन सहित नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े तीन न्यासों द्वारा धनशोधन और विदेशी चंदा सहित विभिन्न क़ानूनों के कथित उल्लंघन के मामलों की जांच में समन्वय के लिए गृह मंत्रालय की ओर से एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की गई है.

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New Delhi: Congress President Sonia Gandhi along with Rahul Gandhi leaves Parliament House after attending proceedings during the Budget Session, in New Delhi, Tuesday, Feb. 11, 2020. (PTI Photo/Subhav Shukla) (PTI2_11_2020_000088B)

केंद्र सरकार द्वारा यह फैसला क़रीब दो हफ़्ते बाद लिया गया है, जब भाजपा ने कहा था कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास से धन प्राप्त हुआ है. तब कांग्रेस ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड ने कई चीनी कंपनियों से अनुदान प्राप्त किए हैं. ये आरोप लद्दाख में भारत और चीनी सेना के बीच गतिरोध के मध्य उठा था.

New Delhi: Congress President Sonia Gandhi along with Rahul Gandhi leaves Parliament House after attending proceedings during the Budget Session, in New Delhi, Tuesday, Feb. 11, 2020. (PTI Photo/Subhav Shukla)     (PTI2_11_2020_000088B)
राहुल गांधी और सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन सहित नेहरू-गांधी परिवार से संबंधित तीन न्यासों द्वारा धनशोधन और विदेशी चंदा सहित विभिन्न कानूनों के कथित उल्लंघन के मामलों की जांच में समन्वय के लिए बुधवार को एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित कर दी.

यह फैसला करीब दो हफ्ते बाद लिया गया है जब भाजपा ने कहा था कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास से धन प्राप्त हुआ है. यह आरोप लद्दाख में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के बीच गतिरोध के मध्य उठा था.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक अंतर-मंत्रालयी टीम का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक विशेष निदेशक करेंगे.

प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), आय कर कानून, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के विभिन्न कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने के मामलों में जांच में समन्वय के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की है.’

उन्होंने कहा, ‘अंतर-मंत्रालयी टीम का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशालय के एक विशेष निदेशक करेंगे.’

मालूम हो कि कुछ दिन पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) को चीनी सरकार से साल 2005-06 में डोनेशन प्राप्त हुए थे. इसे लेकर जवाबी हमला करते हुए कांग्रेस ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड ने कई चीनी कंपनियों से अनुदान प्राप्त किए हैं.

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सवाल उठाया था कि आरजीएफ में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और चीनी दूतावास से अनुदान प्राप्त हुआ था. उन्होंने आरोप लगाया कि यह चंदा ऐसे रिसर्च स्टडी के प्राप्त किए गए जो कि देशहित में नहीं थे.

कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए नड्डा ने यह भी कहा था कि यूपीए सरकार के दौरान प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) के पैसे को गांधी-नेहरू परिवार द्वारा चलाए जा रहे आरजीएफ में ट्रांसफर किया गया था.

हालांकि आरजीएफ द्वारा प्राप्त किए गए अनुदान से संबंध में सार्वजनिक दस्तावेज उपलब्ध हैं, जो कि दर्शाता है कि फाउंडेशन ने रिसर्च स्टडीज के लिए चीन समेत अन्य सरकारों से फंड प्राप्त किया है.

लेकिन पीएम केयर्स फंड को लेकर अभी पूरी तरह ये स्पष्ट नहीं है कि कौन-कौन सी कंपनियां इसमें अनुदान दे रही हैं और ट्रस्ट ने अभी तक प्राप्त डोनेशन की सूची भी सार्वजनिक नहीं की है.

कुछ वर्ष पहले राजीव गांधी फाउंडेशन के चीनी दूतावास से कोष प्राप्त करने को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया था कि क्या यह भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए पक्ष जुटाने के क्रम में दी गई ‘रिश्वत’ थी.

दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा था, ‘आरजीएफ की वार्षिक रिपोर्ट में दानकर्ताओं की सूची से स्पष्ट है कि 2005-06 में इसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से दान मिला था. हम जानना चाहते हैं कि यह दान क्यों लिया गया था.’

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए की गई डिजिटल रैली में यह मुद्दा उठाने के बाद प्रसाद ने विपक्षी पार्टी पर हमला बोला था.

