राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा यथास्थिति बरक़रार रखने के आदेश का मतलब है कि अब विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले पाएंगे. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि उनके पास बहुमत है और इस बात पर उनके विरोधियों को भी संदेह नहीं है. विधानसभा सत्र बुलाने के लिए उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात भी की.
नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिन पायलट और 18 अन्य बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता के नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखने का शुक्रवार को आदेश दिया.
विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस पार्टी द्वारा शिकायत दिए जाने के बाद इन विधायकों को 14 जुलाई को नोटिस जारी किया था. कांग्रेस ने शिकायत में कहा था कि विधायकों ने पिछले हफ्ते बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिये जारी ह्विप का उल्लंघन किया है.
कांग्रेस ने पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई की मांग की थी.
विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, यदि वह उसकी सदस्यता ‘स्वेच्छा’ से त्याग देता है तो यह प्रावधान उक्त विधायक को अयोग्य करार देता है.
पायलट खेमे ने इन नोटिसों के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिनके तहत उन्हें राज्य विधानसभा से अयोग्य करार दिया जा सकता है.
हाईकोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति का आदेश देते हुए कहा कि बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता नोटिस मामले में फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं की जाए.
उच्च न्यायालय ने कहा कि उनका कोई भी आदेश सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा दायर याचिका पर निर्णय के अधीन होगा.
हाईकोर्ट द्वारा यथास्थिति के आदेश का मतलब है कि अब विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले पाएंगे.
पायलट और कांग्रेस के बागी विधायकों ने बीते 17 जुलाई को उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी थी और इस पर जिरह भी हुई है.
इस याचिका पर 20 जुलाई को भी सुनवाई हुई और बहस 21 जुलाई को समाप्त हुई. अदालत ने इस दिन कहा कि वह रिट याचिका पर 24 जुलाई को उचित आदेश देगी.
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया और वहां 22 जुलाई को एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उप-मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने अयोग्यता मामले में केंद्र को पक्षकार बनाए जाने को मंजूरी दी
इसके अलावा राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस के 19 बागी विधायकों द्वारा दायर उस याचिका पर भी सुनवाई करने पर सहमति जताई जिसमें केंद्र सरकार को उनकी याचिका में प्रतिवादी के तौर पर शामिल करने का अनुरोध किया गया है.
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की पीठ ने याचिकाकर्ताओं द्वारा बीते गुरुवार को दायर याचिका को मंजूर कर लिया.
पक्षकार बनाने की याचिका इस आधार पर दायर की गई थी कि इस मामले में संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है और इसलिए भारत सरकार अब एक अनिवार्य पक्ष है.
मालूम हो कि पायलट और उनके समर्थक विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने बीते 21 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वे 24 जुलाई तक नोटिस पर कोई कार्यवाही न करें.
जिसके बाद ये दलील देते हुए कि हाईकोर्ट संवैधानिक अथॉरिटी विधानसभा अध्यक्ष को ऐसा आदेश नहीं दे सकता है, सीपी जोशी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में 22 जुलाई को चुनौती दी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि वे 27 जुलाई को इस मामले पर अगली सुनवाई करेंगे.
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि इस मामले पर लंबी सुनवाई की जरूरत है क्योंकि यह ‘लोकतंत्र से संबंधित गंभीर सवाल’ से जुड़ा हुआ है.
चूंकि राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की याचिका पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बाकी है, इसलिए हाईकोर्ट ने यथास्थिति का आदेश देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर उनका अंतिम फैसला दिया जाएगा.
पिछले सप्ताह 13 और 14 जुलाई को कांग्रेस विधायी दल की दो बैठकों में हिस्सा लेने के लिए जारी ह्विप का उल्लंघन करने पर पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी, जिसके बाद सचिन पायलट समेत 19 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी नोटिस जारी किया गया था.
पायलट खेमे ने हालांकि दलील दी कि व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो.
विधानसभा अध्यक्ष को दी गई शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई की मांग की थी.
