जम्मू कश्मीर प्रशासन का कहना है कि स्थायी आवास प्रमाण-पत्र (पीआरसी) धारकों को 99 फीसदी से अधिक डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं. इस साल अप्रैल में जारी किए गए नए डोमिसाइल नियमों में केंद्रशासित प्रदेश का निवासी होने की परिभाषा तय की गई थी.
श्रीनगरः जम्मू कश्मीर में नई डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद प्रशासन 31 अगस्त तक लगभग 12.5 लाख डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी कर चुका है. अप्रैल में डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद जून महीने से इस केंद्रशासित प्रदेश ने यह सर्टिफिकेट जारी करना शुरू किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने मंगलवार को कहा कि स्थायी आवास प्रमाण-पत्र (पीआरसी) धारकों को 99 फीसदी से अधिक डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं.
कंसल ने कहा, ‘हम नियमित तौर पर इस प्रक्रिया की समीक्षा कर रहे हैं और सर्टिफिकेट जारी करने की इस प्रक्रिया में अब तेजी आई है. 12.5 लाख से अधिक सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं और विशेष तौर पर ये कश्मीरी पंडितों सहित पीआरसी धारकों को जारी किए गए हैं. इस प्रक्रिया को और तेज किया जाएगा.’
वहीं, राजस्व के प्रधान सचिव पवन कोटवाल ने कहा कि ब्योरे के सत्यापन की प्रक्रिया में डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए 20,000 आवेदनों को खारिज कर दिया गया.
उन्होंने जोर देकर कहा कि सर्टिफिकेट का भूमि अधिकारों से कोई लेना-देना नहीं है. अगर आपके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट है तो आपको यहां जमीन लेने का अधिकार नहीं है, यह एक अलग विषय है.
कंसल ने कहा, ‘सरकार ने विशेष रूप से लंबित आवेदनों और सर्टिफिकेट जारी करने में अधिक समय लिए जाने के संबंध में स्थिति की विस्तृत समीक्षा की और 25 अगस्त को एसआरओ 263 जारी किया गया ताकि पीआरसी धारकों के लिए प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके जबकि वहीं इन सर्टिफिकेट को जारी करने का समय 15 दिन से घटाकर पांच दिन कर दिया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद आदेश दिए गए कि पीआरसी धारकों के लिए कोई अतिरिक्त जांच की जरूरत नहीं है और उन्हें सिर्फ पीआरसी की उपलब्धता के आधार पर डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा.’
बता दें कि इस साल अप्रैल महीने में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नए डोमिसाइल नियमों का ऐलान किया था.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 में सेक्शन 3ए को जोड़ा गया था, जिसके तहत राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के निवासी होने की परिभाषा तय की गई थी.
इसके मुताबिक, जिस भी शख्स ने जम्मू कश्मीर में पंद्रह साल बिताए हैं या जिसने यहां सात साल पढ़ाई की है और 10वीं और 12वीं की परीक्षा यहीं के किसी स्थानीय संस्थान से दी, वह यहां का निवासी माना जाएगा.
नई परिभाषा के तहत राज्य के निवासियों में केंद्रीय सरकारी अधिकारी, सभी सर्विसेज के अधिकारी, पीएसयू और स्वायत्त संस्थाओं के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, वैधानिक निकायों के अधिकारी भी शामिल होंगे.
इसके साथ उन केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थाओं के अधिकारी जो दस वर्षों तक जम्मू कश्मीर में सेवाएं दे चुके हों.
इन नियमों को पूरा करने वालों के बच्चे भी निवासियों की श्रेणी में आएंगे.
इसके साथ ही अब जम्मू कश्मीर के निवासियों में उन लोगों को भी शामिल किया गया, जिन्हें राहत और पुनर्वास आयुक्त ने राज्य में शरणार्थी या अप्रवासी का दर्जा दिया है.
इसके तुरंत बाद सरकार ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने की जरूरतों को परिभाषित करने और इसके दायरे में पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों, सफाई कर्मचारियों और जम्मू कश्मीर से बाहर जिन महिलाओं की शादी हुई हैं, उनके बच्चों को शामिल करने के लिए ग्रांट ऑफ डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रक्रिया) नियम जारी किया.
इसके बाद 22 जून को पूर्व उपराज्यपाल जीसी मूर्मू ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने और इसके आवेदन के लिए पोर्टल लॉन्च किया था, जिसके बाद सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी.