पंजाब: सरकार द्वारा सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद शौर्य चक्र से सम्मानित शख़्स की हत्या

पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ चुके बलविंदर सिंह संधू की पत्नी ने कहा है कि परिवार तब तक अंतिम संस्कार नहीं करेगा, जब तक सरकार सुरक्षा हटाने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती.

बलविंदर सिंह संधू. (फोटो: पीटीआई)

पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ चुके बलविंदर सिंह संधू की पत्नी ने कहा है कि परिवार तब तक अंतिम संस्कार नहीं करेगा, जब तक सरकार सुरक्षा हटाने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती.

बलविंदर सिंह संधू. (फोटो: पीटीआई)
बलविंदर सिंह संधू. (फोटो: पीटीआई)

अमृतसर: पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़ चुके एवं शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू की पंजाब के तरन तारन जिले में शुक्रवार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. सरकार ने कुछ समय पहले उनकी सुरक्षा वापस ली थी.

पुलिस ने बताया कि मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने 62 वर्षीय संधू पर उस समय चार गोलियां चलायीं जब वह जिले में भीखीविंड गांव स्थित अपने घर से लगे दफ्तर में थे.

संधू को अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

संधू कई साल राज्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़े और पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद जब चरम पर था तब उन पर 16 आतंकवादी हमले किए गए.

बलविंदर सिंह संधू के भाई रंजीत ने कहा कि राज्य सरकार ने एक वर्ष पहले तरन तारन पुलिस की सिफारिश पर संधू की सुरक्षा वापस ले ली थी. उन्होंने कहा कि उनका पूरा परिवार आतंकवादियों के निशाने पर रहा है.

बलविंदर सिंह संधू कुछ वृत्तचित्रों में भी आए थे. संधू और उनके परिवार से प्रेरित होकर कई लोगों ने आतंकवादी हमलों से खुद का बचाव किया.

केंद्र सरकार ने 1993 में संधू को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था. उन्हें प्रदान किए गए शौर्य चक्र के प्रशस्ति-पत्र में कहा गया है, ‘बलविंदर सिंह संधू और उनके भाई रणजीत सिंह संधू आतंकवादी गतिविधियों के विरोध में रहे. वे आतंकवादियों के निशाने पर थे. आतंकवादियों ने लगभग 11 महीनों में संधू के परिवार को समाप्त करने के 16 प्रयास किए.’

इसमें लिखा है, ‘आतंकवादियों ने उन पर 10 से 200 के समूह में हमला किया, लेकिन हर बार संधू भाइयों ने अपनी बहादुर पत्नियों- जगदीश कौर संधू और बलराज कौर संधू की मदद से आतंकवादियों के प्रयासों को सफलतापूर्वक विफल किया.’

आतंकवादियों ने पहली बार परिवार पर 31 जनवरी 1990 को हमला किया था.

परिवार पर भीषण हमला 30 सितंबर, 1990 को किया गया था जब करीब 200 आतंकवादियों ने उनके घर को चारों ओर से घेर लिया और उन पर करीब पांच घंटे खतरनाक हथियारों से हमला किया. इन हथियारों में रॉकेट लांचर भी शामिल थे.

प्रशस्ति-पत्र में लिखा है कि आतंकवादियों के इस सुनियोजित हमले में मकान तक आने वाले रास्ते को बाधित कर दिया गया था और बारूदी सुरंग बिछा दी गई थी ताकि पुलिस की कोई मदद उन तक न पहुंच सके.

इसमें कहा गया था कि संधू भाइयों और उनकी पत्नियों ने आतंकवादियों का पिस्तौल और स्टेनगन से मुकाबला किया जो उन्हें सरकार द्वारा मुहैया करायी गई थी. संधू भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दिखाए गए प्रतिरोध ने आतंकवादियों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया.

प्रशस्ति-पत्र में कहा गया था कि इन सभी व्यक्तियों ने आतंकवादियों के हमले का सामना करने और बार-बार किए गए जानलेवा हमलों को विफल करने के लिए अत्यंत साहस एवं बहादुरी का प्रदर्शन किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, संधू की पत्नी जगदीश कौर ने कहा कि यह आतंकवादियों का काम है और उनके परिवार की किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी.

उन्होंने कहा, परिवार ने हमेशा आतंकियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. आतंकियों द्वारा हमारे परिवार पर कम से कम 62 हमले किए गए. हमने पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता से सुरक्षा के लिए बहुत गुहार लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, संधू के परिवार ने कहा कि धमकी के बारे में पुलिस से शिकायत के बावजूद उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई. इस बारे में तरन तारण एसएसपी ध्रुमन एच. निम्बले से पूछा गया कि संधू की सुरक्षा क्यों वापस ले ली गई और परिवार द्वारा शिकायतों के बावजूद बहाल नहीं किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘हम मामले को देख रहे हैं.’

कौर ने कहा कि परिवार तब तक संधू के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेगा, जब तक सरकार सुरक्षा हटाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती.

कौर ने मांग की कि हमारे परिवार को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए और आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

62 वर्षीय संधू के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे गगनदीप सिंह, आर्शदीप सिंह और प्रदीप सिंह हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने संधू की मौत पर शोक व्यक्त किया और फिरोजपुर के उप महानिरीक्षक की अगुवाई में एक विशेष जांच दल की स्थापना की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए एसआईटी हत्या की जांच करेगी. उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)