हमारे पास बहुमत है और इस पर विरोधियों को भी संदेह नहीं: अशोक गहलोत
वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि उनके पास बहुमत है और इस बात पर उनके विरोधियों को भी संदेह नहीं है.
उनका दावा है कि हरियाणा में कथित तौर पर बंधक कांग्रेस विधायकों के एक छोटे गुट में से कुछ वापस आना चाहते हैं और समय आने पर यह साफ हो जाएगा.
राजस्थान में पिछले लगभग दो सप्ताह से जारी राजनीतिक संकट के बीच गहलोत ने दावा किया कि उनके पास स्पष्ट बहुमत है और ‘इस पर उनके विरोधियों को भी कोई संदेह नहीं है.’
कांग्रेस विधायकों के एक ‘छोटे गुट’ को राज्य के बाहर होटल में बाउंसरों व दूसरे राज्य की पुलिस के पहरे में बंधक बनाकर रखने का आरोप भाजपा पर लगाते हुए गहलोत ने कहा, ‘मुझे जानकारी मिली है कि विधायक वहां से निकलकर सरकार के साथ आना चाहते हैं और समय आने पर यह साफ हो जाएगा.’
इस सवाल पर कि बहुमत साबित करने के लिए क्या वह विधानसभा का सत्र बुलाएंगे गहलोत ने कहा, वह इस पर समय की आवश्यकता के अनुरूप फैसला लेंगे.
एक सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट की वापसी उनके आगे के रुख, क्रियाकलाप व कांग्रेस आलाकमान के फैसले पर निर्भर है.
उनसे पूछा गया था कि यदि पायलट वापस आना चाहें तो उनकी कोई शर्त होगी. गहलोत इस सवाल को टाल गए कि पायलट की वापसी को लेकर राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा ने उनसे कोई बात की है.
यह पूछने पर कि क्या राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा पायलट की वापसी चाहते हैं, गहलोत ने कहा, ‘इस संबध में पार्टी नेतृत्व ही सही जानकारी दे सकता है.’
गहलोत ने हालांकि साफ-साफ नहीं कहा पर उन्होंने यह स्पष्ट जरूर किया कि हाल ही में पायलट को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर निकम्मा व नाकारा बताने संबंधी उनके बयान पर उन्हें किसी तरह का अफसोस नहीं है और ऐसे शब्द मजबूरी में उन्हें कहने पड़े.
उन्होंने कहा, ‘मै इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं करता हूं. परंतु जिस तरह का घटनाक्रम हुआ है. संगठन चलाने में जिस तरह गुटों को खड़ा किया गया, सरकार गिराने का षड्यंत्र किया गया, पार्टी अनुशासन तोड़ा गया एवं सामान्य गरिमा नहीं रखी गई, उससे व्यथित होकर मुझे कुछ अप्रिय शब्द कहने पड़े.’
पिछले कुछ दिनों में पायलट के प्रति अपनी नाराजगी को कई बार उजागर कर चुके गहलोत ने कहा, ‘हमारे कुछ विधायकों द्वारा सचिन पायलट की अगुवाई में जिस स्तर की पार्टी विरोधी गतिविधियां जारी हैं, ऐसे में पार्टी नेतृत्व का व्यथित होना स्वाभाविक है.’
यह पूछे जाने पर कि सचिन पायलट की ओर से भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश संबंधी जानकारी उन्होंने आलाकमान को कब दी, गहलोत ने साफ जवाब नहीं दिया.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी में सूचनाओं तथा फीडबैक के आदान-प्रदान का समुचित तंत्र है. जब चीजें मर्यादा के बाहर जाती हैं तब पार्टी प्रक्रिया के मुताबिक कदम भी उठाए जाते हैं.’
भाजपा की ओर से कथित फोन टैपिंग और इसकी कानूनी वैधता को लेकर पूछे जा रहे सवाल का उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि वह इतना जरूर आश्वस्त करना चाहेंगे कि उनकी ‘सरकार में हर कार्यवाही कानून, नियम, तय प्रक्रियाओं एवं निष्पक्षता से ही होगी.’
गहलोत ने कहा, इस मामले में सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा जांच व कानून अनुरूप कार्यवाही प्रक्रियाधीन है और वह इस समय और कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे.
