लोगों और सामान के अंतरराज्यीय आवागमन पर राज्य पाबंदी न लगाएं: केंद्र

सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में केंद्रीय गृह सचिव ने कहा है कि ऐसी खबरें मिली हैं कि विभिन्न ज़िलों और राज्यों द्वारा स्थानीय स्तर पर आवाजाही पर पाबंदी लगाई जा रही है. ऐसी पाबंदियों से विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के अंतरराज्यीय आवागमन में दिक्कतें पैदा होती हैं और इससे आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ता है.

Bengaluru: A view of the deserted Electronic City Flyover in Bengaluru on Sunday May 24, 2020.

सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में केंद्रीय गृह सचिव ने कहा है कि ऐसी खबरें मिली हैं कि विभिन्न ज़िलों और राज्यों द्वारा स्थानीय स्तर पर आवाजाही पर पाबंदी लगाई जा रही है. ऐसी पाबंदियों से विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के अंतरराज्यीय आवागमन में दिक्कतें पैदा होती हैं और इससे आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ता है.

Bengaluru: A view of the deserted Electronic City Flyover in Bengaluru on Sunday May 24, 2020.
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र ने सभी राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि लॉकडाउन में ढील की मौजूदा प्रक्रिया के दौरान किसी राज्य के भीतर तथा एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यक्तियों और सामान के आवागमन पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए.

सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा है कि ऐसी खबरें मिली हैं कि विभिन्न जिलों और राज्यों द्वारा स्थानीय स्तर पर आवाजाही पर पाबंदी लगाई जा रही है.

‘अनलॉक-3’ के दिशा-निर्देशों की ओर ध्यान दिलाते हुए भल्ला ने कहा कि ऐसी पाबंदियों से विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के अंतरराज्यीय आवागमन में दिक्कतें पैदा होती हैं और इससे आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ता है. इस वजह से आर्थिक गतिविधि या रोजगार में अवरोध पैदा होता है.

उन्होंने पत्र में कहा कि ‘अनलॉक’ के दिशा-निर्देशों में साफ तौर पर कहा गया है कि व्यक्तियों या सामान के अंतरराज्यीय और राज्यों के भीतर आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.

दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि पड़ोसी देशों के साथ समझौते के तहत सीमा पार व्यापार के लिए व्यक्तियों या सामान के आवागमन के वास्ते अलग से अनुमति, मंजूरी या ई-परमिट की जरूरत नहीं होगी.

गृह सचिव ने कहा कि ऐसे प्रतिबंध आपदा प्रबंधन कानून 2005 के प्रावधानों के तहत गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के समान हैं.

पत्र में आग्रह किया गया है कि पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए और ‘अनलॉक’ संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन लगाने की घोषणा की थी. बाद में इसे 31 मई तक बढ़ाया गया.

इसके बाद देशभर में औद्योगिक गतिविधियों और कार्यालयों को खोलने के साथ एक जून से ‘अनलॉक’ की प्रक्रिया शुरू हुई थी. सरकार ने लॉकडाउन 5.0 को ‘अनलॉक-1’ का नाम दिया था.

देशव्यापी कोरोना वायरस लॉकडाउन के पहले दो महीनों के दौरान लोगों और वस्तुओं की अंतरराज्यीय आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी. मई में लॉकडाउन पांच के दिशानिर्देशों के तहत राज्य के भीतर और दो राज्यों के बीच लोगों और वस्तुओं की आवाजाही को फिर से मंजूरी दे दी गई थी.

लॉकडाउन के चौथे चरण के खत्म होने के एक दिन पहले 30 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके पांचवें चरण को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए थे.

केंद्र ने तीन चरणों में लॉकडाउन को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे. पहले चरण में होटल, शॉपिंग मॉल और धार्मिक स्थलों को खोलने की बात कही गई थी.

दूसरे चरण में स्कूल और कॉलेज खोलने को लेकर निर्णय करने और तीसरे चरण में सिनेमाहॉल, जिम, बार आदि खोलने का फैसला लेने को कहा गया था.

बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए देश में लागू लॉकडाउन का चौथा चरण 18 मई से 31 मई तक के लिए लगाया गया था. इससे पहले 25 मार्च से 14 अप्रैल, 15 अप्रैल से तीन मई और चार मई से 17 मई तक के लिए लॉकडाउन का ऐलान किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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