बिहार चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम के सवाल उठाने बाद कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि वे एक सुधारवादी के रूप में मुद्दे उठा रहे हैं, न कि विद्रोही के रूप में. इसके जवाब में सलमान खुर्शीद ने कहा कि यदि मतदाता उन उदारवादी मूल्यों को अहमियत नहीं दे रहे, जिनका हम संरक्षण कर रहे हैं तो लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए.
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बीते रविवार को कहा कि कांग्रेस के नेता आम लोगों से पूरी तरह से कटे हुए हैं और पार्टी में ‘पांच सितारा संस्कृति’ यानी कि फाइव-स्टार कल्चर घर कर गई है. उन्होंने संगठनात्मक ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन का आह्वान किया.
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उनका यह बयान आया है. इस चुनाव में पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से वह केवल 19 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई.
आजाद ने कहा कि ब्लॉक से लेकर जिला और राज्य स्तर तक चुनाव कराकर पार्टी के ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की तत्काल जरूरत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को कम से कम चुनावों के दौरान पांच सितारा संस्कृति को छोड़ देना चाहिए.
संगठनात्मक बदलाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल आजाद ने कहा कि वे ‘एक सुधारवादी के रूप में मुद्दे उठा रहे हैं, न कि विद्रोही के रूप में.’
#WATCH | Elections are not fought from 5-star hotels. Problem with our leaders today is that if they get a party ticket, they first book a 5-star hotel. They won't go to places where there's an untarred road. We can't win until we change this culture: Ghulam Nabi Azad, Congress pic.twitter.com/qWFkYLaBXF
— ANI (@ANI) November 22, 2020
उन्होंने कहा, ‘जिला, ब्लॉक और राज्य स्तर पर लोगों और कांग्रेस नेताओं के बीच बहुत बड़ा फासला है. जनता से पार्टी का जुड़ाव एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए, न कि केवल चुनाव के दौरान.’ राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि पार्टी के नेताओं को पांच सितारा संस्कृति को छोड़ देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेताओं को पांच सितारा संस्कृति को छोड़ देनी चाहिए. कम से कम चुनावों के दौरान उन्हें इस संस्कृति से बचना चाहिए और क्षेत्र में लोगों के बीच रहना चाहिए.’
बिहार चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पहली बार बात करते हुए आजाद ने कहा कि नेताओं को राज्य के नेताओं के साथ राज्य का दौरा करना चाहिए और न कि केवल पांच सितारा होटलों में रहना चाहिए और वापस लौटना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक नेता को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए. केवल दिल्ली से जाना और पांच सितारा होटलों में रहना और दो-तीन दिन बाद दिल्ली लौटना पैसे की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं है.’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस की राज्य, जिला और ब्लॉक इकाइयों में सभी पदों के लिए चुनाव कराने की वकालत की. उन्होंने कहा, ‘हमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी, जिला कांग्रेस कमेटी और ब्लॉक कांग्रेस कमेटी को निर्वाचित करना चाहिए और इस संबंध में पार्टी के लिए एक कार्यक्रम बहुत जरूरी है.’
आजाद ने कहा कि वह कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ पार्टी के हित में इन मुद्दों को उठा रहे है. उन्होंने कहा, ‘हम सुधारवादी हैं, विद्रोही नहीं. हम नेतृत्व के खिलाफ नहीं हैं. बल्कि, हम सुधारों का प्रस्ताव देकर नेतृत्व के हाथ मजबूत कर रहे हैं.’
आजाद ने चुनाव में हार के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेदार नहीं ठहराया बल्कि नेताओं और लोगों के बीच संपर्क नहीं होने की बात कही. उन्होंने बिहार की हार पर विस्तार से कुछ नहीं कहा.
बिहार चुनाव में मिली हार को लेकर इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम भी सवाल उठा चुके हैं. कपिल सिब्बल ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि अब लोग कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं. वहीं पी. चिदंबरम ने कहा था कि ऐसा लगता है कि जमीन पर पार्टी का कोई संगठन मौजूद ही नहीं है.
मालूम हो कि आजाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने प्रमुख पदों पर चुनावों और पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अगस्त में पत्र लिखा था.
कांग्रेस में नहीं है नेतृत्व का कोई संकट: सलमान खुर्शीद
बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कुछ नेताओं द्वारा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की आलोचना किए जाने के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने रविवार को कहा कि पार्टी में नेतृत्व का कोई संकट नहीं है और सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के लिए पार्टी में पूरे सहयोग को हर वह व्यक्ति देख सकता है, जो नेत्रहीन नहीं है.
गांधी परिवार के निकट समझे जाने वाले नेताओं में शामिल खुर्शीद ने कहा कि कांग्रेस में विचार रखने के लिए पर्याप्त मंच उपलब्ध है और पार्टी के बाहर विचार व्यक्त करने से इसे नुकसान पहुंचता है.
वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और कुछ अन्य नेताओं ने पार्टी नेतृत्व की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की है.
