कांग्रेस बदलावों को लेकर गंभीर नहीं, पार्टी के लिए हर हार सामान्यः कपिल सिब्बल

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक साक्षात्कार में कहा कि ऐसा लग रहा है कि अब लोग कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं. सिब्बल कांग्रेस के उन 23 नेताओं में से एक हैं ,जिन्होंने अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बदलाव लाने, जवाबदेही तय करने और हार का उचित आकलन करने की मांग की थी.

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कपिल सिब्बल. (फोटोः पीटीआई)

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक साक्षात्कार में कहा कि ऐसा लग रहा है कि अब लोग कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं. सिब्बल कांग्रेस के उन 23 नेताओं में से एक हैं ,जिन्होंने अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बदलाव लाने, जवाबदेही तय करने और हार का उचित आकलन करने की मांग की थी.

(फोटोः पीटीआई)
(फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर कहा कि ऐसा लग रहा है कि अब लोग कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व पार्टी की समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी को उसके समक्ष आई समस्याएं पता हैं और वह उसका समाधान भी जानती है लेकिन वह इन समाधान को अपनाने से कतरा रहे हैं.’

कांग्रेस को अपनी समस्याएं और उसके समाधान के बारे में पता है पर वह उन्हें हल करने को तैयार नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हममें से कुछ लोगों ने आवाज उठाई है कि कांग्रेस को सही राह पर आगे ले जाने के लिए क्या किया जा सकता है. हमारी सुनने के बजाय उन्होंने (नेतृत्व) हमारी बात अनसुनी कर दी. इसके नतीजे हम सबके सामने हैं. सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश के लोग, जहां कहीं भी उपचुनाव हुए हैं, वहां लोगों ने कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं माना.’

सिब्बल ने कहा कि आत्मनिरीक्षण का समय अब खत्म हो गया है.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) का हिस्सा रहे मेरे एक सहयोगी ने कांग्रेस के भीतर आत्ममंथन की उम्मीद जताई थी. अगर छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे करें? हमें कांग्रेस की कमजोरियां पता हैं. हमें पता है कि सांगठनिक तौर पर क्या समस्या है? हमारे पास इसका समाधान भी है. कांग्रेस पार्टी भी इसका समाधान जानती है लेकिन वो इन समाधान को अपनाने से कतराते हैं. अगर वो ऐसा करते रहेंगे तो ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा. कांग्रेस को बहादुर बनकर इन्हें पहचानना होगा.’

सिब्बल से जब यह पूछा गया कि जब कांग्रेस को समस्याओं का समाधान पता है तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसे अपनाने से क्यों हिचकता है?

इस पर उन्होंने कहा, ‘सीडब्ल्यूसी एक नामित संस्था है. सीडब्ल्यूसी को पार्टी के संविधान के मुताबिक लोकतांत्रिक बनाया जाना जरूरी है, जो पार्टी के संविधान के प्रावधानों में लक्षित होता है. आप नामित सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर कांग्रेस पार्टी चुनाव दर चुनाव कमजोर क्यों होती जा रही है.’

सिब्बल ने कहा, ‘कांग्रेस गुजरात के उपचुनावों में सभी आठों सीटें हार गई. गुजरात में हमारे तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सात सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को दो फीसदी से भी कम वोट मिले. यहां तक कि मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी पार्टी का खराब प्रदर्शन रहा.’

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस नेतृत्व एक और हार को सामान्य घटना मान रही हैं?

इस पर सिब्बल ने कहा, ‘मुझे नहीं पता, मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं. मैंने पार्टी नेतृत्व को मुझे कुछ कहते नहीं सुना. मुझ तक सिर्फ नेतृत्व के आसपास के लोगों की आवाज पहुंचती है. बिहार में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव और कुछ राज्यों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन पर अब तक पार्टी नेतृत्व की राय सामने नहीं आई है. शायद उन्हें सब ठीक लग रहा है और इसे सामान्य घटना माना जा रहा है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक चुनाव कांग्रेस के पुनरुद्धार के लिए जरूरी है.

