सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, आरबीआई सहित 15 सरकारी बैंकों और संस्थाओं ने आरटीआई के माध्यम से बताया है कि उन्होंने कुल मिलाकर 349.25 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दान किए. एलआईसी ने विभिन्न श्रेणियों के तहत अकेले सबसे अधिक 113.63 करोड़ रुपये दान में दिए हैं.
नई दिल्ली: आरबीआई के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के कम से कम सात बैंकों और सात अन्य शीर्ष वित्तीय व बीमा संस्थाओं ने अपने कर्मचारियों के वेतन से कुल मिलाकर 204.75 करोड़ रुपये की राशि आपात स्थिति में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत (पीएम-केयर्स) फंड में दान की.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के हवाले से यह जानकारी हासिल की है.
रिपोर्ट के अनुसार, दस्तावेजों से पता चलता है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी) और नेशनल हाउसिंग बैंक ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) व अन्य प्रावधानों के तहत अलग से 144.5 करोड़ रुपये दान किए.
इस तरह से जिन 15 सरकारी बैंकों और संस्थाओं ने आरटीआई के माध्यम से बताया है कि उन्होंने कुल मिलाकर 349.25 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दान किए.
फंड का प्रबंधन करने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्राप्त सहायता राशि की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. उसका कहना है कि पीएम केयर्स आरटीआई के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है.
इन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और संस्थाओं में से एलआईसी ने विभिन्न श्रेणियों के तहत पीएम केयर्स में अकेले सबसे अधिक 113.63 करोड़ रुपये दिए. इसमें 8.64 करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन से, 100 करोड़ रुपये कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के तहत और पांच करोड़ रुपये गोल्डन जुबली फाउंडेशन के तहत दिए गए.
दस्तावेजों से पता चलता है कि एलआईसी ने 100 करोड़ रुपये की राशि 31 मार्च को दान की थी, जबकि उसने पांच करोड़ रुपये की राशि दान करने की तारीख का खुलासा नहीं किया.
वहीं, आरटीआई का जवाब देने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के सात बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सबसे अधिक 107.95 करोड़ रुपये का दान दिया है. 100 करोड़ रुपये की राशि उसने 31 मार्च को दी थी. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने कहा कि उसने पूरी राशि कर्मचारियों के वेतन से दी है.
वहीं केंद्रीय बैंक आरबीआई ने भी कहा कि उसने कुल 7.34 करोड़ रुपये की राशि कर्मचारियों के सहयोग से दी है.
बता दें कि पीएम केयर्स का गठन इस साल कोविड-19 महामारी के सामने आने के बाद 28 मार्च को किया गया था.
इसकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 31 मार्च तक इसने 3076.62 करोड़ रुपये की राशि इकट्ठी की थी, जिसमें से 3,075 करोड़ रुपये स्वैच्छिक सहयोग के रूप में सूचीबद्ध थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अन्य बैंकों में कैनरा बैंक ने 15.53 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 14.81 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 11.89 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने पांच करोड़ रुपये, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने 80 लाख रुपये, जीआईसी ने 14.51 लाख रुपये, बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने 16.08 लाख रुपये, राष्ट्रीय कृषि एंव ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 9.04 करोड़ रुपये, नेशनल हाउसिंग बैंक ने 3.82 लाख रुपये कर्मचारियों के वेतन से दान दिए.
एलआईसी के अलावा इसमें से जीआईसी ने 22.82 करोड़ रुपये, सिडबी 14.2 करोड़ रुपये और नेशनल हाउसिंग बैंक ने 2.5 करोड़ रुपये सीएसआर फंड से दान किए.
बीते 19 अगस्त को इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सार्वजनिक क्षेत्र की 38 कंपनियों ने अपने सीएसआर फंड से 2,105 करोड़ रुपये की राशि दान की थी.
वहीं, पिछले सप्ताह एक रिपोर्ट में बताया था कि कई केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और नियामकों ने शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक कर्मचारिओं, छात्रों और पेंशनरों के वेतन से स्वैच्छिक सहयोग के रूप में 21.81 करोड़ रुपये की राशि दान की थी.