खुर्शीद ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘पार्टी नेतृत्व मेरी बात सुनता है. मुझे मौका दिया गया है, उन्हें (मीडिया में आलोचना कर रहे लोगों को) मौका दिया गया है. यह बात कहां से आ गई कि पार्टी नेतृत्व बात नहीं सुन रहा है.’
बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर कपिल सिब्बल और एक अन्य वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा कि उन्होंने जो कहा, वह उससे असहमत नहीं है, लेकिन उन्होंने सवाल किया कि इसके लिए बाहर जाकर मीडिया और दुनिया को यह बताने की क्या आवश्यकता है कि हमें ऐसा करने की जरूरत है.
कांग्रेस कार्य समिति में स्थायी रूप से आमंत्रित होने वाले खुर्शीद ने कहा, ‘हर बार विश्लेषण किया जाता है, इसे लेकर कोई झगड़ा नहीं है. इस बार भी यह किया जाएगा. ये सब लोग नेतृत्व का हिस्सा हैं. नेतृत्व इसकी उचित समीक्षा करेगा कि क्या गलती हुई, हम कैसे सुधार कर सकते हैं. यह सामान्य रूप से होगा, हमें इस पर सार्वजनिक रूप से बात करने की आवश्यकता नहीं है.’
यह पूछे जाने पर कि कुछ नेता पार्टी के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग कर रहे हैं, खुर्शीद ने कहा कि उन्हें आगे आकर पार्टी की वार्ताओं में इस पर बात करनी चाहिए.
उन्होंने एक साल से अधिक समय से सोनिया गांधी के अंतरिम प्रमुख होने पर चिंताएं जताने वालों पर निशाना साधते हुए पूछा कि यह फैसला किसने किया कि अंतरिम प्रमुख होने के लिए एक साल बहुत लंबा समय है.
उन्होंने कहा कि यदि नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया में समय लग रहा है, तो इसके पीछे कोई उचित कारण होगा.
उन्होंने कहा कि पार्टी के पास सोनिया गांधी के रूप में एक अध्यक्ष है, भले ही वह अंतरिम अध्यक्ष हैं. यह संविधान के परे की बात नहीं है, यह अनुचित नहीं है.
खुर्शीद ने कहा, ‘हमें खुशी है कि हम इसके साथ काम कर रहे हैं. इसमें नेतृत्व का कोई संकट नहीं है. मैं जोर देकर इस बात को कह रहा हूं.’’
उन्होंने कहा कि चुनाव समिति अध्यक्ष के चयन पर काम कर रही है, जिसमें कोविड-19 के कारण समय लग रहा है.
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस अपने नेता के रूप में राहुल गांधी के पीछे क्या मजबूती से खड़ी है, खुर्शीद ने कहा, ‘मुझे लगता है, जो कोई भी नेत्रहीन नहीं है, उसे यह दिख रहा है कि लोग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का पूरा समर्थन कर रहे हैं.’
दिलचस्प बात यह है कि पार्टी द्वारा आर्थिक मामलों, विदेश मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर गठित समितियों में नामित किए गए लोगों में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, वीरप्पा मोईली और शशि थरूर शामिल हैं, यह सभी कांग्रेस संगठन में आमूल चूल बदलाव की मांग को लेकर पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल थे.
खुर्शीद ने हाल में कहा था, ‘यदि मतदाता उन उदारवादी मूल्यों को अहमियत नहीं दे रहे, जिनका हम संरक्षण कर रहे हैं तो हमें सत्ता में आने के लिए शॉर्टकट तलाश करने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए.’
इस बयान के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा कि शॉर्टकट से उनका मतलब अपनी विचारधारा त्यागने से था.
उन्होंने कहा, ‘आपको अपनी विचारधारा क्यों छोड़नी चाहिए. यदि आपकी विचारधारा मतदाताओं को आपके लिए मतदान करने के लिए राजी नहीं कर पा रही है, तो या तो आपको अपनी दुकान बंद कर देनी चाहिए या आपको इंतजार करना चाहिए. हम मतदाताओं को राजी कर रहे हैं, इसमें समय लगेगा.’
उन्होंने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की एक शायरी का उल्लेख करते हुए कहा था, ‘न थी हाल की जब हमें खबर, रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर, तो निगाह में कोई बुरा न रहा. बहादुर शाह ज़फर और उनके ये शब्द हमारे पार्टी के उन कई सहयोगियों के लिए सार्थक उपमा की तरह हो सकते हैं, जो समय-समय पर बेचैनी से घिर जाते हैं.’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘जब हम अच्छा करते हैं, तो निश्चित रूप से कुछ हद तक वे इसे स्वीकार कर लेते हैं. लेकिन जब हम कम प्रदर्शन करते हैं और बुरा भी नहीं करते हैं तो वे तत्काल छींटाकशी करने लगते है. उन्होंने पार्टी के प्रदर्शन पर सवाल करने वाले नेताओं को ‘आदतन संदेह करने वाला’ करार दिया और कहा, ‘हम सभी अपनी पार्टी के निरंतर दुर्भाग्य से परेशान और दुखी हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)