गुजरात: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास के गांवों के आदिवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया

आदिवासियों ने हाल ही में लागू हुए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी क्षेत्र विकास और पर्यटन प्रशासन अधिनियम को रद्द करने की मांग की, जो गुजरात सरकार को प्रतिमा के आसपास के क्षेत्र में किसी भी विकास परियोजना के लिए इन गांवों में भूमि अधिग्रहित करने की शक्ति देता है.

Kevadiya: Final touches being given to the Statue of Unity at Kevadiya Colony, about 200 kilometers from Ahmadabad, Thursday, October 18, 2018. The Statue of Unity, a 182-meters tall tribute to Indian freedom fighter Sardar Vallabhbhai Patel, will be inaugurated on Oct. 31 and is slated to be the world's tallest statue. (PTI Photo/Santosh Hirlekar) (PTI10_18_2018_000076B)
Kevadiya: Final touches being given to the Statue of Unity at Kevadiya Colony, about 200 kilometers from Ahmadabad, Thursday, October 18, 2018. The Statue of Unity, a 182-meters tall tribute to Indian freedom fighter Sardar Vallabhbhai Patel, will be inaugurated on Oct. 31 and is slated to be the world's tallest statue. (PTI Photo/Santosh Hirlekar) (PTI10_18_2018_000076B)

आदिवासियों ने हाल ही में लागू हुए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी क्षेत्र विकास और पर्यटन प्रशासन अधिनियम को रद्द करने की मांग की, जो गुजरात सरकार को प्रतिमा के आसपास के क्षेत्र में किसी भी विकास परियोजना के लिए इन गांवों में भूमि अधिग्रहित करने की शक्ति देता है.

Kevadiya: Final touches being given to the Statue of Unity at Kevadiya Colony, about 200 kilometers from Ahmadabad, Thursday, October 18, 2018. The Statue of Unity, a 182-meters tall tribute to Indian freedom fighter Sardar Vallabhbhai Patel, will be inaugurated on Oct. 31 and is slated to be the world's tallest statue. (PTI Photo/Santosh Hirlekar) (PTI10_18_2018_000076B)
(फोटो: पीटीआई)

राजपीपला (गुजरात): स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास के 14 गांवों के सैकड़ों आदिवासियों ने क्षेत्र के विकास के नाम पर गुजरात सरकार द्वारा किए जाने वाले उनकी भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ रविवार को मानव श्रृंखला बनाई, जिसमें उन्होंने कहा कि इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी.

आदिवासी अधिकार दिवस के अवसर पर आदिवासियों ने अपने गांवों के बाहर शांतिपूर्वक तरीके से तख्तियां और बैनर लगाकर विरोध प्रदर्शन किया.

एक कार्यकर्ता ने बताया कि उनकी मुख्य मांगों में से एक हाल ही में लागू हुए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी क्षेत्र विकास और पर्यटन प्रशासन अधिनियम को रद्द करना भी शामिल है.

यह कानून सरकार को सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा के आसपास के क्षेत्र में किसी भी विकास परियोजनाओं के लिए इन गांवों में भूमि अधिग्रहित करने की शक्ति देता है.

कार्यकर्ता प्रफुल्ल वसावा ने कहा कि आदिवासी समन्वय मंच द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में पूर्वी गुजरात के 16 जिलों के 50 आदिवासी बहुल तालुकाओं के लोगों ने हिस्सा लिया.

उन्होंने कहा कि विकास परियोजनाओं के नाम पर राज्य सरकार आदिवासियों के स्वामित्व वाली कृषि भूमि को जबरन छीन रही है, जो उनकी आजीविका का आधार है.

उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के कारण बड़ी संख्या में आदिवासी विस्थापित हुए हैं.

मालूम हो कि क्षेत्र के आदिवासी इस मुद्दे को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

पिछले साल अक्टूबर महीने में गुजरात में नर्मदा जिले के केवड़िया में सरदार पटेल के स्मारक ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के पास रहने वाले आदिवासियों ने दावा किया था कि उच्च न्यायालय के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बावजूद राज्य सरकार पर्यटन परियोजनाओं के लिए उनके पुरखों की जमीन छीन रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर 31 अक्टूबर 2018 को प्रतिमा का उद्घाटन किया था, जो अब विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है. प्रतिमा के उद्घाटन के समय भी इसका विरोध किया गया था.

गुजरात में वडोदरा से सौ किलोमीटर दक्षिण पूर्व में नर्मदा ज़िले स्थित केवडिया के पास नर्मदा नदी में साधु बेट नामक छोटे द्वीप पर सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है.

इसे बनाने में लगभग 3000 करोड़ रुपये का खर्च आया था. यह प्रतिमा अमेरिका में स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ से करीब दो गुनी ऊंची है. इस प्रतिमा के निर्माण में 70,000 टन से ज़्यादा सीमेंट, 18,500 टन री-एंफोंर्समेंट स्टील, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसा का इस्तेमाल हुआ है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)