साल 2005-06 की आरजीएफ वार्षिक रिपोर्ट में ‘साझेदार संगठनों और दानकर्ताओं’ के रूप में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास का उल्लेख किया गया है.

मालूम हो कि आरजीएफ की नीतिगत थिंक टैंक, राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेंपरेरी स्टडीज (आरजीआईसीएस) के दानकर्ताओं की सूची में चीन का नाम शामिल है. आरजीआईसीएस को अनुदान देने वालों में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, यूरोपीय आयोग, आयरलैंड सरकार और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम शामिल हैं.

बहरहाल, इस बीच एक जुलाई को सरकार ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के एक बंगले का आवंटन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद वह इस सुविधा की हकदार नहीं हैं.

प्रियंका गांधी जो कि सांसद नहीं हैं. उनसे एक अगस्त तक बंगला खाली करने को कहा गया है. उन्हें यह घर 1997 में आवंटित किया गया था.

पिछले साल नवंबर में सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बच्चों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली थी और उन्हें सीआरपीएफ द्वारा जेड प्लस सुरक्षा दी गई.

परिवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 के बाद से एसपीजी सुरक्षा मिली हुई थी.

राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री के आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के उद्देश्य से की गई थी; एक ऐसा देश जो समानता के लोकतांत्रिक सिद्धांत को प्रतिष्ठापित करता हो और प्रगति एवं समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का मिश्रण हो.

इस फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. अन्य न्यासियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, भूतपूर्व योजना आयोग के पूर्व उपप्रमुख मोंटेक सिंह आहलुवालिया, सुमन दुबे, अशोक गांगुली और संजीव गोयनका शामिल हैं.

राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) की स्थापना 2002 में की गई थी और इसका लक्ष्य देश के वंचित खासकर ग्रामीण गरीबों की विकास जरूरतों को तथा उत्तर प्रदेश और हरियाणा में काम को देखना था.

आरजीसीटी के न्यासियों में सोनिया गांधी (प्रमुख), राहुल गांधी, अशोक गांगुली और बंसी मेहता हैं. इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीप जोशी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने कहा है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को कुछ छिपाने या डरने की जरूरत नहीं, लेकिन विवेकानंद फाउंडेशन, ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी, इंडिया फाउंडेशन और आरएसएस जैसी संस्थाओं से ऐसे सवाल क्यों नहीं पूछे जाते.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है, ‘राजीव गांधी फाउंडेशन को डरने की जरूरत नहीं क्योंकि आपके पास सारी मशीनरी है और आप हर जांच में हर तरह का सवाल पूछ सकते हैं, क्योंकि हम कानून का पालन करने लोग यहां जवाब देने के लिए हैं.’

उन्होंने कहा कि कृपया हमसे पूछिए, जो भी आपको ठीक लगे सबकी जांच कीजिए, आप हर विरोधी खेमे, व्यक्ति और संस्थाओं को प्रताड़ित कर रहे हैं.

सिंघवी ने कहा, ‘लेकिन इसकी खूबसूरती ये है कि ये प्यारे सवाल जैसे 9वीं अनुसूची में छूट… विवेवानंद फाउंडेशन से नहीं पूछे जाते. वे ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी, इंडिया फाउंडेशन या आरएसएस से इस बारे में सवाल नहीं करते.’

जांच के पीछे राजनीति होती तो सरकार छह साल इंतजार नहीं करती: भाजपा

भाजपा ने बुधवार को कहा कि नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े न्यासों की जांच का केंद्र सरकार का आदेश हाल ही में सार्वजनिक की गई जानकारी का ‘स्वाभाविक’ परिणाम है.

भाजपा महासचिव पी. मुरलीधर राव ने कांग्रेस के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि सरकार का यह निर्णय राजनीति से प्रेरित है.

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस के आरोप सही होते तो सरकार ने छह साल तक इंतजार नहीं किया होता.

राव ने नई दिल्ली में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘ये लेन-देन सार्वजनिक किए जा चुके हैं… हमारी सरकार पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्ध है. हाल ही लोगों के बीच लाई गई इतनी सारी जानकारी के बाद इन लेन-देन की जांच करना स्वाभाविक है.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए गृह मंत्रालय ने अलग-अलग तरीके से इसकी जांच की घोषणा की है. यह पारदर्शी शासन के हित में है. कांग्रेस के नेताओं को इसमें सहयोग करना चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)