इस पर सिब्बल ने कहा, ‘जब से संचार क्रांति हुई है, चुनाव राष्ट्रपति चुनाव में तब्दील हो गए हैं. अगर हम अपनी कमियों को नहीं पहचान पा रहे हैं तो चुनावी प्रक्रिया के वांछित परिणाम नहीं आएंगे. नामांकन के जरिये चुनाव से वांछित परिणाम नहीं आएंगे. परिणाम केवल समय, विश्वसनीयता, विचार विमर्श के तरीके में बदलाव और हमारी विचारधारा को स्वीकारे जाने के साथ आएंगे.’

सिब्बल ने कहा कि हर संगठन में देश की राजनीतिक वास्तविकताओं को समझने वाले अनुभवी लोगों के साथ संवाद करने की जरूरत होती है. ऐसे लोग जो जानते हो कि मीडिया में क्या और कैसे व्यक्त करना है, लोग जो जानते हो कि लोग उन्हें कैसे सुनें.

उन्होंने गठबंधन का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अब लोगों से हमारे साथ जुड़ने की और उम्मीद नहीं कर सकते. हम अब उस तरह के नहीं है, जो पहले हुआ करते थे.

बता दें कि कपिल सिब्बल कांग्रेस पार्टी के उन 23 नेताओं में से एक हैं ,जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बदलाव लाने, जवाबदेही तय करने, नियुक्त प्रक्रिया को मजबूत बनाने और हार का उचित आकलन करने की मांग की थी.

उस पत्र के बारे में पूछने पर सिब्बल ने कहा, ‘उस पत्र को लिखे जाने के बाद से अब तक पार्टी नेतृत्व से कोई संवाद नही हुआ है और पार्टी नेतृत्व की ओर से संवाद के लिए कोई प्रयास भी होते नहीं दिख रहा है.’

सिब्बल ने कहा, ‘मेरे लिए अपनी राय अभिव्यक्त करने का कोई मंच भी नहीं है तो मैं अपनी बात सार्वजनिक तौर पर रखने के लिए विवश हूं. मैं एक कांग्रेसी हूं और हमेशा रहूंगा और मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस सत्ता के उस मौजूदा स्वरूप का विकल्प प्रदान करेगी, जिसने देश के सभी मूल्यों को तिलांजलि दे दी है.’

कार्ति चिदंबरम ने जताई सिब्बल से सहमति, कहा- कांग्रेस के लिए यह आत्मविश्लेषण, चिंतन का समय

तमिलनाडु से पार्टी के सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस के लिए यह आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श करने का समय है.

तमिलनाडु में शिवगंगा से लोकसभा सांसद कार्ति ने बिहार चुनाव के परिणाम पर अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल द्वारा दिए गए साक्षात्कार के लिंक को ट्वीट करते हुए यह टिप्पणी की है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे ने एक ट्वीट में कहा, ‘कांग्रेस के लिए यह आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श और कदम उठाने का समय है.’

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा था कि बिहार चुनाव के लिए सीट बंटवारा समझौते को अंतिम रूप दिए जाने में देरी के कारण महागठबंधन के प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ा.

बिहार में कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन केवल 19 को ही जीत मिली. राजद के तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 243 सदस्यीय विधानसभा में 110 सीटें मिली जबकि एनडीए 125 सीटें जीतने में कामयाब रहा.

अनवर ने रविवार को पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस को इस परिणाम से सबक लेना चाहिए और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए समय से गठबंधन संबंधी औपचारिकताओं को पूरा कर लेना चाहिए.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने अपने ट्वीट में साक्षात्कार को टैग किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान ली है.

उन्होंने यह भी कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं.

पिछले दिनों सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को संगठन का कायाकल्प करने का सुझाव दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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