मध्य प्रदेशः शहडोल ज़िला अस्पताल में आठ नवजात बच्चों की मौत, जांच के आदेश

मध्य प्रदेश के शहडोल ज़िला अस्पताल का मामला. ये मौतें 27 से 30 नवंबर के बीच हुई हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जांच में अस्पताल का कोई डॉक्टर या स्टाफ दोषी पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाएगा.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मध्य प्रदेश के शहडोल ज़िला अस्पताल का मामला. ये मौतें 27 से 30 नवंबर के बीच हुई हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जांच में अस्पताल का कोई डॉक्टर या स्टाफ दोषी पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाएगा.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

भोपाल/शहडोल: मध्य प्रदेश के शहडोल जिला अस्पताल में 27 से 30 नवंबर के बीच आठ नवजात बच्चों की मौत का मामला सामने आया है.

इन बच्चों को शहडोल जिला अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) और पीडियाट्रिक इंटेसिंव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में भर्ती कराया गया था.

शहडोल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजेश पांडे ने मंगलवार को बताया कि दो तथा तीन साल की आयु के दो और बच्चों की सोमवार रात को मौत हो गई. इन बच्चों को अनूपपुर जिले से इलाज के लिए वहां लाया गया था.

इन दो बच्चों की मौत के साथ ही चार माह की उम्र के आठ बच्चों की 27 नवंबर से 30 नवंबर के बीच मौत हो चुकी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, पांच नवजात बच्चों की निमोनिया की वजह से शुक्रवार (27 नवंबर) को मौत हुई, इनमें से चार बच्चों को आईसीयू में भर्ती कराया गया था, लेकिन वे बच नहीं सके जबकि उमरिया से एक नवजात बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसने दम तोड़ दिया.

अस्पताल में जिन नवजात शिशुओं की मौत हुई, उनमें से एक के चाचा सोहन चौधरी ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उनके नवजात भतीजे को उमरिया से रिफर किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘मेरा भतीजा 26 नवंबर को इस अस्पताल में लाया गया था और दो दिन बाद उसकी मौत हो गई. इन दो दिनों में हमें नहीं पता कि किसी डॉक्टर ने उसका चेकअप किया हो क्योंकि हमें उसके स्वास्थ्य की कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही हमें उससे मिलने दिया गया.’

हालांकि शहडोल जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश पांडेय ने कहा, ‘सभी जरूरी कदम उठाए गए थे, लेकिन इन बच्चों को बहुत ही गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था.’ उन्होंने बताया कि अस्पताल के एसएनसीयू में 20 बेड हैं, लेकिन 33 बच्चे भर्ती हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शहडोल के डिवीजनल कमिश्नर नरेश पाल का कहना है, ‘मुझे बताया गया कि शुरुआती जांच से पता चला है कि इन बच्चों को निमोनिया था और इन्हें देरी से अस्पताल में भर्ती कराया गया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इनमें से किसी के माता-पिता को कोरोना था या नहीं. अधिकारियों को बताया गया है कि वे बीमार बच्चों की पहचान करें और उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचाएं.’

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि अगर जांच में अस्पताल का कोई डॉक्टर या स्टाफ दोषी पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाएगा.

इसके अलावा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों को इलाके के नवजात बच्चों का सर्वेक्षण करने को कहा गया है और उनमें गंभीर बीमारी के लक्षण मिलने पर उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचाने को कहा गया है.

चौहान ने सोवमार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नवजात बच्चों के मामले पर चर्चा की.

उन्होंने कहा, ‘अगर अस्पताल में सुविधाओं की कमी है तो उसे तुरंत दूर किया जाएगा. अस्पतालों में वेंटिलेटर्स और अन्य उपकरणों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. जरूरत पड़ी तो विशेषज्ञों की तैनाती की जाएगी.’

उन्होंने कहा, ‘जिले, संभाग और राजधानी के स्वास्थ्य अधिकारियों को इस घटना को गंभीरता से लेना चाहिए और जरूरत पड़ने पर बीमार बच्चों के इलाज के लिए जबलपुर से मेडिकल विशेषज्ञों को भेजना चाहिए.’

वहीं, स्वास्थ्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि शहडोल जिले के डॉक्टरों से मामले में रिपोर्ट मांगी गई है. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)