उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित युवती के गैंगरेप और मौत के मामले में यूपी पुलिस ने 21 एफ़आईआर दर्ज की है, जिसमें से छह हाथरस ज़िले में और बाकि बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, इलाहाबाद, अयोध्या और लखनऊ में दर्ज की गई हैं. इस संबंध में विभिन्न शहरों से कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.
लखनऊ/हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 19 साल की दलित युवती के गैंगरेप और फिर उसकी मौत के मामले को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही यूपी पुलिस ने जातिगत और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का प्रयास करने, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल या सार्वजनिक बैठकों के जरिये राज्य सरकार की छवि बिगाड़ने के लिए पूरे राज्य में 21 एफआईआर दर्ज की हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये एफआईआर राजद्रोह, आपराधिक साजिश रचने और दुश्मनी को बढ़ावा देने की धाराओं में भी दर्ज की गई हैं.
ये एफआईआर बीते 24 घंटों में दर्ज की गई हैं, जिनमें से छह हाथरस में दर्ज किए गए हैं. इन छह में से चार चंदपा पुलिस थाने, एक सासनी और एक हाथरस गेट पुलिस थानों में दर्ज की गई है. इसके अलावा बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, इलाहाबाद, अयोध्या और लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई हैं.
यूपी के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, ‘हमने राज्य में 21 एफआईआर दर्ज की है, जिसमें से छह हाथरस जिले में दर्ज की गई हैं. हाथरस में दर्ज की गईं छह मुख्य एफआईआर में अज्ञात लोगों को आरोपी बताया गया है. अन्य जिलों में दर्ज की गईं बाकी की एफआईआर में नामजद आरोपी हैं.’
उन्होंने बताया कि हाथरस में दर्ज की गई एफआईआर में से एक समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ गांव में घुसने का प्रयास करने के लिए पुलिस के साथ झड़प के लिए दर्ज की गई है.
उन्होंने कहा, ‘एक अन्य एफआईआर वीडियो सर्कुलेट करने के लिए कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज की गई है. एक एफआईआर सासनी पुलिस थाने में सड़क अवरुद्ध करने के लिए भीम आर्मी के सदस्यों के खिलाफ दर्ज की गई है. हाथरस गेट पुलिस थाने में एक एफआईआर सार्वजनिक बैठक आयोजित करने के लिए पूर्व विधायक के खिलाफ दर्ज की गई है.’
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि लोगों को उकसाने, सीआरपीसी की धारा 144 और कोविड-19 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर फेक न्यूज फैलाने के लिए लोगों और संगठनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
बयान में कहा गया है, ‘स्थानीय प्रशासन ने कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए हर राजनीतिक दल के पांच लोगों को गांव का दौरा करने की मंजूरी दी थी. पुलिस द्वारा बनाए गए सिस्टम को ध्वस्त कर विभिन्न राजनीतिक संगठनों के सदस्य और नेता बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए और हिंसा शुरू की, जिसके बाद पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हल्के बल प्रयोग का इस्तेमाल करना पड़ा.’
एक पुलिस उप निरीक्षक की तहरीर पर हाथरस के चंदपा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (अपराध के लिए उकसाने), 124ए (देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने की कोशिश-राजद्रोह) 120 बी (षडयंत्र), 153-ए (धर्म भाषा और जाति के आधार पर विद्वेष फैलाना), 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बयान), 195(झूइे साक्षय गढ़ना), 465 (कूटरचना), 468 (कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग), 501 (मानहानिकारक मुद्रण), 505 (भय का माहौल बनाने वाला बयान) और सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008 की धारा 67 समेत कुल 20 धाराओं में रविवार को मुकदमा दर्ज किया गया है.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसियों को ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम डॉट सीएआरआरडी.को’ नाम से एक वेबसाइट का पता चला है, जो सुरक्षित तरीके से विरोध करने और पुलिस से बचने को लेकर सूचनाएं मुहैया करा रही थी.
सूत्रों का यह भी कहना है कि वेबसाइट ने अमेरिका में चल रहे विशेष रूप से ब्लैक लाइव्ज मैटर विरोध प्रदर्शनों की जानकारी की नकल की. क्या करें और क्या नहीं करे सहित दंगों के दौरान और आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के दौरान या गिरफ्तारी के दौरान कैसे सुरक्षित रहें की जानकारी मुहैया कराई है.
हाथरस के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने कहा, ‘चंदपा पुलिस थाने में दर्ज मुख्य एफआईआर को लेकर पूरी घटना के संदर्भ में साजिश पर गौर किया जाएगा. बहुत सारे सबूत हैं, उदाहरण के तौर पर पीड़िता के परिजनों को पैसे की पेशकश करने की कोशिश करने वालों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड. इन सभी चीजों पर गौर किया जाएगा और उसके अनुरूप ही कार्रवाई की जाएगी.’
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के डीजीपी कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पीड़िता के परिवार को उकसाने की कोशिश करने वाले, उन पर दबाव डालने और गलत बयान देने के लिए 50 लाख रुपये की पेशकश करने वाले और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक ऑडियो सर्कुलेट करने वाले कुछ अराजक तत्वों के संबंध में एफआईआर दर्ज की गई है.
पुलिस थाने में समाजवादी पार्टी और आरएलडी के सदस्यों के खिलाफ दर्ज की गई दूसरी और तीसरी एफआईआर दंगे, स्वेच्छा से सरकारी कर्मचारी को नुकसान पहुंचाने और सरकारी कर्मचारी को रोकने के लिए उस पर हमला करने की धाराओं के तहत दर्ज की गई.
