दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे ट्रैक के आसपास की क़रीब 48,000 झुग्गियों को हटाने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने का ये काम तीन महीने के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए. साथ ही ये निर्देश भी दिया कि झुग्गियां हटाने को लेकर कोई भी अदालत स्टे नहीं लगाएगी.

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(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने का ये काम तीन महीने के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए. साथ ही ये निर्देश भी दिया कि झुग्गियां हटाने को लेकर कोई भी अदालत स्टे नहीं लगाएगी.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में दिल्ली में लगभग 140 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक के आसपास में फैलीं करीब 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ये कार्य तीन महीने के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए.

इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी निर्देश दिया है कि झुग्गियां हटाने को लेकर कोई भी कोर्ट स्टे नहीं लगाएगा.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने आदेश में कहा, ‘तीन महीने के भीतर अतिक्रमण को खाली कराया जाना चाहिए और किसी भी तरह का राजनीतिक या अन्य हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए और न ही कोई अदालत इस मामले में अतिक्रमण हटाने को लेकर स्टे लगाएगी.’

बीते 31 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यदि रेलवे ट्रैक के आसपास अतिक्रमण के संबंध में कोई अंतरिम आदेश जारी भी किया जाता है तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा या वो मान्य नहीं होगा.

इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी भी शामिल थे.

यह आदेश एमसी मेहता मामले में जारी किया गया है, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय साल 1985 से ही दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण के संबंध में विभिन्न तरह के निर्देश जारी करता आ रहा है.

कोर्ट का ये निर्देश रेलवे के उस हलफनामे के बाद आया है जिसमें उसने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में करीब 140 किमी लंबे रेलवे ट्रैक के आसपास बहुत सारी झुग्गियां हैं. रेलवे ने कहा कि इसमें से करीब 70 किमी क्षेत्र में कथित तौर पर बड़ी-बड़ी झुग्गी झोपड़ियां हैं और ये सब ट्रैक के बहुत समीप में हैं.

रेलवे ने कोर्ट को बताया कि इन सभी को मिलाकर इन क्षेत्रों में करीब 48,000 झुग्गियां हैं.

रेलवे ने आगे बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अक्टूबर 2018 के निर्देश के आधार पर इस कथित अतिक्रमण को हटाने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया था. हालांकि ‘राजनीतिक’ हस्तक्षेप के चलते ये काम पूरा नहीं हो पाया है.