भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने उत्तर प्रदेश के हाथरस की 19 वर्षीय दलित युवती के साथ बलात्कार नहीं होने की बात साबित करने के लिए उसका चेहरा दिखाने वाला एक वीडियो ट्वीट किया था. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष कहा है कि अगर वह रेप पीड़िता हैं, तब वीडियो शेयर किए जाने का मामला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और बिल्कुल ग़ैरक़ानूनी है.
नई दिल्ली: हाथरस मामले में चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रही सत्ताधारी पार्टी भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने यह साबित करने के लिए कि 19 वर्षीय दलित युवती से बलात्कार नहीं हुआ, उसका चेहरा दिखाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया है.
मालवीय ने युवती का यह वीडियो उत्तर पुलिस के एक अधिकारी द्वारा बलात्कार किए जाने के दावों को खारिज किए जाने बाद डाला है.
हालांकि, द वायर द्वारा हासिल किए गए अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की एमएलसी रिपोर्ट में इसे बलात्कार का एक संदिग्ध मामला बताया गया है.
आईपीसी के तहत बलात्कार, संदिग्ध बलात्कार या यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िता की पहचान को उजागर करने वाले शख्स को दो साल की सजा का प्रावधान है.
हालांकि, ऐसा लगता है कि मालवीय ने उत्तर प्रदेश पुलिस के एक अधिकारी के बयान का लाभ लेने और सोशल मीडिया यूजर्स के बीच इसे शारीरिक उत्पीड़न के द्वारा हुई मौत (और बलात्कार नहीं होने) साबित करने के लिए यह वीडियो ट्वीट कर दिया.
बीते दो अक्टूबर को 48 सेकेंड के वीडियो को ट्वीट करते हुए भाजपा नेता ने कहा, ‘एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) के बाहर एक रिपोर्टर के साथ हाथरस पीड़िता की बातचीत जहां उसने दावा किया कि उसका गला घोंटने की कोशिश की गई थी. इसमें से किसी से भी अपराध की क्रूरता कम नहीं हो जाएगी, लेकिन इसे किसी और रंग में रंगना और एक के खिलाफ दूसरे जघन्य अपराध की गंभीरता को कम करना गलत है.’
उसी दिन भाजपा महिला मोर्चा (सोशल मीडिया) की राष्ट्रीय प्रभारी प्रीति गांधी ने भी ट्वीट करते हुए इसे यौन उत्पीड़न मानने से इनकार किया.
Can you elaborate which law is violated if video of the victim is posted?? Not one report suggests that she was sexually assaulted. It is only a fiction of Lutyen media’s imagination. Are we governed by rule of law or the hallucinations of a few??!! https://t.co/eVTBXGKkHv
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) October 2, 2020
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘यह केवल लुटियन मीडिया की कल्पना है. हम कानून से शासित होते हैं या कुछ लोगों के मतिभ्रम से? ’ इसे मालवीय ने रिट्वीट किया था.
इसके बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘अगर वह रेप पीड़िता हैं तब वीडियो शेयर किए जाने का मामला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और बिल्कुल गैरकानूनी है.’
समाचार रिपोर्ट में कहा गया कि एनसीडब्ल्यू मालवीय के ट्वीट को देखेगा. इसके साथ ही एनसीडब्ल्यू ने पीड़िता के शव को जल्दबाजी में जलाए जाने को लेकर भी राज्य पुलिस से जवाब मांगा है.
वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग अध्यक्ष विमला बाथम ने अखबार से कहा कि उन्होंने वीडियो नहीं देखा है लेकिन अगर उसमें पीड़िता की पहचान उजागर की गई है तो यह निश्चित तौर पर आपत्तिजनक है और आयोग भाजपा आईटी से प्रमुख को नोटिस भेजेगा.
हालांकि मालवीय ने अब ये वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से हटा लिया गया है.
बता दें कि बीते 1 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा था कि फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट से यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.
आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ बलात्कार किया था.
उनकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी. उनका इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था.
करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.
इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का 29 सितंबर की देर रात अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है.
युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा पीड़ित के पिता को कथित तौर पर धमकी देने का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसके बाद मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली की आलोचना हो रही है.
युवती की मौत के बाद विशेष रूप से जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में दो अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी (सर्किल ऑफिसर) राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश मीणा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया था.
मामले की जांच अब सीबीआई को दे दी गई है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)