केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी बकाये का भुगतान करने में सक्षम नहीं है: केंद्रीय वित्त सचिव

राज्यों को किए जाने वाले मुआवज़े के भुगतान के फॉर्मूला पर दोबारा काम करने के लिए जुलाई में जीएसटी परिषद की बैठक होने वाली थी. हालांकि, अब तक यह बैठक नहीं हो सकी है.

(फोटो: पीटीआई)

राज्यों को किए जाने वाले मुआवज़े के भुगतान के फॉर्मूला पर दोबारा काम करने के लिए जुलाई में जीएसटी परिषद की बैठक होने वाली थी. हालांकि, अब तक यह बैठक नहीं हो सकी है.

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नई दिल्लीः वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने मंगलवार को हुई एक बैठक में स्थायी संसदीय समिति को बताया है कि राजस्व साझेदारी की मौजूदा फॉर्मूला के तहत केंद्र सरकार राज्यों के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का हिस्सा दे पाने में सक्षम नहीं है.

द हिंदू के अनुसार, इस स्थायी संसदीय समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद जयंत सिंहा कर रहे थे.

बैठक में शामिल होने वाले कम से कम दो सदस्यों ने बताया कि वित्त सचिव ने यह टिप्पणी कोरोना वायरस महामारी के कारण राजस्व में आई कमी को लेकर पूछे गए सवाल पर की.

एक सदस्य ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि बाद सदस्यों ने पांडे से पूछा कि सरकार राज्यों से किए गए वादे को कैसे पूरा करेगी.

इस पर उन्होंने कहा कि अगर राजस्व संग्रह एक निश्चित सीमा से कम हो जाता है तो जीएसटी अधिनियम में राज्य सरकारों को मुआवजे का भुगतान करने के फार्मूले को फिर से लागू करने के प्रावधान हैं.

सोमवार को वित्त मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के जीएसटी मुआवजे के लिए केंद्र सरकार ने 13806 करोड़ रुपये की अंतिम किस्त जारी की है.

राज्यों को किए जाने वाले मुआवजे के भुगतान के फॉर्मूले पर दोबारा काम करने के लिए जुलाई में जीएसटी परिषद की बैठक होने वाली थी. हालांकि, अभी तक यह बैठक नहीं हो सकी है.

बता दें कि समिति की यह बैठक देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के बाद पहली बार हुई. इस दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करने के बजाय समिति ने ‘नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और भारत की विकास कंपनियों को वित्त मुहैया कराना’ जैसे मुद्दे को उठाया.

इसकी समिति में विपक्षी दलों के सदस्यों ने तीखी आलोचना की.

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस सांसदों मनीष तिवारी, अंबिका सोनी और एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल ने इस बात की पुरजोर मांग की कि समिति को महामारी के कारण भारी नुकसान उठाने वाली अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करनी चाहिए.

समिति के अध्यक्ष जयंत सिंहा को लिखे गए एक पत्र में मनीष तिवारी ने कहा था कि संकट की इस घड़ी में चुने गए विषय पर चर्चा कराने से लोगों को लगेगा कि समिति भ्रम का शिकार हो गई है.

यह ज्ञात हुआ है कि समिति के अध्यक्ष जयंत सिंहा ने कहा कि सदस्यों द्वारा पूछे गए अधिकतर प्रश्न राजनीतिक थे जिनका जवाब वित्त मंत्रालय के अधिकारी नहीं दे सकते थे. इनका जवाब केवल मंत्री निर्मला सीतारमण दे सकती हैं वह भी संसद में इस मुद्दे पर बहस के दौरान.

सूत्रों के अनुसार, इस पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अगर वित्त मामलों की स्थायी समिति अर्थव्यवस्था की स्थिति से जुड़े सामान्य सवालों पर भी चर्चा नहीं कर सकती है तो अच्छा होगा कि समिति को भंग ही कर दिया जाए.

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