महाराष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं, प्रवासी संकट से उत्पन्न समस्याओं का पता लगाएं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश उस आवेदन पर दिया है, जिसमें कहा गया था कि अभी भी प्रवासियों का एक वर्ग अपने गृह राज्य वापस लौटने का इंतज़ार कर रहा है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश उस आवेदन पर दिया है, जिसमें कहा गया था कि अभी भी प्रवासियों का एक वर्ग अपने गृह राज्य वापस लौटने का इंतज़ार कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: रॉयटर्स)
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह कोविड-19 प्रवासी संकट के कारण उत्पन्न हुईं समस्याओं का आकलन करें.

सुप्रीम कोर्ट ने उस आवेदन पर ये निर्देश दिया है, जिसमें कहा गया था कि अभी भी प्रवासियों का एक वर्ग अपने गृह राज्य वापस लौटने का इंतजार कर रहा है.

जस्टिस अशोक भूषण, एसके कौल और एमआर शाह की पीठ ने कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुए प्रवासी मजदूरी की दयनीय स्थिति पर लिए गए स्वत: संज्ञान पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए.

गुरुवार की सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र की ओर से पेश होकर नेशनल टेस्टिंग पॉलिसी और एक कोविड-19 कंटेनमेंट प्लान के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा दायर किए गए हलफनामा को वे विपक्ष के वकील के साथ साझा करेंगे.

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को प्रवासियों को बीमा कवर देने के लिए एक बेहतर योजना लानी चाहिए.

बार एंड बेंच के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘हमें प्रवासियों के पुनर्वास के लिए एक कार्य योजना और केंद्रीयकृत प्रणाली की भी आवश्यकता है. प्रवासियों के पंजीकरण पर जोर दिया जाना चाहिए.’ इस पर मेहता ने कहा कि इन मामलों में राज्य सरकार फैसला लेगी.

जब पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में अभी भी ऐसे प्रवासी मजदूर हैं, जो अपने घर वापस जाना चाहते हैं, मेहता ने कहा, ‘जो प्रवासी वापस जाना चाहते थे, उन्होंने अब यहीं रुकने का फैसला किया है क्योंकि रोजगार के मौके खुलने लगे हैं. एक मई से करीब 3.50 लाख मजदूर वापस काम पर लौट आए हैं.’

यह देखते हुए कि केंद्र इस मामले को प्रतिकूल मुकदमेबाजी के रूप में देख रहा है, जस्टिस शाह ने मेहता को एक उचित हलफनामा दायर करने के लिए कहा.

तब जस्टिस भूषण ने कहा, ‘आप ये नहीं कह सकते हैं कि महाराष्ट्र में सब कुछ ठीक है और आप भोजन और ट्रांसपोर्ट मुहैया करा रहे हैं.’

इस पर मेहता ने कहा, ‘जो वापस जाना चाहते थे उन्हें भेज दिया गया है. जो लोग फंसे थे और वापस चले गए उन्हें उनकी प्रतिभा के अनुसार काम नहीं मिल रहा है.’

लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘यह प्रतिकूल मुकदमा नहीं है. यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वे कमियों को रेखांकित करें. महाराष्ट्र राज्य हलफनामा दायर कर बताए कि अगले हफ्ते तक कितने प्रवासी महाराष्ट्र वापस लौटना चाहते हैं.’

जस्टिस भूषण ने कहा, ‘आपका हलफनामा पर्याप्त नहीं है. यह हलफनामा आपके बयानों को दर्ज करने के लिए दायर करने को नहीं कहा गया था. हम राज्य की ये दलील नहीं मान सकते कि महाराष्ट्र में सब कुछ ठीक है.’

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को प्रवासी संकट से उत्पन्न समस्याओं का पता लगाने के लिए निर्देश दिया. राज्य को फंसे प्रवासियों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करना आवश्यक है.

मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई शुक्रवार को होगी.