अगर किसानों की मांगें दो दिन में नहीं पूरी की गईं तो हड़ताल पर जाएंगे: टैक्सी यूनियन

ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो वे तीन दिसंबर से हड़ताल पर जाएंगे. नए कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ पिछले छह दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

New Delhi: Farmers gathered at the Singhu border during their ongoing Delhi Chalo protest against Centres new farm laws, in New Delhi, Monday, Nov 30, 2020. (PTI Photo/ Shahbaz Khan) (PTI30-11-2020 000031B)

ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो वे तीन दिसंबर से हड़ताल पर जाएंगे. नए कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ पिछले छह दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेतृत्व में किसानों द्वारा गाजीपुर सीमा पर धारा 144 लागू करने के बाद विरोध प्रदर्शन (फोटो: पीटीआई)
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेतृत्व में किसानों द्वारा गाजीपुर सीमा पर विरोध प्रदर्शन (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो वे हड़ताल पर जाएंगे. यूनियन के अध्यक्ष ने इसकी जानकारी दी.

यूनियन के अध्यक्ष बलवंत सिंह भुल्लर ने कहा कि वे किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए उन्हें दो दिन का समय दे रहे हैं.

भुल्लर ने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री से अपील करते हैं कि वे इन कानूनों को वापस लें. कॉरपोरेट सेक्टर हमें बर्बाद कर रहा है. अगर दो दिनों के भीतर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है तो हम सड़क से अपने वाहनों को हटा लेंगे. हम देश के सभी चालकों से अपील करते हैं कि वे तीन दिसंबर से वाहन चलाना बंद कर दें.’

बता दें कि नए कृषि कानून के खिलाफ पिछले छह दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

इस बीच सोमवार देर रात कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से बातचीत करने की बात कही. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘नए कृषि कानूनों के प्रति भ्रम को दूर करने के लिए मैं सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों एवं किसान भाइयों को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं.’

मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं. 

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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