जदयू ने मंजू वर्मा को बेगूसराय ज़िले से उम्मीदवार बनाया है. मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह मामले में नाम आने के बाद मंजू वर्मा को मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं. कांग्रेस ने कहा है कि अगर नीतीश कुमार और भाजपा महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें मंजू वर्मा की उम्मीदवारी तत्काल वापस लेनी चाहिए.
नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जदयू ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में आरोपी पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को विधानसभा का टिकट पकड़ा दिया है.
जदयू के इस कदम की कांग्रेस के विभिन्न दलों के नेताओं ने आलोचना की है. कांग्रेस ने मंजू वर्मा को टिकट मिलने पर आपत्ति जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा है कि अगर नीतीश कुमार एवं भाजपा महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें इस महिला नेता की उम्मीदवारी तत्काल वापस लेनी चाहिए.
पार्टी प्रवक्ता सुष्मिता देव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह आग्रह भी किया कि वह इस मामले में दखल दें और अगर जदयू मंजू वर्मा को चुनावी मैदान से नहीं हटाती है तो भाजपा को उसके साथ गठबंधन खत्म करना चाहिए.
गौरतलब है कि जदयू ने मंजू वर्मा को बेगूसराय जिले की चेरिया-बरियारपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. मंजू का नाम मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में आने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. फिलहाल वह जमानत पर जेल से बाहर हैं.
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता ने संवाददाताओं से कहा, ‘महिला सुरक्षा को लेकर यह सरकार और भाजपा कितनी गंभीर है, उसे हमने हाथरस के मामले में और कई अन्य मामलों में देख लिया है. अब बिहार में मंजू वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है, जो बच्चियों से बलात्कार से जुड़े मामले में आरोपी हैं.’
उन्होंने सवाल किया कि भाजपा और उसके सहयोगी दल महिला सुरक्षा के मुद्दे को गंभीरता से लेते हैं या नहीं?
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी से हम कहना चाहते हैं कि आपने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का अभियान चलाया और ऐसे में आपकी जिम्मेदारी है कि मंजू वर्मा की उम्मीदवारी रद्द करवाएं या फिर गठबंधन तोड़ दें.’
उन्होंने कहा, ‘अगर नीतीश कुमार जी और सुशील मोदी जी महिला सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हैं तो मंजू वर्मा की उम्मीदवारी तत्काल वापस ली जाए.’
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया, ‘इस उम्मीदवारी का मतलब यह है कि उन्हें पहले मंत्री पद से हटाया जाना पाखंड था. यह पाखंड नहीं चलेगा.’
उन्होंने कहा कि अगर मंजू उम्मीदवार बनी रहती हैं तो इससे साफ हो जाएगा कि भाजपा और जदयू में महिला सुरक्षा को लेकर कोई नैतिकता नहीं बची है.
मालूम हो कि मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनज़र बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था. उनके घर पर पड़े सीबीआई के छापे में अवैध हथियार और करीब 50 कारतूस बरामद हुए थे. मंजू वर्मा को बाद में जदयू ने पार्टी से भी निकाल दिया था.
तब जांच से बचने के लिए मंजू वर्मा फरार हो गई थीं. 12 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में उन्हें गिरफ़्तार न किए जाने पर नाराज़गी जताते हुए राज्य के डीजीपी को तलब किया था.
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बिहार पुलिस ने मंजू वर्मा के बेगूसराय स्थित घर के बाहर संपत्ति जब्त करने का नोटिस लगाया था, जिसके बाद मंजू वर्मा ने 20 नवंबर 2018 को वहां की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण किया था.
मामले की जांच के दौरान मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के साथ कथित तौर करीबी संबंध होने का पता चला था. चंद्रशेखर वर्मा भी उस वक्त फरार हो गए थे. चंद्रशेखर वर्मा ने हथियार मामले में 19 नवंबर 2018 को बेगूसराय की अदालत में आत्मसमर्पण किया था. चंद्रशेखर वर्मा एक महीने तक फरार रहे थे.
ब्रजेश ठाकुर के साथ उनके पति चंद्रशेखर वर्मा का संबंध होने के आरोपों के बाद मंजू वर्मा ने आठ अगस्त 2018 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस-टिस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था.
चिकित्सकीय जांच में बालिका गृह की 42 में से 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई थी. टिस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि आश्रय गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी.
इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई. बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. ब्रजेश ठाकुर फिलहाल जेल में है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)