एसबीआई ने लागत कम करने के लिए पेश की वीआरएस योजना, यूनियन ने कहा- मज़दूर विरोधी क़दम

वीआरएस योजना उन स्थायी कर्मचारियों के लिए है, जो बैंक में 25 साल काम कर चुके हैं या जिनकी उम्र 55 साल है. स्टेट बैंक के अनुसार, अनुमानित पात्र लोगों में से यदि 30 प्रतिशत ने भी वीआरएस लिया, तो जुलाई के वेतनमान के हिसाब से बैंक को 16 हज़ार करोड़ रुपये की बचत होगी. बैंक यूनियन योजना के ख़िलाफ़ है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

वीआरएस योजना उन स्थायी कर्मचारियों के लिए है, जो बैंक में 25 साल काम कर चुके हैं या जिनकी उम्र 55 साल है. स्टेट बैंक के अनुसार, अनुमानित पात्र लोगों में से यदि 30 प्रतिशत ने भी वीआरएस लिया, तो जुलाई के वेतनमान के हिसाब से बैंक को 16 हज़ार करोड़ रुपये की बचत होगी. बैंक यूनियन योजना के ख़िलाफ़ है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने लागत कम करने के लिए एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तैयार की है.

बैंक के लगभग 30,190 कर्मचारी इस योजना के पात्र हैं. मार्च 2020 तक एसबीआई में कर्मचारियों की कुल संख्या 2.49 लाख है, जो साल भर पहले 2.57 लाख थी.

सूत्रों के अनुसार, बैंक ने वीआरएस योजना का मसौदा तैयार कर लिया है और निदेशक मंडल की मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है. प्रस्तावित योजना ‘दूसरी पारी टैप वीआरएस- 2020’ का लक्ष्य बैंक की लागत में कमी लाना और मानव संसाधन का अधिकतम इस्तेमाल करना है.

यह योजना हर वैसे स्थायी कर्मचारियों के लिए है, जिन्होंने बैंक के साथ काम करते हुए 25 साल बिता दिए हैं या जिनकी उम्र 55 साल है.

योजना एक दिसंबर से शुरू होगी और फरवरी तक उपलब्ध रहेगी. उसके बाद वीआरएस आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे. प्रस्तावित पात्रता शर्तों के अनुसार, बैंक में कार्यरत 11,565 अधिकारी और 18,625 कर्मचारी योजना के पात्र होंगे.

बैंक ने कहा कि अनुमानित पात्र लोगों में से यदि 30 प्रतिशत ने योजना का चयन किया तो जुलाई 2020 के वेतन के हिसाब से बैंक को 1,662.86 करोड़ रुपये की शुद्ध बचत होगी.

योजना चुनने वाले कर्मियों को बचे कार्यकाल का 50 प्रतिशत अथवा पिछले 18 महीने में उन्हें कुल वेतन में से जो कम होगा, उसका एकमुश्त भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा उन्हें ग्रेच्युटी, पेंशन, भविष्य निधि और चिकित्सा लाभ जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, स्टेट बैंक ने कहा है कि वीआरएस योजना के तहत पुराने कर्मचारियों के रिटायर होने से बैंक के साथ नई प्रतिभाएं जुड़ेंगी और कामकाज के तरीके में नयापन आएगा.

मालूम हो कि हाल में ही केंद्र सरकार ने साफ किया है कि केंद्रीय कर्मचारियों को भी समय से पहले रिटायर किया जा सकता है.

नियमों का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि 50-55 साल की उम्र या 30 साल की नौकरी पूरी करने वाले कर्मचारियों को कभी भी रिटायर किया जा सकता है.

केंद्र सरकार ने कहा है कि ऐसे कर्मचारी जिन्होंने एफआर 56 (आई) और सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 के 48वें रूल के मुताबिक रिटेन होने की अनुमति ले ली है, उन्हें भी रिव्यू का सामना करना पड़ सकता है.

हालांकि, बैंक यूनियन प्रस्तावित वीआरएस योजना के पक्ष में नहीं हैं. नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्वनी राणा ने कहा, ‘एक ऐसे समय में जब देश कोविड-19 महामारी की चपेट में है, यह कदम प्रबंधन के मजदूर विरोधी रवैये को दर्शाता है.’

महामारी के बीच वीआरएस योजना लाने वाले उपक्रमों में केवल स्टेट बैंक ही नहीं है. बीते जुलाई महीने में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपारेशन लिमिटेड अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना लेकर आई है.

सरकार देश की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी तथा दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम विपणन कंपनी का निजीकरण करने जा रही है. निजीकरण से पहले कंपनी ने अपने कर्मचारियों को वीआरएस देने की पेशकश की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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