गहलोत ने एक बार फिर यह आरोप लगाया कि भाजपा का नेतृत्व उनकी सरकार गिराने की साजिश कर रहा है. यह कहे जाने पर कि भाजपा इसे कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का परिणाम बता रही है, गहलोत ने कहा, क्या कोई यह मान सकता है कि इस घटनाक्रम में भाजपा का हाथ नहीं है.
गहलोत ने सवाल किया, ‘ऑडियो टेप सामने आए हैं. मेरे करीबियों पर आयकर व ईडी के छापे पड़ रहे हैं. हरियाणा में पुलिस के पहरे में और भाजपा सरकार की मेजबानी में कांग्रेस के विधायक रखे गए हैं, यह सब क्या साबित करता है?’
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के इस आरोप पर कि मुख्यमंत्री उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से बेटे वैभव गहलोत के हारने की वजह से निशाना बना रहे हैं, अशोक गहलोत ने कहा, ‘इस घटनाक्रम को बेवजह डेढ़ वर्ष पूर्व हुए चुनाव से जोड़ना किसी को शोभा नहीं देता.’
उन्होंने कहा, ‘जांच एजेंसियां साक्ष्यों के आधार पर निष्पक्ष कानूनी जांच कर रही हैं. अंतत: जीत सत्य की ही होती है.’
क्या उन्हें उम्मीद है कि विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए उन्हें भाजपा के कुछ विधायकों का समर्थन मिल सकता है, इस सवाल पर गहलोत का जवाब था कि 200 सदस्यीय विधानसभा में उनके पास कांग्रेस और सरकार को समर्थन दे रहे साथी विधायकों का बहुमत पहले से मौजूद है.
राज्यपाल से मिले अशोक गहलोत
राजस्थान में अशोक गहलोत की अगुवाई में शुक्रवार को सरकार के समर्थक विधायकों विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह करने के लिए राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र से मिले.
इन विधायकों के साथ कांग्रेस सरकार के समर्थक निर्दलीय और अन्य विधायक भी राजभवन पहुंचे.
मुख्यमंत्री गहलोत पहले जब राज्यपाल से मुलाकात कर रहे थे तो बाकी विधायक मंत्री बाहर लॉन में इंतजार कर रहे थे. इस दौरान इन विधायकों ने नारेबाजी की.
#WATCH Rajasthan: Congress MLAs supporting Chief Minister Ashok Gehlot sit and raise slogans at Raj Bhawan.
The Chief Minister had met Governor Kalraj Mishra this afternoon over the issue of the convening of the Assembly Session. pic.twitter.com/m6XhwwMuM2
— ANI (@ANI) July 24, 2020
विधायकों ने ‘हर जोर जुल्म की टक्कर में इंसाफ हमारा नारा है’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘अशोक गहलोत संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं’, ‘अशोक गहलोत जिंदाबाद’ के नारे लगाए.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले गहलोत ने मीडिया से कहा कि सरकार के आग्रह के बावजूद ‘ऊपर से दबाव’ के कारण राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं.
कांग्रेस विधायक राजभवन में धरने पर बैठे
राजस्थान में कांग्रेस विधायक तथा अशोक गहलोत सरकार के समर्थक अन्य विधायक शुक्रवार अपराह्न राजभवन के दालान में धरने पर बैठ गए. ये विधायक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का सामूहिक आग्रह करने के लिए राजभवन गए थे.
परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, ‘हमने राज्यपाल से नियमों के तहत विधानसभा का सत्र बुलाने का आग्रह किया. राज्यपाल केंद्र के निर्देशों पर काम कर रहे हैं. जब तक सत्र की तारीख नहीं दी जाती है हम यहां पर बैठे हैं.’
हालांकि बाद में राज्यपाल के आश्वासन के बाद कांग्रेस और उसके समर्थक विधायकों ने राजभवन में अपना धरना समाप्त किया, राज्यपाल ने कुछ बिंदु उठाए हैं, जिन पर विचार के लिए अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की बैठक शुक्रवार रात होगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)