चंदपा पुलिस थाने में दर्ज चौथी एफआईआर भड़काऊ वीडियो सर्कुलेट कर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को कथित तौर पर बढ़ावा देने के लिए कांग्रेस पार्टी के सदस्य के खिलाफ दर्ज की गई है.
सासनी पुलिस थाने में सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन कर 400 से 500 लोगों की भीड़ को इकट्ठा करने के लिए भीम आर्मी के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. कथित तौर पर कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करने को लेकर भाजपा के विधायक राजवीर सिंह पहलवान के खिलाफ हाथरस गेट पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.
एसपी जायसवाल ने कहा, ‘यह हमारे संज्ञान में लाया गया है कि ऐसे कई लोग हैं जो जाति आधारित तनाव पैदा करने के लिए उसी तरह का कंटेंट पोस्ट कर रहे हैं. इनकी जानकारी साइबर सेल को दे दी गई है और एफआईआर दर्ज की गई है.’
हाथरस पुलिस के मुताबिक, ‘पीड़िता के शव की फर्जी तस्वीरें शेयर करने और उसे पीड़िता बताने वालों की जानकारी इकट्ठा कर रही है. मुख्यमंत्री के बयान को गलत तरीके से पेश करने वाले वीडियो क्लिप को भी पुलिस के संज्ञान में लाया गया है. शिकायतों में मेडिकल रिपोर्ट की प्रति भी हैं, जो प्रामाणिक नहीं पाई गईं.’
पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट करने को लेकर 14 और एफआईआर दर्ज की गई है. इन एफआईआर के संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस का कहना है कि लखनऊ में कथित तौर पर भड़काऊ पोस्टर लगाने को लेकर कांग्रेस के पार्षद शैलेंद्र तिवारी के खिलाफ हजरतगंज पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. उन्हें गिरफ्तार किया गया है.
सहारनपुर के रामपुर पुलिस थाने में दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें से एक की पहचान अभिषेक शेखावत और दूसरे की ठाकुर सत्यम चौहान के रूप में की गई है. इन पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है.
अयोध्या के डीआईजी दीपक कुमार का कहना है कि फेसबुक पोस्ट को लेकर गायेदीन चौधरी के खिलाफ खंडासा पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है.
अधिकारियों का कहना है कि इलाहाबाद में नैनी, कर्नलगंज और उतरांव पुलिस थानों में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है. तीन में से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट करने को लेकर बिजनौर में अजीम चौधरी को गिरफ्तार किया गया है.
जिला पुलिस का कहना है कि भाजपा के एक नेता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई और आरोपी को गिरफ्तार किया गया.
मथुरा में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 151 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी बिना मजिस्ट्रेट के आदेश और बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं.
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हाथरस मामले में साजिश का आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद यूपी पुलिस ने ये मामले दर्ज किए हैं.
योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा था कि कुछ अराजक तत्व जो राज्य में विकास होते देखना बर्दाश्त नहीं कर सकते, वे राज्य में सांप्रदायिक उन्माद और हिंसा को बढ़ावा देने की साजिश रच रहे हैं.
हालांकि विपक्षी दल इसे योगी द्वारा अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने की कोशिश करार दे रहे हैं.
दंगा भड़काने की साजिश का आरोप सही या चुनावी चाल, वक्त बताएगा: मायावती
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा विपक्ष पर जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आरोप सही है या फिर चुनावी चाल, यह तो वक्त ही बताएगा.
2. वैसे हाथरस काण्ड को लेकर पीड़िता परिवार के साथ जिस प्रकार का गलत व अमानवीय व्यवहार किया गया उससे देश भर में काफी रोष व आक्रोश। सरकार अब भी गलती सुधारे व पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए गंभीर हो वरना जघन्य घटनाओं को रोक पाना मुश्किल होगा।
— Mayawati (@Mayawati) October 6, 2020
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘हाथरस कांड की आड़ में विकास को प्रभावित करने के लिए जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश का विपक्ष पर लगाया गया यूपी सरकार का आरोप सही या चुनावी चाल, यह समय बताएगा, किन्तु जनमत की मांग है कि हाथरस कांड के पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने पर सरकार ध्यान केंद्रित करे तो बेहतर.’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘वैसे हाथरस कांड को लेकर पीड़िता के परिवार के साथ जिस प्रकार का गलत व अमानवीय व्यवहार किया गया उससे देश भर में काफी रोष व आक्रोश है. सरकार अब भी गलती सुधारे और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए गंभीर हो वरना जघन्य घटनाओं को रोक पाना मुश्किल होगा.’
क्या है पूरा मामला
आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ बलात्कार किया था.
उनकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन में गंभीर चोटें आई थीं. आरोपियों ने उनकी जीभ भी काट दी थी. उनका इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था.
करीब 10 दिन के इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.
इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का 29 सितंबर की देर रात अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है.
युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है. उनके खिलाफ गैंगरेप और हत्या के प्रयास के अलावा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा पीड़ित के पिता को कथित तौर पर धमकी देने का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसके बाद मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली की आलोचना हो रही है.
युवती की मौत के बाद विशेष रूप से जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में दो अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी (सर्किल ऑफिसर) राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश मीणा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया था.
मामले की जांच अब सीबीआई को दे दी गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)